मधुबनी (सं.सू.)। बिहार में विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि राजद सुप्रीमो लालू यादव सुपर सीएम के रूप में काम कर रहे हैं।
विपक्ष के इन आरोपों में दम है। इस बात का खुलासा सोमवार को दरभंगा सिविल सर्जन के एक आधिकारिक पत्र (ज्ञापांक- 32,डीएचएस /2016 ) से हो रहा है।
सिविल सर्जन डॉ श्रीराम सिंह के इस पत्र के अनुसार राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने उन्हें फोन करके डीएमसीएच में पूर्व में मुक्त कर दी गईं ममता कार्यकर्ताओं को फिर से काम पर लेने का निर्देश दिया है। पत्र को देखें तो लालू के फोन के बाद सिविल सर्जन हरकत में आए और उन्होंने डीएमसीएच अधीक्षक को एक ऑफिसियल पत्र जारी कर दिया।
उन्होंने इस पत्र में लालू प्रसाद के टेलीफोनिक निर्देश का हवाला देते हुए अधीक्षक से अनुरोध किया है कि चयन मुक्त की गईं ममता कार्यकर्ताओं को फिर से काम पर लिया जाए।
दरभंगा सिविल सर्जन ने इस पत्र की कॉपी दरभंगा डीएम, बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को भी भेज दिया है। इस पत्र के सार्वजनिक होने के बाद चर्चाओं का बाज़ार गर्म है।
इस मसले पर न्यूज़18/ईटीवी से बात करते हुए लालू यादव ने स्वीकार किया और कहा कि मेरे पास चार अनुसूचित जाति की महिलाएं आईं थी तब मैंने फोन किया था। मेरे पास प्रतिदिन लोग फरियाद लेकर आते हैं और मैं कैसे अनसूना कर सकता हूं।
उधर विपक्ष ने पूरे मामले पर हमला बोल दिया है। प्रदेश बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता बिनोद नारायण झा ने कहा कि नीतीश कुमार डमी मुख्यमंत्री हैं और इस तरह के खुलासे से साबित हो रहा है कि बिहार में असली सत्ता किसके पास हैं?
इसके पहले भी लालू यादव के आईजीआईएमएम के दौरे पर काफी बवाल मचा था और विपक्ष के उनके हॉस्पिटल दौरे पर कई सवाल उठाए हैं। ये भी आरोप लगा था कि लालू यादव बेटे की जगह खुद स्वास्थ्य मंत्री के रुप में काम कर रहे हैं।
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