Wednesday, November 4, 2015

न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर होंगे अगले प्रधान न्यायाधीश

नई दिल्ली (सं.सू.)। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर देश के नए प्रधान न्यायाधीश होंगे। मौजूदा प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू के दो दिसंबर को सेवानिवृत्त होने पर न्यायमूर्ति ठाकुर प्रधान न्यायाधीश का पदभार ग्रहण करेंगे। प्रधान न्यायाधीश दत्तू ने शीर्ष अदालत के वरिष्ठतम न्यायाधीश ठाकुर को प्रधान न्यायाधीश नियुक्त करने की सरकार से सोमवार को सिफारिश कर दी। न्यायमूर्ति ठाकुर की नियुक्ति के मामले में कानून मंत्रालय से औपचारिकता पूरी होने के बाद उनकी फाइल प्रधानमंत्री कार्यालय भेजी जाएगी। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की जाएगी।

न्यायमूर्ति ठाकुर देश के 43वें प्रधान न्यायाधीश होंगे। न्यायमूर्ति ठाकुर का जन्म चार जनवरी, 1952 को हुआ था। उन्होंने बतौर वकील अक्तूबर 1972 में अपना पंजीकरण कराया और जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में दीवानी, फौजदारी, टैक्स, संवैधानिक मामलों व नौकरी से संबंधित मामलों में वकालत शुरू की। इसके बाद उन्होंने अपने पिता प्रसिद्ध वकील डीडी ठाकुर के चैंबर में काम शुरू किया। न्यायमूर्ति ठाकुर के पिता भी जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के न्यायाधीश और फिर केंद्रीय मंत्री रहे थे।

न्यायमूर्ति ठाकुर को 17 नवंबर, 2009 को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। देश के प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल एक साल से कुछ अधिक चार जनवरी, 2017 तक रहेगा। 63 वर्षीय ठाकुर ने आइपीएल स्पाट फिक्सिंग और सट्टेबाजी प्रकरण में फैसला सुनाने वाले पीठ की अध्यक्षता की थी। बहुचर्चित सारदा चिट फंड घोटाले के मामले की जांच की निगरानी भी न्यायमूर्ति ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ही कर रही है।

न्यायमूर्ति ठाकुर की अध्यक्षता वाला पीठ ही उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में करोड़ों रुपए के घोटाले के मामले की भी सुनवाई कर रही है। इस मामले में अन्य नेताओं और नौकरशाहों के साथ ही उप्र के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा भी आरोपी है। न्यायमूर्ति ठाकुर को 1990 में वरिष्ठ वकील मनोनीत किया गया। इसके चार साल बाद 16 फरवरी, 1994 को उन्हें जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और मार्च 1994 में उनका तबादला कर्नाटक हाई कोर्ट कर दिया गया। बाद में सितंबर 1995 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश बना दिया गया और फिर जुलाई 2004 में उनका तबादला दिल्ली हाई कोर्ट कर दिया गया था। न्यायमूर्ति ठाकुर नौ अप्रैल 2008 से 11 अगस्त 2008 के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी थे।

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