पटना,विनायक विजेता। वर्ष 2001 में सीवान के एसपी रहे 1996 बैच के वरीय आईपीएस अधिकारी बच्चू सिंह मीणा भी पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की हिट लिस्ट में हैं। वर्तमान में आईजी, सुरक्षा (सीआईडी) के महत्वपूर्ण पद पर काबिज बीएस मीणा वर्ष 2001 से ही शहाबुद्दीन की हिट लिस्ट में हैं। जब 2001 में बीएस मीणा सीवान के एसपी थे तो इस जिले में शहाबुद्दीन के अपराधिक साम्राज्य की तूती बोलती थी। 16 मार्च 2001 को वहां के तत्कालीन एसपी बीएस मीणा को सूचना मिली कि शहाबुद्दीन और उनके वैसे वांछित अपराधी शहाबुद्दीन के साथ उनके पैतृक गांव हुसैनगंज थाना के प्रतापपुर में ठहरे हुए हैं। विदित हो कि यही शहाबुद्दीन का पैतृक गाँव भी है।
इस महत्वपूर्ण सूचना के तुरंत बाद सारण के तत्कालीन डीआईजी सी आर कासवान, तत्कालीन जिलाधिकारी रशीद अहमद खां,तत्कालीन एसपी बच्चू सिंह मीणा ने पर्याप्त पुलिस बल के साथ प्रतापपुर गांव पर धावा बोल दिया। धावा दल को देखते ही शहाबुद्दीन समर्थक अपराधियों ने शहाबुद्दीन के घर और आसपास के घरों के छतों से अचानक अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। अचानक हुई इस फायरिंग से जबतक पुलिस दल संभलता तब तक एक आरक्षी बासुकी नाथ पांडेय को गोली लग चुकी थी और उनकी वहीं मौत हो गई। इसके बाद एसपी की अगुवाई में पुलिस बल ने मोर्चा संभाल जवाबी फायरिंग शुरू कर दी। लगभग छह घंटे तक लगातार चली इस मुठभेड़ में कई ग्रामीणों सहित कुल 13 लोग मारे गए थे तथा दोनों ओर से लगभग ढाई हजार राउंड फायरिंग हुई जिसमें लगभग एक हजार राउंड फायरिंग शहाबुद्दीन समर्थकों की तरफ से की गई। इस मुठभेड़ के बाद शहाबुद्दीन के और आसपास के घरों से एक एके-47, इस रायफल के 47 जिन्दा कारतूस व तीन मैगजीन, 313 बोर का एक रायफल, 9 एमएम का एक पिस्टल और दस कारतूस व 2 मैगजीन और 2 ग्रनेड बरामद हुए थे।
इस मुठभेड़ से खफा शहाबुद्दीन ने तभी से आईपीएस अधिकारी बीएस मीणा को अपने टारगेट में ले लिया और यह धमकी दे डाली की जरुरत पड़ी तो वह मीणा को उनके गृह राज्य राजस्थान तक भी पीछा कर मारेंगे ("I'll kill him even if I've to chase him to Rajasthan. No one can save him now." Siwan MP Mohammed Shahabuddin's tirade against SP Bacchu Singh Meena who led the police raid on his house.-published in OUTLOOK-2001. वर्ष 2003 में बिहार के तत्कालीन डीजीपी डीपी ओझा ने अपने पत्रांक 5922 एक्सएल (गोपनीय) दिनांक 1 अगस्त 2003 के द्वारा तत्कालीन गृह सचिव बीके हलधर को इस मामले से अवगत कराया था।
शहाबुद्दीन के पास से बरामद एके-47 जैसे दर्जनों घातक हथियारों में से कुछ हथियार शहाबुद्दीन को कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों द्वारा मुहैया कराया जाता है। इसका खुलासा किया जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए एक आतंकी मुश्ताक अहमद ने। शीर्ष खुफिया एजेंसी आईबी द्वारा शहाबुद्दीन के खिलाफ तैयार किए गए 265 पन्नों के चैकाने वाले दस्तावेज में मुश्ताक के इकबालिया बयान के वह पांच पृष्ठ भी हैं जिसमें मुश्ताक ने स्वीकार किया है कि कश्मीर से सेब के बक्से लेकर दिल्ली जाने वाले ट्रक में एके-47 और अन्य हथियार छुपाकर भेजता था। यह हथियार क्रिकेट कीट बैग में रखकर ले जाया जाता था जिसे लेने शहाबुद्दीन दिल्ली के आजादपुर सब्जी मंडी में खुद एक मारुति जेन कार से आते थे।
