मथुरा (सं.सू.)। मथुरा के जवाहर बाग में 2014 में कब्जा करने के बाद से
स्वाधीन भारत सुभाष सेना लड़ने की तैयारियां कर रही थी। सेना के लोग
हथियार, विस्फोटक, देशी बम इकट्ठा कर रहे थे और यह सब जिला प्रशासन की नाक
के नीचे हो रहा था। जवाहर बाग के एक तरफ मथुरा एसपी का दफ्तर है जबकि
दूसरी ओर तहसील कार्यालय है। इसी रोड पर जिला मजिस्ट्रेट, मथुरा जिला
अदालत, पुलिस कंट्रोल रूम, रिजर्व पुलिस लाइन और मथुरा जेल है। गुरुवार को
स्वाधीन भारत सुभाष सेना और पुलिस के बीच जिस जगह पर टकराव हुआ वह मथुरा
छावनी से केवल 2 किलोमीटर दूर है। शुक्रवार को स्थानीय लोगों, प्रशासनिक
अधिकारियों और पुलिस ने बताया कि स्वाधीन भारत सुभाष सेना को निकालने के
ऑपरेशन में कमियां थी।
जिला प्रशासन का दावा है कि ऑपरेशन जवाहर बाग का प्लान एक महीने से बनाया जा रहा था। गुरुवार को एसपी(मुकुल द्विवेदी और सिटी मजिस्ट्रेट राम अरज यादव के नेतृत्व में केवल 60 पुलिसकर्मियों को 3000 हथियारबंद सत्याग्रहियों का सामना करने के लिए भेजा गया। जमीन खाली करने के लिए स्वाधीन भारत सुभाष सेना को 23 नोटिस जारी किए गए। पिछले 15 दिन में जवाहर बाग की रैकी के लिए तीन ऑपरेशन चलाए गए। जब तक अतिरिक्त पुलिस बल मौके पर पहुंचा तब तक सुभाष सेना के लोगों ने पुलिसकर्मियों को घेर लिया था। दो साल से स्थानीय इंटेलीजेंस यूनिट और पुलिस जवाहर बाग में जाने में असफल रही। साथ ही उसके नेता रामवृक्ष यादव और बिहार के चंदन बोस के बारे में भी पता नहीं लगा सकी।
2015 में यूपी डीजीपी एके जैन को जवाहर बाग में आपराधिक तत्वों की जानकारी मिली थी। रिपोर्ट में अवैध हथियारों और विस्फोटकों के बारे में भी कहा गया था। जैन ने इस बारे में कार्रवाई के लिए निर्देश मांगे थे लेकिन उन्हें कोर्ट के आदेश का इंतजार करने को कहा गया। इंटेलीजेंस रिपोर्ट में कहा गया कि मध्य प्रदेश से ट्रकों में अनाज लाया जा रहा है। उनका कहना था कि सेना के 2000 सदस्यों ने अंदर निर्माण कर लिया। साथ ही देशी पिस्तौल और बम बनाने के लिए जानकारों को भी बुलाया गया।
Rजवाहर बाग मामले में पीआईएल दाखिल करने वाले वकील विजयपाल सिंह तोमर ने बताया कि जमीन पर कब्जा करने वाले किसी व्यक्ति की पहचान नहीं की गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर एफआईआर दर्ज की लेकिन किसी का नाम नहीं लिखा गया। पुलिस ने मारपीट, अगवा करने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में सेना के सात लोगों पर मामला दर्ज किया। विजयपाल सिंह ने बताया, ”इन लोगों पर दर्जनों मामले दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उनके पास बिजली-पानी का कनेक्शन और अन्य जरूरी सुविधाएं मौजूद थीं।” इंटेलीजेंस ने साथ ही कहा था कि जवाहर बाग में बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड से कई लोग इकट्ठा हुए हैं। ये समानांतर सरकार चलाने में विश्वास करते हैं।
जिला प्रशासन का दावा है कि ऑपरेशन जवाहर बाग का प्लान एक महीने से बनाया जा रहा था। गुरुवार को एसपी(मुकुल द्विवेदी और सिटी मजिस्ट्रेट राम अरज यादव के नेतृत्व में केवल 60 पुलिसकर्मियों को 3000 हथियारबंद सत्याग्रहियों का सामना करने के लिए भेजा गया। जमीन खाली करने के लिए स्वाधीन भारत सुभाष सेना को 23 नोटिस जारी किए गए। पिछले 15 दिन में जवाहर बाग की रैकी के लिए तीन ऑपरेशन चलाए गए। जब तक अतिरिक्त पुलिस बल मौके पर पहुंचा तब तक सुभाष सेना के लोगों ने पुलिसकर्मियों को घेर लिया था। दो साल से स्थानीय इंटेलीजेंस यूनिट और पुलिस जवाहर बाग में जाने में असफल रही। साथ ही उसके नेता रामवृक्ष यादव और बिहार के चंदन बोस के बारे में भी पता नहीं लगा सकी।
2015 में यूपी डीजीपी एके जैन को जवाहर बाग में आपराधिक तत्वों की जानकारी मिली थी। रिपोर्ट में अवैध हथियारों और विस्फोटकों के बारे में भी कहा गया था। जैन ने इस बारे में कार्रवाई के लिए निर्देश मांगे थे लेकिन उन्हें कोर्ट के आदेश का इंतजार करने को कहा गया। इंटेलीजेंस रिपोर्ट में कहा गया कि मध्य प्रदेश से ट्रकों में अनाज लाया जा रहा है। उनका कहना था कि सेना के 2000 सदस्यों ने अंदर निर्माण कर लिया। साथ ही देशी पिस्तौल और बम बनाने के लिए जानकारों को भी बुलाया गया।
Rजवाहर बाग मामले में पीआईएल दाखिल करने वाले वकील विजयपाल सिंह तोमर ने बताया कि जमीन पर कब्जा करने वाले किसी व्यक्ति की पहचान नहीं की गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर एफआईआर दर्ज की लेकिन किसी का नाम नहीं लिखा गया। पुलिस ने मारपीट, अगवा करने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में सेना के सात लोगों पर मामला दर्ज किया। विजयपाल सिंह ने बताया, ”इन लोगों पर दर्जनों मामले दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उनके पास बिजली-पानी का कनेक्शन और अन्य जरूरी सुविधाएं मौजूद थीं।” इंटेलीजेंस ने साथ ही कहा था कि जवाहर बाग में बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड से कई लोग इकट्ठा हुए हैं। ये समानांतर सरकार चलाने में विश्वास करते हैं।
No comments:
Post a Comment