Saturday, October 31, 2015

लालफीताशाही के खिलाफ मोदी की मुहिम, 6 महीने में $60 अरब के प्रोजेक्ट्स क्लियर

नई दिल्ली (सं.सू.)। सरकारी लालफीताशाही की वजह से फंसे अरबों रुपए के प्रोजेक्ट्स की अड़चनें दूर करने के लिए खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने कवायद की है। इसके लिए मोदी हर महीने टॉप ब्यूरोक्रेट्स और राज्य के अफसरों के साथ मीटिंग कर रहे हैं। मोदी इन अफसरों से यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर ये प्रोजेक्ट्स शुरू क्यों नहीं हो पा रहे? मोदी की इसी कोशिश की वजह से इस साल मार्च से लेकर सितंबर तक करीब 60 अरब डॉलर के सेंट्रल और स्टेट प्रोजेक्ट्स क्लियर हुए हैं।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सरकारी आंकड़ों के हवाले बताया है कि मोदी की कोशिशों का नतीजा यह रहा कि मार्च से सितंबर के बीच 60 अरब डॉलर के प्रोजेक्ट्स क्लियर हो गए। लेकिन 150 अरब डॉलर लागत वाले रोड, रेलवे, पावर स्टेशन और दूसरे प्राेजेक्ट्स रुके पड़े हैं।

मोदी ने इसके बारे में पहल मार्च में की थी। इसकी पब्लिसिटी उनकी पर्सनल वेबसाइट और टि्वटर अकाउंट से की गई। मोदी ने इसे प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लिमेंटेशन (PRAGATI) का नाम दिया। इसके तहत केंद्र और राज्य के अफसरों से मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग करते हैं। आम तौर पर यह मीटिंग हर महीने के चौथे बुधवार को होती है।

मीटिंग में शामिल होने वाले अफसर फाइनेंस, कानून, लैंड, एन्वायरनमेंट, ट्रांसपोर्ट और एनर्जी से जुड़े मंत्रालयों से होते हैं। इन मंत्रालयों की प्रोजेक्ट्स को मंजूरी देने में अहम भूमिका होती है। मीटिंग का एजेंडा एक हफ्ते पहले तय हो जाता है। इसमें दर्जनों रुके हुए प्रोजेक्ट्स, लोगों की समस्याएं और दूसरे सरकारी मुद्दों पर चर्चा होती है।

मीटिंग में शामिल हो चुके एक अफसर ने कहा कि डिस्कशन के लिए जब कोई प्रोजेक्ट सामने आता है तो मोदी उस मंत्रालय के प्रतिनिधि से पूछते हैं, जहां वो प्रोजेक्ट फंसा है। मोदी बस इतना ही पूछते हैं, ''प्लीज बताएं, यह क्यों नहीं हुआ?'' अफसर के मुताबिक, कई बार मीटिंग में चर्चा के लिए शामिल होने से पहले ही कुछ प्रोजेक्ट्स को क्लियरेंस मिल जाती है।

यूपी के सीएम और मोदी के राजनीतिक विरोधी माने जाने वाले अखिलेश यादव ने पीएमओ से दरख्वास्त की है कि प्रगति की मीटिंग में उनके राज्य के 1 बिलियन डॉलर लागत वाली मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को शामिल किया जाए। सितंबर में हुई मीटिंग में इस पर चर्चा हुई। इस प्रोजेक्ट को न केवल क्लियरेंस मिली, बल्कि सेंट्रल फंडिंग का वादा भी किया गया।

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