इस महत्वपूर्ण सूचना के तुरंत बाद सारण के तत्कालीन डीआईजी सी आर कासवान, तत्कालीन जिलाधिकारी रशीद अहमद खां,तत्कालीन एसपी बच्चू सिंह मीणा ने पर्याप्त पुलिस बल के साथ प्रतापपुर गांव पर धावा बोल दिया। धावा दल को देखते ही शहाबुद्दीन समर्थक अपराधियों ने शहाबुद्दीन के घर और आसपास के घरों के छतों से अचानक अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। अचानक हुई इस फायरिंग से जबतक पुलिस दल संभलता तब तक एक आरक्षी बासुकी नाथ पांडेय को गोली लग चुकी थी और उनकी वहीं मौत हो गई। इसके बाद एसपी की अगुवाई में पुलिस बल ने मोर्चा संभाल जवाबी फायरिंग शुरू कर दी। लगभग छह घंटे तक लगातार चली इस मुठभेड़ में कई ग्रामीणों सहित कुल 13 लोग मारे गए थे तथा दोनों ओर से लगभग ढाई हजार राउंड फायरिंग हुई जिसमें लगभग एक हजार राउंड फायरिंग शहाबुद्दीन समर्थकों की तरफ से की गई। इस मुठभेड़ के बाद शहाबुद्दीन के और आसपास के घरों से एक एके-47, इस रायफल के 47 जिन्दा कारतूस व तीन मैगजीन, 313 बोर का एक रायफल, 9 एमएम का एक पिस्टल और दस कारतूस व 2 मैगजीन और 2 ग्रनेड बरामद हुए थे।
इस मुठभेड़ से खफा शहाबुद्दीन ने तभी से आईपीएस अधिकारी बीएस मीणा को अपने टारगेट में ले लिया और यह धमकी दे डाली की जरुरत पड़ी तो वह मीणा को उनके गृह राज्य राजस्थान तक भी पीछा कर मारेंगे ("I'll kill him even if I've to chase him to Rajasthan. No one can save him now." Siwan MP Mohammed Shahabuddin's tirade against SP Bacchu Singh Meena who led the police raid on his house.-published in OUTLOOK-2001. वर्ष 2003 में बिहार के तत्कालीन डीजीपी डीपी ओझा ने अपने पत्रांक 5922 एक्सएल (गोपनीय) दिनांक 1 अगस्त 2003 के द्वारा तत्कालीन गृह सचिव बीके हलधर को इस मामले से अवगत कराया था।
शहाबुद्दीन के पास से बरामद एके-47 जैसे दर्जनों घातक हथियारों में से कुछ हथियार शहाबुद्दीन को कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों द्वारा मुहैया कराया जाता है। इसका खुलासा किया जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए एक आतंकी मुश्ताक अहमद ने। शीर्ष खुफिया एजेंसी आईबी द्वारा शहाबुद्दीन के खिलाफ तैयार किए गए 265 पन्नों के चैकाने वाले दस्तावेज में मुश्ताक के इकबालिया बयान के वह पांच पृष्ठ भी हैं जिसमें मुश्ताक ने स्वीकार किया है कि कश्मीर से सेब के बक्से लेकर दिल्ली जाने वाले ट्रक में एके-47 और अन्य हथियार छुपाकर भेजता था। यह हथियार क्रिकेट कीट बैग में रखकर ले जाया जाता था जिसे लेने शहाबुद्दीन दिल्ली के आजादपुर सब्जी मंडी में खुद एक मारुति जेन कार से आते थे।
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