पटना (सं.सू.)। बिहार टॉपर घोटाला मामले में मास्टरमाइंड बच्चा राय के
नेताओं से संबंध होने का मामला लगातार तूल पकड़ रहा है। सबसे पहले बच्चा
राय को आरजेडी चीफ लालू यादव का करीबी बताया गया। उनके साथ के फोटो और
वीडियो मीडिया में आए। इसके बाद रविवार को डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने
केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह की बच्चा राय के साथ फोटो ट्विटर पर
शेयर की। अब सीएम नीतीश कुमार के साथ बच्चा राय की फोटो वायरल हो रही है।
तेजस्वी यादव ने मास्टरमाइंड और बीजेपी के नेता गिरिराज सिंह के बीच कनेक्शन का आरोप लगाया था। तेजस्वी ने फोटोज शेयर करते हुए कहा, ''मोदी के फेवरेट मंत्री स्कैम आरोपी और उसके पिता के साथ। वह मुख्य आरोपी बच्चा राय के बस पार्टनर और फैमिली फ्रेंड हैं।''
आरजेडी की ओर से आरोप लगाया गया है कि गिरिराज ने बच्चा को बिहार में मेडिकल कॉलेज खुलवाने का भरोसा भी दिलाया था। बता दें कि गिरफ्तारी के बाद बच्चा ने पुलिस और एसआईटी की पूछताछ में एक केंद्रीय मंत्री का नाम लिया था।
बोर्ड के एक्स प्रेसिडेंट लालकेश्वर प्रसाद की पत्नी उषा सिन्हा का नाम भी अब टॉपर घोटाले में सामने आया है। उषा पर दलालों के माध्यम से सेंटर को फिक्स करने का आरोप लगा है। खुद पटना एसएसपी मनु महाराज ने मीडिया को जानकारी दी है। नाम आमने आने के बाद उषा फरार हो गई हैं। इस घोटाले में संस्कृत शिक्षा बोर्ड के मेंबर संजीव झा और पटना विवि के लेक्चरर अजीत कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों लालकेश्वर के साथ मिलकर सेंटर को फिक्स करते थे।
बिहार के इंटर टॉपर घोटाले के मास्टरमाइंड बच्चा राय को शनिवार को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया। इंटर में खुद दो बार फेल हो चुका बच्चा राय पैसे लेकर स्टूडेंट्स को टॉपर बनाता था। यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया था, जब राय के कॉलेज से पास हुई आर्ट्स टॉपर रूबी राय ने पॉलिटिकल साइंस को प्रोडिकल साइंस बताया था और साइंस टॉपर सौरभ श्रेष्ठ कुछ सवालों का जवाब नहीं दे पाया था। एक चैनल के स्टिंग ऑपरेशन से यह खुलासा हुआ था।
पुलिस की अब तक की जांच में खुलासा हुआ है कि बच्चा राय एग्जाम होने से पहले ही बिहार बोर्ड के अफसरों के साथ मिलकर इंटर के टॉपर्स के नाम तय कर लेता था। जिन लड़कों के नाम तय हो जाते थे, उनसे पैसा एडवांस में ही ले लिया जाता था। बाद में मार्कशीट और सर्टिफिकेट का पैसा अलग से लिया जाता था। इसका पूरा खर्च नंबर्स के बेस पर तीन से पांच लाख रुपए के आस-पास आता था।
आरोप है कि पूरे फर्जीवाड़े में राजेन्द्र नगर ब्वॉयज स्कूल के प्रिंसिपल बिश्वेश्वर यादव, पटना यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर लालकेश्वर प्रसाद, असेसमेंट सेंटर के ड्यूटी अफसर संजीव सुमन के अलावा बिहार स्कूल एग्जाम कमेटी के अफसर शंभुनाथ और रंजीत मिश्रा भी शामिल थे। हाजीपुर जीए इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल साहिल कुमार को भी इन लोगों ने अपने साथ फर्जीवाड़े में शामिल किया हुआ था। बच्चा राय के बिशुन राय कॉलेज का एग्जाम सेंटर यहीं पर होता था।
पुलिस को पता चला है कि वैशाली के कई स्कूल इस फर्जीवाड़े में कस्टमर तलाशते थे। इनमें कुछ बिहार से बाहर के भी होते थे, जिनका फॉर्म बिशुन राय कॉलेज से भरवा दिया जाता था। आरोप है कि इसकी लिस्ट शम्भुनाथ और रणजीत मिश्रा को दे दी जाती थी। इनको मिलने वाले नंबर्स और पैसों का फैसला बच्चा खुद करता था। अलग-अलग डिविजन से पास कराने के रेट भी अलग-अलग थे।
