Thursday, November 5, 2015

'मौनमोहन' सिंह को भी चाहिए बोलने की आजादी

नई दिल्ली (सं.सू.)। इसे ही कहते हैं कि सब लड़की नाचने लगी तो लंगड़ी बोली कि हम भी नाचेंगी। भारत के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में बोलने की आजादी चाहिए। जब खुद पीएम थे तो कभी बोले ही नहीं और अब उनको शिकायत है कि इस सरकार में बोलने की स्वतंत्रता को दबाया जा रहा है।

शुक्रवार को पीएम मोदी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह एक ही कार्यक्रम में साथ-साथ दिखे। मनमोहन सिंह ने असहिष्णुता का मुद्दा उठाया। मौका था दिल्ली इकोनॉमिक कॉन्क्लेव के उद्घाटन का।

मनमोहन ने कहा कि देश का माहौल चुनौतीपूर्ण है। किसी को अपने विचार जाहिर करने के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है। असहिष्णुता की घटनाओं की हर एक सही व्यक्ति ने निंदा की है। बिना आजादी के शांति नहीं है और बिना शांति के आजादी नहीं है।

कालाधन वापस लाने के मुद्दे पर लगातार विपक्ष की आलोचना का सामना कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विदेशों में भारत का 10,500 करोड़ रुपए का कालाधन पता चल चुका है।

पीएम मोदी ने दावा किया कि जनधन योजना के तहत खोले गए खातों में अब तक 26 हजार करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि एक-एक रुपये का अधिकतम मूल्य हासिल किया गया और हमारे गरीबों का अधिकतम सशक्तीकरण हुआ।

मोदी ने कहा कि राजस्व बढ़ा है और ब्याज दरें कम हुई हैं। घाटा घटा है और रुपया स्थिर है। विश्व अर्थव्यवस्था ठीक नहीं है, लेकिन भारत की सफलता का राज हमारी अच्छी नीतियां हैं। जनधन योजना ने गरीबों को इलेक्ट्रॉनिक भुगतान करने के काबिल बनाया है।

पीएम मोदी ने कहा कि सरकार ने कृषि क्षेत्र में भी कई सुधार किए हैं, क्योंकि आज भी देश की बड़ी आबादी खेती पर निर्भर है। उन्होंने बताया कि अब सरकार यूरिया की यूनिवर्सल नीम कोटिंग की ओर बढ़ रही है। सॉइल हेल्थ कार्ड हर किसान की जमीन की स्थिति बताया है।

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