नई दिल्ली (सं.सू.)। साल 2007 में हुए समझौता ब्लास्ट को लेकर अब एक बड़ा खुलासा हुआ है। कर्नाटक एफएसल के पूर्व डायरेक्टर बीएम मोहन ने खुलासा करते हुए कहा कि समझौता ब्लास्ट को सिमी ने अंजाम दिया। उन्होंने दावा किया कि सिमी मॉड्यूल और पाकिस्तानी मदद से इस धमाके को अंजाम दिया गया।
बीएम मोहन ने दावा किया कि सिमी आतंकियों ने नार्को टेस्ट में खुलासा किया। इसमें सिमी आतंकियों ने समझौता ब्लास्ट का जिक्र किया। समझौता ब्लास्ट की सिमी से जुड़े लोगों ने योजना बनाई और अंजाम दिया। उन्होंने पाकिस्तान से फंडिंग की बात की। आतंकियों ने बम और टाइमर रखकर धमाका किया। सफदर नागोरी ब्लास्ट का मुख्य किरदार है। एक या दो शख्स पाकिस्तान से आकर इस ब्लास्ट के लिए लॉजिस्टिक मदद की। राहिल नाम के एक पाकिस्तानी शख्स से इस ब्लास्ट के लिए पैसे मुहैये कराए थे।
इस मामले में एनआईए की जांच में बीते दिनों एक नया पहलू सामने आया था। जांच इस कोण से जुड़ा कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट स्वामी असीमानंद ने नहीं बल्कि लश्कर ने करवाया था। इसकी पड़ताल के लिए खुद एनआईए के मुखिया बीते दिनों अमेरिका गए थे। अमेरिका ने 2009 में ही ये दावा किया था कि समझौता धमाका लश्कर का काम है। तो क्या पिछले 9 साल में हुई समझौता एक्सप्रेस धमाके की जांच गलत दिशा में जा रही थी, क्या पिछले 9 साल में समझौता एक्सप्रेस धमाके की जांच के दौरान गिरफ्तार हुए लोग धमाके में शामिल नहीं थे और क्या इस धमाके के पीछे दरअसल पाकिस्तान का ही हाथ था? जैसा कि पहले दिन से अंदेशा जताया जा रहा था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस माह के मध्य में कहा था कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, लेकिन मालेगांव विस्फोट मामले में उसके खिलाफ जांच चल रही है। एनआईए प्रमुख शरद कुमार ने कहा था कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। वह कभी भी आरोपी नहीं रहा। मुझे हैरानी है कि क्यों उसका नाम समझौता ब्लास्ट केस से जोड़ा गया। उन्होंने बताया कि पुरोहित के खिलाफ मुंबई एटीएस 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपित कर चुका है और एनआईए आगे की जांच कर रही है।
गौर हो कि साल 2007 में हुए समझौता ब्लास्ट में 68 लोगों की मौत हो गई थी। करीब चार साल की जांच के बाद एजेंसियों ने इस धमाके का मास्टरमाइंड स्वामी असीमानंद को बताया था। ये भी आरोप लगाया था कि वो बम का बदला बम से लेना चाहता था। इस धमाके की जांच के दौरान देश में काफी सियासत भी हुई।
बीएम मोहन ने दावा किया कि सिमी आतंकियों ने नार्को टेस्ट में खुलासा किया। इसमें सिमी आतंकियों ने समझौता ब्लास्ट का जिक्र किया। समझौता ब्लास्ट की सिमी से जुड़े लोगों ने योजना बनाई और अंजाम दिया। उन्होंने पाकिस्तान से फंडिंग की बात की। आतंकियों ने बम और टाइमर रखकर धमाका किया। सफदर नागोरी ब्लास्ट का मुख्य किरदार है। एक या दो शख्स पाकिस्तान से आकर इस ब्लास्ट के लिए लॉजिस्टिक मदद की। राहिल नाम के एक पाकिस्तानी शख्स से इस ब्लास्ट के लिए पैसे मुहैये कराए थे।
इस मामले में एनआईए की जांच में बीते दिनों एक नया पहलू सामने आया था। जांच इस कोण से जुड़ा कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट स्वामी असीमानंद ने नहीं बल्कि लश्कर ने करवाया था। इसकी पड़ताल के लिए खुद एनआईए के मुखिया बीते दिनों अमेरिका गए थे। अमेरिका ने 2009 में ही ये दावा किया था कि समझौता धमाका लश्कर का काम है। तो क्या पिछले 9 साल में हुई समझौता एक्सप्रेस धमाके की जांच गलत दिशा में जा रही थी, क्या पिछले 9 साल में समझौता एक्सप्रेस धमाके की जांच के दौरान गिरफ्तार हुए लोग धमाके में शामिल नहीं थे और क्या इस धमाके के पीछे दरअसल पाकिस्तान का ही हाथ था? जैसा कि पहले दिन से अंदेशा जताया जा रहा था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस माह के मध्य में कहा था कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, लेकिन मालेगांव विस्फोट मामले में उसके खिलाफ जांच चल रही है। एनआईए प्रमुख शरद कुमार ने कहा था कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। वह कभी भी आरोपी नहीं रहा। मुझे हैरानी है कि क्यों उसका नाम समझौता ब्लास्ट केस से जोड़ा गया। उन्होंने बताया कि पुरोहित के खिलाफ मुंबई एटीएस 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपित कर चुका है और एनआईए आगे की जांच कर रही है।
गौर हो कि साल 2007 में हुए समझौता ब्लास्ट में 68 लोगों की मौत हो गई थी। करीब चार साल की जांच के बाद एजेंसियों ने इस धमाके का मास्टरमाइंड स्वामी असीमानंद को बताया था। ये भी आरोप लगाया था कि वो बम का बदला बम से लेना चाहता था। इस धमाके की जांच के दौरान देश में काफी सियासत भी हुई।
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