टॉपर्स को 5 लाख रुपए देने पड़ते थे। अच्छे स्कोर के लिए 80 हजार, फर्स्ट डिविजन के लिए 50 हजार और प्रॉक्सी राइटर्स के लिए 15 हजार रुपए तक लिए जाते थे।
तेजस्वी यादव ने मास्टरमाइंड और बीजेपी के नेता गिरिराज सिंह के बीच कनेक्शन का आरोप लगाया था। तेजस्वी ने फोटोज शेयर करते हुए कहा, ''मोदी के फेवरेट मंत्री स्कैम आरोपी और उसके पिता के साथ। वह मुख्य आरोपी बच्चा राय के बस पार्टनर और फैमिली फ्रेंड हैं।''
आरजेडी की ओर से आरोप लगाया गया है कि गिरिराज ने बच्चा को बिहार में मेडिकल कॉलेज खुलवाने का भरोसा भी दिलाया था। बता दें कि गिरफ्तारी के बाद बच्चा ने पुलिस और एसआईटी की पूछताछ में एक केंद्रीय मंत्री का नाम लिया था।
बोर्ड के एक्स प्रेसिडेंट लालकेश्वर प्रसाद की पत्नी उषा सिन्हा का नाम भी अब टॉपर घोटाले में सामने आया है। उषा पर दलालों के माध्यम से सेंटर को फिक्स करने का आरोप लगा है। खुद पटना एसएसपी मनु महाराज ने मीडिया को जानकारी दी है। नाम आमने आने के बाद उषा फरार हो गई हैं। इस घोटाले में संस्कृत शिक्षा बोर्ड के मेंबर संजीव झा और पटना विवि के लेक्चरर अजीत कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों लालकेश्वर के साथ मिलकर सेंटर को फिक्स करते थे।
बिहार के इंटर टॉपर घोटाले के मास्टरमाइंड बच्चा राय को शनिवार को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया। इंटर में खुद दो बार फेल हो चुका बच्चा राय पैसे लेकर स्टूडेंट्स को टॉपर बनाता था। यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया था, जब राय के कॉलेज से पास हुई आर्ट्स टॉपर रूबी राय ने पॉलिटिकल साइंस को प्रोडिकल साइंस बताया था और साइंस टॉपर सौरभ श्रेष्ठ कुछ सवालों का जवाब नहीं दे पाया था। एक चैनल के स्टिंग ऑपरेशन से यह खुलासा हुआ था।
पुलिस की अब तक की जांच में खुलासा हुआ है कि बच्चा राय एग्जाम होने से पहले ही बिहार बोर्ड के अफसरों के साथ मिलकर इंटर के टॉपर्स के नाम तय कर लेता था। जिन लड़कों के नाम तय हो जाते थे, उनसे पैसा एडवांस में ही ले लिया जाता था। बाद में मार्कशीट और सर्टिफिकेट का पैसा अलग से लिया जाता था। इसका पूरा खर्च नंबर्स के बेस पर तीन से पांच लाख रुपए के आस-पास आता था।
आरोप है कि पूरे फर्जीवाड़े में राजेन्द्र नगर ब्वॉयज स्कूल के प्रिंसिपल बिश्वेश्वर यादव, पटना यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर लालकेश्वर प्रसाद, असेसमेंट सेंटर के ड्यूटी अफसर संजीव सुमन के अलावा बिहार स्कूल एग्जाम कमेटी के अफसर शंभुनाथ और रंजीत मिश्रा भी शामिल थे। हाजीपुर जीए इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल साहिल कुमार को भी इन लोगों ने अपने साथ फर्जीवाड़े में शामिल किया हुआ था। बच्चा राय के बिशुन राय कॉलेज का एग्जाम सेंटर यहीं पर होता था।
पुलिस को पता चला है कि वैशाली के कई स्कूल इस फर्जीवाड़े में कस्टमर तलाशते थे। इनमें कुछ बिहार से बाहर के भी होते थे, जिनका फॉर्म बिशुन राय कॉलेज से भरवा दिया जाता था। आरोप है कि इसकी लिस्ट शम्भुनाथ और रणजीत मिश्रा को दे दी जाती थी। इनको मिलने वाले नंबर्स और पैसों का फैसला बच्चा खुद करता था। अलग-अलग डिविजन से पास कराने के रेट भी अलग-अलग थे।
टॉपर्स को 5 लाख रुपए देने पड़ते थे। अच्छे स्कोर के लिए 80 हजार, फर्स्ट डिविजन के लिए 50 हजार और प्रॉक्सी राइटर्स के लिए 15 हजार रुपए तक लिए जाते थे।
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