Friday, November 27, 2015

आत्महत्या करने जैसा होगा संविधान बदलने का प्रयास-पीएम मोदी

नई दिल्ली (सं.सू.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन आरोपों को ‘भ्रम फैलाना’ बताया कि संविधान बदलने के प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करना आत्महत्या करने जैसा होगा। असहिष्णुता की बहस के बीच साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार का एक ही धर्म है इंडिया फर्स्ट, सरकार का एक ही धर्मग्रंथ है भारत का संविधान।

सर्व पंथ समभाव को आईडिया आफ इंडिया बताते हुए उन्होंने कहा कि देश संविधान के अनुसार चला है और आगे भी संविधान के अनुसार ही चलेगा। लोकसभा में संविधान के प्रति प्रतिबद्धता पर दो दिवसीय विशेष चर्चा का आज जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘यह भ्रम फैलाया जा है कि संविधान बदलने के बारे में सोचा जा रहा है। न कभी कोई संविधान बदलने के बारे में सोच सकता है और मैं समझता हूं कि कोई ऐसा सोचेगा तब वह आत्महत्या करेगा।’

संविधान की प्रस्तावना में 42वें संशोधन के साथ जोड़े गए सेक्युलर शब्द पर सवाल उठाये जाने के बीच प्रधानमंत्री का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि कल गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस चर्चा में भाग लेते हुए सेक्युलर शब्द पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इसका सबसे अधिक राजनीतिक दुरूपयोग हो रहा है। इस पर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार इस शब्द या उसकी व्याख्या बदलना चाहती है।

संविधान बदलने की बात को भ्रम बताते हुए मोदी ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि हमारा ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि दलितों, शोषितों और पीड़ितों के भाग्य को कैसे बदला जाए, इस बात पर होना चाहिए।’ सर्व पंथ समभाव को आईडिया आफ इंडिया बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह भाषा, वह भाषा, यह भूभाग, वह भूभाग की बातों से ऊपर उठकर समाज के सभी वर्गों और जन-जन को साथ लेकर राष्ट्र को मजबूत बनाना है।

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