नई दिल्ली (सं.सू.)। गुजरात में बीजेपी बड़े स्तर पर सियासी फेरबदल की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है। गुजरात के राजनीतिक हालात पर ओम प्रकाश माथुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें कई बड़े बदलाव को लेकर सलाह दी गई है।
गौरतलब है कि गुजरात में सियासी हालात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद ओम प्रकाश माथुर ने रिपोर्ट तैयार की। बताया जाता है कि इसके बाद पीएम ने ओम प्रकाश माथुर और नितिन पटेल दोनों से अलग-अलग बैठक भी की है।
राज्य में पाटीदारों के आंदोलन के बाद पिछले साल स्थानीय निकाय के चुनाव में बीजेपी को शहरों में बढ़त मिली, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रो में कांग्रेस ने जिस तरह से नतीजे देखने को मिले उसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी केंद्रीय नेतृव चिंताए बढ़ना लाजमी था। दिल्ली और बिहार विधानसभा में मिली हार से बीजेपी अभी तक पूरी तरह से उभर भी नहीं पाई है। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी की चिंता इस बात को लेकर है कि जिस तरह की राजनीतिक स्थिति इस वक्त गुजरात में बनी हुई है, इसका असर 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे में जरूर दिखाई देगा।
इस साल नवंबर महीने में आनंदीबेन पटेल 75 साल की हो जाएंगी। गुजरात में नवंबर 2017 में विधानसभा के चुनाव भी हैं। ऐसे में आनंदी बेन पटेल के नेतृव में चुनाव में उतरना फायदा कम और नुकसान ज्यादा करवा सकता है। चर्चा इस बात की भी है कि आनंदी बने पटेल को हरियाणा या पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया जा सकता है।
यही कारण है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात में अपने विश्वासपात्र और गुजरात के पूर्व प्रभारी ओम प्रकाश माथुर से गुजरात की राजनैतिक परिस्थितियों पर रिपोर्ट तैयार करवाई। पिछले हफ्ते अमित शाह ने गुजरात के सभी सांसदों और बीजेपी नेताओं की बैठक बुलाई और मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा की। इस वक्त गुजरात के प्रभारी दिनेश शर्मा, गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष विजय रूपानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी, जिसके बाद गुजरात में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है।
ओम प्रकाश माथुर ने अपनी रिपोर्ट में कहा-
1. हमें पाटीदारों का आंदोलन नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
2. राज्य सरकार और पार्टी में गुटबाजी को खत्म करना चाहिए।
3. राज्य सरकार में कई बड़े बदलाव करने होंगे।
4. सरकार और पार्टी के बीच में समन्वय की कमी को जल्दी से जल्दी दूर करना होगा।
5. सरकार के फैसलों में पार्टी की भागीदारी को बढ़ाना होगा।
6. केंद्रीय नेतृव को समय-समय पर पार्टी और सरकार के कामकाज की समीक्षा करनी चाहिए।
बताया जाता है कि ओम माथुर की इस रिपोर्ट के बाद ही पीएम मोदी और अमित शाह की सलाह के बाद राज्य सरकार ने सरकारी नौकरी में अगड़ी जातियों को आरक्षण का कानून पास किया। इसके तहत जिन परिवारों की सालाना आया छह लाख रुपये से कम है, उनके लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई।
गौरतलब है कि गुजरात में सियासी हालात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद ओम प्रकाश माथुर ने रिपोर्ट तैयार की। बताया जाता है कि इसके बाद पीएम ने ओम प्रकाश माथुर और नितिन पटेल दोनों से अलग-अलग बैठक भी की है।
राज्य में पाटीदारों के आंदोलन के बाद पिछले साल स्थानीय निकाय के चुनाव में बीजेपी को शहरों में बढ़त मिली, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रो में कांग्रेस ने जिस तरह से नतीजे देखने को मिले उसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी केंद्रीय नेतृव चिंताए बढ़ना लाजमी था। दिल्ली और बिहार विधानसभा में मिली हार से बीजेपी अभी तक पूरी तरह से उभर भी नहीं पाई है। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी की चिंता इस बात को लेकर है कि जिस तरह की राजनीतिक स्थिति इस वक्त गुजरात में बनी हुई है, इसका असर 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे में जरूर दिखाई देगा।
इस साल नवंबर महीने में आनंदीबेन पटेल 75 साल की हो जाएंगी। गुजरात में नवंबर 2017 में विधानसभा के चुनाव भी हैं। ऐसे में आनंदी बेन पटेल के नेतृव में चुनाव में उतरना फायदा कम और नुकसान ज्यादा करवा सकता है। चर्चा इस बात की भी है कि आनंदी बने पटेल को हरियाणा या पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया जा सकता है।
यही कारण है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात में अपने विश्वासपात्र और गुजरात के पूर्व प्रभारी ओम प्रकाश माथुर से गुजरात की राजनैतिक परिस्थितियों पर रिपोर्ट तैयार करवाई। पिछले हफ्ते अमित शाह ने गुजरात के सभी सांसदों और बीजेपी नेताओं की बैठक बुलाई और मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा की। इस वक्त गुजरात के प्रभारी दिनेश शर्मा, गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष विजय रूपानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी, जिसके बाद गुजरात में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है।
ओम प्रकाश माथुर ने अपनी रिपोर्ट में कहा-
1. हमें पाटीदारों का आंदोलन नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
2. राज्य सरकार और पार्टी में गुटबाजी को खत्म करना चाहिए।
3. राज्य सरकार में कई बड़े बदलाव करने होंगे।
4. सरकार और पार्टी के बीच में समन्वय की कमी को जल्दी से जल्दी दूर करना होगा।
5. सरकार के फैसलों में पार्टी की भागीदारी को बढ़ाना होगा।
6. केंद्रीय नेतृव को समय-समय पर पार्टी और सरकार के कामकाज की समीक्षा करनी चाहिए।
बताया जाता है कि ओम माथुर की इस रिपोर्ट के बाद ही पीएम मोदी और अमित शाह की सलाह के बाद राज्य सरकार ने सरकारी नौकरी में अगड़ी जातियों को आरक्षण का कानून पास किया। इसके तहत जिन परिवारों की सालाना आया छह लाख रुपये से कम है, उनके लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई।
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