Friday, July 18, 2008

2 comments:

  1. ब्रज किशोर जी, आपका मेरे पोस्ट पर आगमन सौदामिनी की तरह लगा । मुझे स्वप्न में भी विश्वास नही था कि सरे राह चलते-चलते आपसे यूं ही मुलाकात हो जाएगी। बिहारी भाई, ,जगनाथ सिंह उनके पिताश्री तपेशा सिंह एवं राम सुभग सिंह मेरे परिवार के सुख-दुख के समभागी रहे हैं । फुर्सत में शेष बातें होंगी । नव वर्ष की अशेष सुभकामनाओं के साथ- आपका -----प्रेम सागर सिंह।
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    at the earliest..Thanks...

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  2. आपके पोस्ट पर आकर विचरण करना बड़ा ही आनंददायक एव आत्मीय सा लगता है । मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद।

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