Tuesday, June 14, 2016

बिहार में सरकारी पदों की बंदरबाँट के खिलाफ नागरिक अधिकार मंच ने दायर की जनहित याचिका

पटना (सं.सू.)। बिहार के विभिन्न बोर्ड, निगम तथा आयोगों के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति में सत्ताधीशों द्वारा अपने चहेतों को उपकृत करते रहने की  परिपाटी के विरूद्ध नागरिक अधिकार मंच ने पटना उच्च न्यायालय में आज एक जनहित याचिका दायर की। याचिका में कहा गया है कि हाल के कई उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि इन संवैधानिक पदों पर विवेकाधीन नियुक्तियों से राज्य की कितनी बेइज्जती हुई है। माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश जी ने अपने करीबी लालकेश्वर प्रसाद को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का अध्यक्ष बनवाकर राज्य की शिक्षा-व्यवस्था को मजाक का पात्र बना दिया। ये पद कोई राजनीतिक पद नहीं हैं कि जो असंतुष्ट हुआ उसे इन पदों पर बैठाकर उपकृत कर दिया जाए। अभी हाल में सभी लोगों से इस्तीफ़ा लेकर इन पदों को खाली कराया गया है ताकि बड़े और छोटे भाई मिलकर व्यक्तिगत जागीर की तरह हिस्से बाँट सकें। चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति हेतु प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की जाती है और इनपर बस कृपादृष्टि के आधार पर ! ऐसे संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्ति को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त होता है और आम आदमी से वसूले गए राजस्व की बड़ी राशि इनके वेतन, भत्तों, सुविधाओं इत्यादि पर खर्च किए जाते हैं।
याचिका के अनुसार ये आयोग, निगम, बोर्ड तभी उपयोगी हो सकते हैं जब इनके सदस्य तथा अध्यक्ष संबंधित क्षेत्र में विशिष्ट योग्यता/ज्ञान रखनेवाले लोगों के बीच से पारदर्शी एवं विधिक तरीके से बिना राजनीतिक हस्तक्षेप के चुने जाएँ। श्री शिव प्रकाश राय ने बताया कि हाल ही में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी नागरिक अधिकार मंच की जनहित याचिका पर सुनवाई के उपरांत माननीय उच्च न्यायालय, पटना के निर्देश पर राज्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति हेतु विज्ञप्ति निकालकर ऑनलाइन आवेदन माँगे गए हैं।

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