औरंगाबाद (सं.सू.)। विगत १४ अप्रैल को शहर में घटित बहुचर्चित अधिवक्ता पुत्र हत्याकांड में बेवजह अपना नाम घसीटे जाने से परेशान दैनिक जागरण के औरंगाबाद जिले के ब्यूरो चीफ सनोज पाण्डेय, पिता- श्री नवल किशोर पाण्डेय ने संभावित गिरफ़्तारी को रोकने और मुक़दमे से नाम हटाने की मांग को लेकर बिहार के डीजीपी से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है। अपने पत्र में श्री पाण्डेय ने कहा है कि औरंगाबाद नगर थाना काण्ड संख्या 124/16 में काण्ड के सूचक रामकिशोर शर्मा ने इस काण्ड के साजिशकर्ता के रूप में उनका नाम प्राथमिकी आवेदन में दिया है।
श्री पाण्डेय ने कहा है कि वे एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं और पिछले 16 वर्षों से दैनिक जागरण के औरंगाबाद ब्यूरो चीफ के पद पर कार्यरत हैं। उनके विरुद्ध आज तक न मुकदमा और न एक भी सनहा दर्ज है, बल्कि एक सभ्य नागरिक के रूप में पहचान है। उनका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं रहा है। जहाँ तक इस हत्या का संबंध है तो प्राथमिकी आवेदन से ही यह स्पष्ट है कि वे घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। इस काण्ड के अन्य अभियुक्तों से उनका कोई संबंध नहीं है और न उनसे उनकी कोई बातचीत होती है, जिसकी पुष्टि मोबाईल कॉल डिटेल या अन्य वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से की जा सकती है।
आगे श्री पाण्डेय कहते हैं कि उनकी कोई दुश्मनी या विवाद मृतक के परिवार से कभी नहीं रही है और न कभी कोई केस-मुकदमा या सनहा दर्ज हुआ है। श्री पाण्डेय की माँ ललिता देवी दो बार औरंगाबाद नगर-परिषद् की सदस्य रह चुकी हैं और अगले वर्ष नगर-परिषद् का चुनाव होना है इसलिए राजनीतिक कारणों से उनके परिवार को परेशान एवं बदनाम करने की नीयत से उनका नाम इस हत्याकांड में घसीटा गया है जबकि उनका इस मामले से दूर-दूर तक कुछ भी लेना-देना नहीं है। श्री पाण्डेय का दावा है कि उनके बारे में इस घटना में निर्दोष होने की बात घटनास्थल के आस-पास मौजूद कई लोग और स्वतंत्र साक्षी कहने को तैयार हैं इसलिए वे निवेदन करते हैं कि पूरे मामले की निष्पक्षता से जांच कर किसी भी अग्रेतर कार्रवाई पर रोक लगाने एवं इन आरोपों से मुक्त किया जाए।
श्री पाण्डेय ने कहा है कि वे एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं और पिछले 16 वर्षों से दैनिक जागरण के औरंगाबाद ब्यूरो चीफ के पद पर कार्यरत हैं। उनके विरुद्ध आज तक न मुकदमा और न एक भी सनहा दर्ज है, बल्कि एक सभ्य नागरिक के रूप में पहचान है। उनका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं रहा है। जहाँ तक इस हत्या का संबंध है तो प्राथमिकी आवेदन से ही यह स्पष्ट है कि वे घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। इस काण्ड के अन्य अभियुक्तों से उनका कोई संबंध नहीं है और न उनसे उनकी कोई बातचीत होती है, जिसकी पुष्टि मोबाईल कॉल डिटेल या अन्य वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से की जा सकती है।
आगे श्री पाण्डेय कहते हैं कि उनकी कोई दुश्मनी या विवाद मृतक के परिवार से कभी नहीं रही है और न कभी कोई केस-मुकदमा या सनहा दर्ज हुआ है। श्री पाण्डेय की माँ ललिता देवी दो बार औरंगाबाद नगर-परिषद् की सदस्य रह चुकी हैं और अगले वर्ष नगर-परिषद् का चुनाव होना है इसलिए राजनीतिक कारणों से उनके परिवार को परेशान एवं बदनाम करने की नीयत से उनका नाम इस हत्याकांड में घसीटा गया है जबकि उनका इस मामले से दूर-दूर तक कुछ भी लेना-देना नहीं है। श्री पाण्डेय का दावा है कि उनके बारे में इस घटना में निर्दोष होने की बात घटनास्थल के आस-पास मौजूद कई लोग और स्वतंत्र साक्षी कहने को तैयार हैं इसलिए वे निवेदन करते हैं कि पूरे मामले की निष्पक्षता से जांच कर किसी भी अग्रेतर कार्रवाई पर रोक लगाने एवं इन आरोपों से मुक्त किया जाए।
प्रथमदृष्टया सनोज पाण्डेय जी इस मामले में निर्दोष मालूम पड़ते हैं । इनका कभी कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है और न आपराधिक स्वभाव के हैं ।
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