मुजफ्फरपुर (सं.सू.)। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के स्नातक प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय खंड की परीक्षा सितंबर 2015 को समाप्त हुई। रिजल्ट जारी हुए तीन माह हो गए। अब जबकि कॉलेजों में अंक-पत्र भेजे जाने की तैयारियां चल रही हैं, बिना जांची उत्तर पुस्तिकाओं का मिलना हैरत की बात है। यह अप्रत्याशित घटना गुरुवार को हुई, जिसमें 300 छात्रों का भविष्य गर्त में डूबने से बच गया। ये लोग अपने रिजल्ट को लेकर प्रतिदिन विश्वविद्यालय का चक्कर लगा रहे थे। उनकी उत्तर पुस्तिकाएं गुम होने से बच गईं।
बिना जांचे स्टोर में भेज दी गई कॉपियां: बिहार विवि के स्टोर रूम में स्नातक पार्ट टू की उत्तर पुस्तिकाओं की छंटाई चल रही थी। जिन कॉलेजों से अंक-पत्र नहीं आए थे। वहां के टीआर देखकर उत्तर पुस्तिकाओं को निकाला जा रहा था, ताकि गलतियों का पता चल सके। इस दौरान दस बंडल बिना जांची हुई उत्तर पुस्तिकाएं सामने आईं। इन कापियों पर अंक ही नहीं थे। खोलने पर पाया गया कि बिना जांचे ही कॉपियां स्टोर में भेज दी गई थी। ये उत्तर पुस्तिकाएं हिंदी विषय की थीं।
स्टोर में रखी उत्तर पुस्तिकाओं में पिछले दिनों सांप निकलने पर जितना हड़कंप नहीं मचा था, उससे अधिक बिना जांची कापियां मिलने पर मची है। तत्काल जिन कॉलेजों से अभी तक टीआर नहीं आया है, उन सभी को तलब किया गया है। ताकि टीआर में गड़बड़ी होने पर उत्तर पुस्तिकाओं को निकाला जा सके।
इस तरह की लापरवाही निश्चित रूप से बर्दाश्त के लायक नहीं है। इसमें कॉलेज व परीक्षक दोनों पर जवाबदेही तय की जाएगी। 1-डॉ.सतीश कुमार राय, परीक्षा नियंत्रक, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर।
बिना जांचे स्टोर में भेज दी गई कॉपियां: बिहार विवि के स्टोर रूम में स्नातक पार्ट टू की उत्तर पुस्तिकाओं की छंटाई चल रही थी। जिन कॉलेजों से अंक-पत्र नहीं आए थे। वहां के टीआर देखकर उत्तर पुस्तिकाओं को निकाला जा रहा था, ताकि गलतियों का पता चल सके। इस दौरान दस बंडल बिना जांची हुई उत्तर पुस्तिकाएं सामने आईं। इन कापियों पर अंक ही नहीं थे। खोलने पर पाया गया कि बिना जांचे ही कॉपियां स्टोर में भेज दी गई थी। ये उत्तर पुस्तिकाएं हिंदी विषय की थीं।
स्टोर में रखी उत्तर पुस्तिकाओं में पिछले दिनों सांप निकलने पर जितना हड़कंप नहीं मचा था, उससे अधिक बिना जांची कापियां मिलने पर मची है। तत्काल जिन कॉलेजों से अभी तक टीआर नहीं आया है, उन सभी को तलब किया गया है। ताकि टीआर में गड़बड़ी होने पर उत्तर पुस्तिकाओं को निकाला जा सके।
इस तरह की लापरवाही निश्चित रूप से बर्दाश्त के लायक नहीं है। इसमें कॉलेज व परीक्षक दोनों पर जवाबदेही तय की जाएगी। 1-डॉ.सतीश कुमार राय, परीक्षा नियंत्रक, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर।
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