नई दिल्ली (सं.सू.)। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक बड़ा विवादित और असहिष्णु बयान दिया है। उन्होंने लोकसभा में कहा है कि अंबेडकर का संविधान कभी नहीं बदल सकता जा सकता है। साथ उन्होंने कहा कि अगर संविधान को बदलने की कोशिश भी की जाती है तो देश में भीषण रक्तपात होगा। इसलिए संविधान की दोबारा समीक्षा करने की बात नहीं होनी चाहिए। गौरतलब है कि आज से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ है। विदित हो 42 वें संविधान संशोधन के माध्यम से कांग्रेस ने संविधान की बिल्कुल बदलकर ही रख दिया था जिसको बाद में 44वें संशोधन द्वारा जनता पार्टी की सरकार ने सुधारा था। इतना ही नहीं संविधान में 90 प्रतिशत संशोधन कांग्रेस पार्टी द्वारा ही किए गए हैं।
विदित हो कि कांग्रेस पार्टी पिछले कई सप्ताह से देश में अहिष्णुता बढ़ने का रोना रो रही है। ऐसे में उसके नेता द्वारा लोकसभा में भीषण रक्तपात की धमकी देना आश्चर्यजनक और घोर असहिष्णु व्यवहार है।
वहीं इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द का राजनीति में सबसे अधिक गलत इस्तेमाल होता है और अगर इसकी जरुरत होती तो संविधान निर्माता संविधान में 'समाजवादी व धर्मनिरपेक्ष' जैसे शब्दों का इस्तेमाल जरूर करते।
लोकसभा में 'भारतीय संविधान के प्रति कटिबद्धता' पर बहस की शुरुआत करते हुए सिंह ने अपने भाषण में कांग्रेस पर चुटकी ली और 'असहिष्णुता' पर टिप्पणी को लेकर आमिर खान पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि बी.आर.अंबेडकर को संविधान का निर्माता समझा गया है, जिन्हें सामाजिक विषमताओं को लेकर अन्याय व उपेक्षाओं का समना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखा और मुद्दे को सच्चाई पूर्वक सामने रखा।
राजनाथ ने कहा था कि उन्होंने (अंबेडकर) कभी नहीं कहा कि उन्हें भारत में कितनी उपेक्षाएं मिली। उन्होंने कहा कि वह भारत को मजबूत करने के लिए भारत में ही रहेंगे। उन्होंने विदेश में बसने की बात कभी नहीं की। राजनाथ की टिप्पणी को लेकर विपक्षी दलों में बेचैनी दिखी, लेकिन अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।
उन्होंने कहा कि अंबेडकर देश को एक सूत्र में पिरोने वाले व्यक्ति थे, जबकि पहले केंद्रीय गृह मंत्री वल्लभभाई पटेल देश को एकीकृत करने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने महसूस किया कि कमजोर तबकों के लिए आरक्षण 'सामाजिक-राजनीतिक आवश्यकता' है और उन्होंने यह स्पष्ट किया था कि नीति को किसी तरह से कमजोर नहीं किया जाएगा।
राजनाथ ने कहा कि शब्द 'समाजवादी व पंथनिरपेक्षता' को संविधान में 42वें संविधान संशोधन के तहत जोड़ा गया था। यदि संविधान निर्माताओं को इसकी जरुरत होती तो वे संविधान की प्रस्तावना में ही इसे शामिल करते।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजनाथ का विरोध किया था उन्होंने कहा कि अंबेडकर इन शब्दों को प्रस्तावना में ही शामिल करना चाहते थे, लेकिन उस वक्त के माहौल के कारण वे ऐसा नहीं कर सके थे।
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