पटना (सं.सू.)। बिहार स्वास्थ्य सेवा के एमबीबीएस डॉक्टरों सहित पीजी डिप्लोमा (डीएनबी) तथा इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के पीजी डॉक्टर जो 28 जनवरी, 2011 से 22 दिसंबर 2011 के बीच 62 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्हें पटना हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। अदालत ने इन डॉक्टरों को 65 वर्ष में रिटायर करने का आदेश दिया है। हालांकि आज की तारीख में इन डॉक्टरों की उम्र 65 वर्ष से अधिक हो चुकी है, इसलिए इन सभी को तीन वर्षों का वेतनमान देने का आदेश कोर्ट ने दिया है। साथ ही नए सिरे से पेंशन निर्धारण कर इनको भुगतान का आदेश दिया है। अदालत ने राज्य सरकार को तीन माह के भीतर सारी प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है।
साथ ही उनकी अपील खारिज कर दी। न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह तथा न्यायमूर्ति नीलू अग्रवाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से दायर अपील (एलपीए) पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। विदित है कि इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के डॉक्टरों ने सेवानिवृत्त उम्र सीमा 62 के बजाए 65 वर्ष करने के बारे में एक केस हाईकोर्ट में दायर किया था। आधे दर्जन रिट याचिकाओं पर न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष करने का आदेश दिया था। एकलपीठ के फैसला को राज्य सरकार ने अपील दायर कर चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई के बाद सरकार की हर दलील को नामंजूर करते हुए कहा कि बिहार स्वास्थ्य सेवा के वैसे डॉक्टर जो 28 जनवरी से 22 दिसंबर 2011 के बीच 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त कर दिए गए हैं, वह गलत है। इन सभी डॉक्टरों को 65 वर्ष में सेवानिवृत्त किया जाना है, लेकिन मौजूदा समय में सभी की उम्र 65 से ज्यादा हो चुकी है। ऐसे में उन्हें सिर्फ वित्तीय लाभ ही मिल सकता है।
साथ ही उनकी अपील खारिज कर दी। न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह तथा न्यायमूर्ति नीलू अग्रवाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से दायर अपील (एलपीए) पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। विदित है कि इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के डॉक्टरों ने सेवानिवृत्त उम्र सीमा 62 के बजाए 65 वर्ष करने के बारे में एक केस हाईकोर्ट में दायर किया था। आधे दर्जन रिट याचिकाओं पर न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष करने का आदेश दिया था। एकलपीठ के फैसला को राज्य सरकार ने अपील दायर कर चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई के बाद सरकार की हर दलील को नामंजूर करते हुए कहा कि बिहार स्वास्थ्य सेवा के वैसे डॉक्टर जो 28 जनवरी से 22 दिसंबर 2011 के बीच 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त कर दिए गए हैं, वह गलत है। इन सभी डॉक्टरों को 65 वर्ष में सेवानिवृत्त किया जाना है, लेकिन मौजूदा समय में सभी की उम्र 65 से ज्यादा हो चुकी है। ऐसे में उन्हें सिर्फ वित्तीय लाभ ही मिल सकता है।
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