छपरा (सं.सू.)। ये छपरा का जिला स्कूल है। ऐतिहासिक स्कूल। यहीं से देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1906 में 10वीं पास की थी। स्कूल को अपग्रेड कर इंटर कॉलेज बना दिया गया है। ब्लॉक लेवल के तमाम शिक्षाधिकारियों का दफ्तर भी इसी ऐतिहासिक कैंपस में है। 600 के करीब स्टूडेंट्स हैं। नहीं हैं… तो बस टीचर। हाईस्कूल यानी 10वीं तक के लिए एक भी टीचर्स नहीं।आए दिन क्लासेज होती हैं सस्पेंड.......
इंटर यानी 11वीं-12वीं के लिए 46 के विरुद्ध मात्र 16 टीचर्स। नतीजतन, इस स्कूल में सब कुछ हो रहा है सिवाय पढ़ाई के। प्रिंसिपल रतन सिंह मानते हैं कि टीचर्स के अभाव में पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बोले- हमने टीचर्स की कमी से सीनियर ऑफिसर्स को अवगत करा दिया है। वैसे, स्कूल कैंपस में राजेंद्र वाटिका विकसित करने की तैयारी है। राजेंद्र बाबू के नाम पर संग्रहालय स्थापित करने का प्रयास चल रहा है। प्लस टू के टीचर्स कभी-कभार नौवीं-दसवीं के छात्रों को पढ़ा दिया करते हैं। आए दिन क्लासेज सस्पेंड रहती हैं। इन कारणों से स्टूडेंट्स की उपस्थिति 25 से 30 फीसदी ही रहती है। सभी तरह के ऑफिस होने के कारण रोज-ब-रोज कोई न कोई मीटिंग होती रहती है। इससे भी पढ़ाई पर फर्क पड़ता है।
जिला स्कूल कैंपस में ही एक नवस्थापित हाईस्कूल चलता है। इसके प्राचार्य पद के प्रभार में जिला स्कूल के ही प्राचार्य हैं। इस स्कूल में करीब 150 स्टूडेंट्स नॉमिनेटेड हैं, लेकिन टीचर एक भी नहीं हैं, इस कारण क्लासेज नहीं लगतीं। इतना ही नहीं जिला स्कूल बिल्डिंग में ही जिला शिक्षा कार्यालय, डीपीओ माध्यमिक शिक्षा, साक्षरता कार्यालय तथा योजना एवं लेखा कार्यालय है। इन ऑफिस को किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए स्कूल के प्रिंसिपल ने कई बार पत्राचार भी किया था। परंतु कोई सुनवाई नहीं हुई। स्कूल में शिक्षा कार्यालय होने के कारण भी पढ़ाई नियमित नहीं हो पाती।
इंटर यानी 11वीं-12वीं के लिए 46 के विरुद्ध मात्र 16 टीचर्स। नतीजतन, इस स्कूल में सब कुछ हो रहा है सिवाय पढ़ाई के। प्रिंसिपल रतन सिंह मानते हैं कि टीचर्स के अभाव में पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बोले- हमने टीचर्स की कमी से सीनियर ऑफिसर्स को अवगत करा दिया है। वैसे, स्कूल कैंपस में राजेंद्र वाटिका विकसित करने की तैयारी है। राजेंद्र बाबू के नाम पर संग्रहालय स्थापित करने का प्रयास चल रहा है। प्लस टू के टीचर्स कभी-कभार नौवीं-दसवीं के छात्रों को पढ़ा दिया करते हैं। आए दिन क्लासेज सस्पेंड रहती हैं। इन कारणों से स्टूडेंट्स की उपस्थिति 25 से 30 फीसदी ही रहती है। सभी तरह के ऑफिस होने के कारण रोज-ब-रोज कोई न कोई मीटिंग होती रहती है। इससे भी पढ़ाई पर फर्क पड़ता है।
जिला स्कूल कैंपस में ही एक नवस्थापित हाईस्कूल चलता है। इसके प्राचार्य पद के प्रभार में जिला स्कूल के ही प्राचार्य हैं। इस स्कूल में करीब 150 स्टूडेंट्स नॉमिनेटेड हैं, लेकिन टीचर एक भी नहीं हैं, इस कारण क्लासेज नहीं लगतीं। इतना ही नहीं जिला स्कूल बिल्डिंग में ही जिला शिक्षा कार्यालय, डीपीओ माध्यमिक शिक्षा, साक्षरता कार्यालय तथा योजना एवं लेखा कार्यालय है। इन ऑफिस को किसी दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए स्कूल के प्रिंसिपल ने कई बार पत्राचार भी किया था। परंतु कोई सुनवाई नहीं हुई। स्कूल में शिक्षा कार्यालय होने के कारण भी पढ़ाई नियमित नहीं हो पाती।
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