ब्रज किशोर जी, आपका मेरे पोस्ट पर आगमन सौदामिनी की तरह लगा । मुझे स्वप्न में भी विश्वास नही था कि सरे राह चलते-चलते आपसे यूं ही मुलाकात हो जाएगी। बिहारी भाई, ,जगनाथ सिंह उनके पिताश्री तपेशा सिंह एवं राम सुभग सिंह मेरे परिवार के सुख-दुख के समभागी रहे हैं । फुर्सत में शेष बातें होंगी । नव वर्ष की अशेष सुभकामनाओं के साथ- आपका -----प्रेम सागर सिंह। Please remove word verification. It would be easier for the bloggers to comment on your post at the earliest..Thanks...
आपके पोस्ट पर आकर विचरण करना बड़ा ही आनंददायक एव आत्मीय सा लगता है । मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद।
मैं एक छोटा सा पत्रकार हूँ, स्वभाव से विद्रोही. मैं विश्वामित्र की तरह एक समानांतर दुनिया तो बनाना नहीं चाहता हूँ फिर भी इस दुनिया में कुछ बदलाव जरूर चाहता हूँ जो सिर्फ बातें बनाने से नहीं होनेवाला, इसके लिए कुछ कदम उठाने पड़ेंगे.
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ब्रज किशोर जी, आपका मेरे पोस्ट पर आगमन सौदामिनी की तरह लगा । मुझे स्वप्न में भी विश्वास नही था कि सरे राह चलते-चलते आपसे यूं ही मुलाकात हो जाएगी। बिहारी भाई, ,जगनाथ सिंह उनके पिताश्री तपेशा सिंह एवं राम सुभग सिंह मेरे परिवार के सुख-दुख के समभागी रहे हैं । फुर्सत में शेष बातें होंगी । नव वर्ष की अशेष सुभकामनाओं के साथ- आपका -----प्रेम सागर सिंह।
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at the earliest..Thanks...
आपके पोस्ट पर आकर विचरण करना बड़ा ही आनंददायक एव आत्मीय सा लगता है । मेरे नए पोस्ट "लेखनी को थाम सकी इसलिए लेखन ने मुझे थामा": पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद।
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