नैनीताल (सं.सू.)। स्टिंग मामले की सीबीआई जांच को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने सीएम हरीश रावत को कोई राहत नहीं दी है। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद सीबीआई जांच खारिज करने की मांग मानने से साफ इनकार कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने सीएम हरीश रावत को जांच में सीबीआई को सहयोग करने का भी निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री हरीश रावत की ओर से शुक्रवार सुबह नैनीताल हाईकोर्ट र्में स्टिंग मामले की सीबीआई जांच खारिज करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। न्यायमूर्ति सर्वेश कुमार गुप्ता की एकलपीठ ने याचिका स्वीकार कर शाम पांच बजे इस पर सुनवाई शुरू की। सीएम के अधिवक्ता बीबीएस नेगी ने कहा कि सीबीआई जांच की संस्तुति किए जाने के दौरान प्रदेश में राष्ट्रपति शासन था। इस बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार दोबारा अस्तित्व में आ गई। नेगी ने कहा कि प्रदेश की पुलिस मामले की जांच करने में सक्षम है और कैबिनेट भी जांच वापस लेने की संस्तुति कर चुकी है। ऐसे में अब सीबीआई का जांच जारी रखना न्यायोचित नहीं है।
इसके विरोध में सीबीआई के वकील अरविन्द वशिष्ठ ने कहा कि सीबीआई राज्य सरकार की संस्तुति और केंद्र सरकार के आदेश पर जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती नहीं दी है। इसके अलावा किसी मामले की प्रारंभिक जांच की कार्रवाई के बीच न्यायिक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अभी मामले की प्रारंभिक जांच चल रही है। जांच में हरीश रावत ने सहयोग की बात कही थी, लेकिन दो बार सीबीआई कोर्ट में पेश नहीं हुए। वशिष्ठ ने कहा कि जांच शुरू होने के बाद इसे वापस लेने के कैबिनेट के फैसले का कोई असर नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि जांच खारिज करने की मांग न्यायसंगत नहीं है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद एकलपीठ ने जांच का आदेश खारिज करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि मामले की प्रारंभिक जांच को लेकर कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता। हालांकि, पीठ ने मामले में सीबीआई को भी अपना जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 31 मई को होगी।
निर्देश सुनाते वक्त एकलपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हरीश रावत को अपने पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। न्यायमूर्ति सर्वेश कुमार गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री को सीबीआई जांच में पूरा सहयोग करना चाहिए।
मुख्यमंत्री हरीश रावत की ओर से शुक्रवार सुबह नैनीताल हाईकोर्ट र्में स्टिंग मामले की सीबीआई जांच खारिज करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। न्यायमूर्ति सर्वेश कुमार गुप्ता की एकलपीठ ने याचिका स्वीकार कर शाम पांच बजे इस पर सुनवाई शुरू की। सीएम के अधिवक्ता बीबीएस नेगी ने कहा कि सीबीआई जांच की संस्तुति किए जाने के दौरान प्रदेश में राष्ट्रपति शासन था। इस बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार दोबारा अस्तित्व में आ गई। नेगी ने कहा कि प्रदेश की पुलिस मामले की जांच करने में सक्षम है और कैबिनेट भी जांच वापस लेने की संस्तुति कर चुकी है। ऐसे में अब सीबीआई का जांच जारी रखना न्यायोचित नहीं है।
इसके विरोध में सीबीआई के वकील अरविन्द वशिष्ठ ने कहा कि सीबीआई राज्य सरकार की संस्तुति और केंद्र सरकार के आदेश पर जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती नहीं दी है। इसके अलावा किसी मामले की प्रारंभिक जांच की कार्रवाई के बीच न्यायिक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अभी मामले की प्रारंभिक जांच चल रही है। जांच में हरीश रावत ने सहयोग की बात कही थी, लेकिन दो बार सीबीआई कोर्ट में पेश नहीं हुए। वशिष्ठ ने कहा कि जांच शुरू होने के बाद इसे वापस लेने के कैबिनेट के फैसले का कोई असर नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि जांच खारिज करने की मांग न्यायसंगत नहीं है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद एकलपीठ ने जांच का आदेश खारिज करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि मामले की प्रारंभिक जांच को लेकर कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता। हालांकि, पीठ ने मामले में सीबीआई को भी अपना जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 31 मई को होगी।
निर्देश सुनाते वक्त एकलपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री हरीश रावत को अपने पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। न्यायमूर्ति सर्वेश कुमार गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री को सीबीआई जांच में पूरा सहयोग करना चाहिए।
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