पटना (सं.सू.)। टैक्स में बढ़ोत्तरी के खिलाफ आंदोलन पर उतरे सूबे के व्यापारियों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो टूक जवाब दे दिया है। नीतीश ने साफ कर दिया कि आंदोलन से टैक्स वापस नहीं होने वाला है। सरकार को पैसे की जरूरत है और पैसा आसमान से नहीं टपकेगा बल्कि व्यापारियों के पास से ही आयेगा।
दरअसल, नीतीश पटना में फायर ब्रिगेड के कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे थे। लेकिन, खुद के अंदर ही आग लगी थी लिहाजा व्यापारियों से लेकर सरकारी अधिकारियों की जमकर क्लास लगायी। कहावत है आये थे हरिभजन को ओटन लगे कपास। कहावत पुरानी है लेकिन सीएम नीतीश कुमार के तेवर देख इसकी याद आ गयी।
नीतीश पटना में फायर ब्रिगेड की कार्यशाला का उद्घाटन करने पहुंचे थे। कार्यशाला में व्यवसायियों को देखा तो टैक्स में इजाफे के खिलाफ उनका आंदोलन याद आ गया। मंच से साफ साफ सुना दिया टैक्स कम नहीं होगा। सरकार से अगर बहुत नाराजगी है तो चुनाव में हिसाब कर लीजियेगा।
नीतीश के मन का गुब्बार व्यापारियों पर ही नहीं बल्कि सरकारी अधिकारियों पर भी निकला। सीएम ने बार-बार दुहराया कि अधिकारियों का बड़ा तबका काम नहीं करना चाहता। उनके बार-बार कहने के बावजूद काम नहीं होता। सरकारी अधिकारी जनता की सेवा करने के बजाय नौकरी करने में लगे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस दफे सरकार बनाने के बाद परिस्थितियां नीतीश कुमार के बहुत अनुकूल नहीं दिख रही हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री के सब्र का बांध भी टूटने लगा है। लिहाजा अब सरकारी और सार्वजनिक मंचों पर भी उनके मन का गुब्बार बाहर निकल कर आने लगा है।
दरअसल, नीतीश पटना में फायर ब्रिगेड के कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे थे। लेकिन, खुद के अंदर ही आग लगी थी लिहाजा व्यापारियों से लेकर सरकारी अधिकारियों की जमकर क्लास लगायी। कहावत है आये थे हरिभजन को ओटन लगे कपास। कहावत पुरानी है लेकिन सीएम नीतीश कुमार के तेवर देख इसकी याद आ गयी।
नीतीश पटना में फायर ब्रिगेड की कार्यशाला का उद्घाटन करने पहुंचे थे। कार्यशाला में व्यवसायियों को देखा तो टैक्स में इजाफे के खिलाफ उनका आंदोलन याद आ गया। मंच से साफ साफ सुना दिया टैक्स कम नहीं होगा। सरकार से अगर बहुत नाराजगी है तो चुनाव में हिसाब कर लीजियेगा।
नीतीश के मन का गुब्बार व्यापारियों पर ही नहीं बल्कि सरकारी अधिकारियों पर भी निकला। सीएम ने बार-बार दुहराया कि अधिकारियों का बड़ा तबका काम नहीं करना चाहता। उनके बार-बार कहने के बावजूद काम नहीं होता। सरकारी अधिकारी जनता की सेवा करने के बजाय नौकरी करने में लगे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस दफे सरकार बनाने के बाद परिस्थितियां नीतीश कुमार के बहुत अनुकूल नहीं दिख रही हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री के सब्र का बांध भी टूटने लगा है। लिहाजा अब सरकारी और सार्वजनिक मंचों पर भी उनके मन का गुब्बार बाहर निकल कर आने लगा है।
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