नई दिल्ली (सं.सू.)। डिफेंस मिनिस्ट्री ने आर्मी से कहा है कि वे भैसों की बलि देने का रिवाज बंद करें। मिनिस्ट्री ने आर्मी से कहा है कि उसकी किसी भी यूनिट में ऐसा न हो पाए। यह भी कहा गया है कि मवेशियों की बलि देना कानून के खिलाफ है।
क्या है मामला?
एक अंग्रेजी अखबार ने मिनिस्ट्री के सूत्रों के हवाले से ऐसा निर्देश जारी किए जाने की पुष्टि की है। बता दें कि आर्मी की कुछ यूनिट दशहरे पर भैंसे की बलि देती है। यह एक गोरखा रिवाज है। सूत्र ने कहा, ''शर्तिया तौर पर यह एक पुरानी परंपरा है, लेकिन अब यह भारतीय कानून के खिलाफ है। बहुत सारे ऐसे कानून हैं, जिनके मुताबिक इस तरह से मवेशियों को काटना या उनकी बलि देना नियमों के खिलाफ है।'' इस महीने की शुुरुआत में यह निर्देश जारी किया गया। आर्मी को यह तय करने को कहा गया कि किसी भी गोरखा यूनिट में दशहरे के मौके पर भैंसे की बलि न दी जाए।
क्या तर्क है सरकार का?
सरकार का मानना है कि इस तरह की बलि देना क्रूरता है, इसलिए मवेशियों को मारने के लिए बने कानूनों का पालन किया जाए। हालांकि, सरकार को पता है कि कुछ लोग इस ट्रेडिशन को जारी रखना चाहते हैं। मिनिस्ट्री के सूत्र के मुताबिक, अगर ऐसा करना जरूरी हो तो नियमों का पालन करते हुए जानवरों को सरकारी स्लॉटर हाउस ले जाकर बलि दी जा सकती है।
पूर्व सैनिकों ने किया स्वागत
सरकार के इस फैसले का बहुत सारे पूर्व सैनिकों ने स्वागत किया है। 4/5 गोरखा बटालियन के रिटायर्ड ब्रिगेडियर रतन कौल ने कहा कि हमें वक्त के साथ बदलना ही होगा। सरकार के इस कदम के विरोध का कोई मतलब नहीं बनता।
क्या है मामला?
एक अंग्रेजी अखबार ने मिनिस्ट्री के सूत्रों के हवाले से ऐसा निर्देश जारी किए जाने की पुष्टि की है। बता दें कि आर्मी की कुछ यूनिट दशहरे पर भैंसे की बलि देती है। यह एक गोरखा रिवाज है। सूत्र ने कहा, ''शर्तिया तौर पर यह एक पुरानी परंपरा है, लेकिन अब यह भारतीय कानून के खिलाफ है। बहुत सारे ऐसे कानून हैं, जिनके मुताबिक इस तरह से मवेशियों को काटना या उनकी बलि देना नियमों के खिलाफ है।'' इस महीने की शुुरुआत में यह निर्देश जारी किया गया। आर्मी को यह तय करने को कहा गया कि किसी भी गोरखा यूनिट में दशहरे के मौके पर भैंसे की बलि न दी जाए।
क्या तर्क है सरकार का?
सरकार का मानना है कि इस तरह की बलि देना क्रूरता है, इसलिए मवेशियों को मारने के लिए बने कानूनों का पालन किया जाए। हालांकि, सरकार को पता है कि कुछ लोग इस ट्रेडिशन को जारी रखना चाहते हैं। मिनिस्ट्री के सूत्र के मुताबिक, अगर ऐसा करना जरूरी हो तो नियमों का पालन करते हुए जानवरों को सरकारी स्लॉटर हाउस ले जाकर बलि दी जा सकती है।
पूर्व सैनिकों ने किया स्वागत
सरकार के इस फैसले का बहुत सारे पूर्व सैनिकों ने स्वागत किया है। 4/5 गोरखा बटालियन के रिटायर्ड ब्रिगेडियर रतन कौल ने कहा कि हमें वक्त के साथ बदलना ही होगा। सरकार के इस कदम के विरोध का कोई मतलब नहीं बनता।
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