लखनऊ (सं.सू.)। सीएम अखिलेश यादव ने गुरुवार को अपनी कैबिनेट में बड़ा बदलाव किया। उन्होंने अपने आठ मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया जबकि राजा भैया समेत नौ मंत्रियों से उनके विभाग छीन लिए गए। छीने गए विभागों का काम खुद सीएम अखिलेश ही देखेंगे। सीएम ने अपनी सिफारिश राज्यपाल राम नाइक को भेज दी है। हटाए गए मंत्रियों में हाल ही में अपने बयानों के चलते विवादों में रहे आजम खान शामिल नहीं हैं। इस कार्रवाई के बाद यूपी में अब सिर्फ 46 मंत्री बचे हैं। जिनके विभाग छीने गए हैं, वे अब बिना विभाग के मंत्री होंगे। बता दें कि 31 अक्टूबर को यूपी कैबिनेट में फेरबदल होना है।
किन मंत्रियों को बर्खास्त किया गया?
राजा महेंद्र अरिदमन सिंह स्टाम्प और नागरिक सुरक्षा मंत्री
अंबिका चौधरी पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री
शिव कुमार बेरिया वस्त्र और रेशम उद्योग मंत्री
नारद राय खादी और ग्रामोद्योग मंत्री
शिवाकांत ओझा तकनीक शिक्षा मंत्री
आलोक कुमार शाक्य तकनीक शिक्षा राज्य मंत्री
योगेश प्रताप सिंह बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री
भगवत शरण गंगवार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग और निर्यात प्रोत्साहन विभाग के राज्य मंत्री
किन मंत्रियों से विभाग लिया गया?
अहमद हसन चिकित्सा मंत्री
अवधेश प्रसाद समाज कल्याण मंत्री
पारस नाथ यादव फूड प्रोसेसिंग मंत्री
राम गोविंद चौधरी बेसिक शिक्षा मंत्री
दुर्गा प्रसाद यादव परिवहन मंत्री
ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी होमगार्ड मंत्री
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया खाद्य और रसद विभाग
इकबाल महमूद मछली पालन और पब्लिक एंटरप्राइज मंत्री
महबूब अली माध्यमिक शिक्षा मंत्री
राजा भैया, अहमद हसन, अंबिका चौधरी, राजा महेंद्र अरिदमन सिंह, दुर्गा प्रसाद यादव और पारसनाथ यादव की गिनती कद्दावर मंत्रियों में होती थी। इन सभी को सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का भी खास माना जाता है। बताते चलें कि बीते कई महीनों से मुलायम अखिलेश से सार्वजनिक मंचों से कहते रहे थे कि वे चरण वंदना करने वालों को हटाएं।
कौन-सा मंत्री क्यों हटा?
राजा अरिदमन सिंह-आनंद सिंह को कैबिनेट से हटाने के बाद मुलायम को एक ठाकुर नेता के रूप में एक चेहरे की जरुरत थी। बताया जाता है कि इसी वजह से राजा अरिदमन सिंह को परिवहन विभाग से हटाकर स्टाम्प समेत तीन विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन कहा जा रहा है कि अरिदमन अपने वादे पर खरे नहीं उतर पाए। लोकसभा चुनाव में भी वह अपनी विधानसभा भी नहीं बचा पाये थे। ऐसे में मुलायम इनसे नाराज चल रहे थे।
अम्बिका चौधरी-यूपी में बलिया से सबसे ज्यादा मंत्री बनाये गए हैं। ऐसे में विकास की राजनीति के बजाय गुटबाजी ज्यादा होने लगी। बलिया से सबसे ज्यादा मंत्री होने के बाद भी लोकसभा में वहां सपा कुछ ख़ास नहीं कर पाई। चौधरी तो अपनी विधानसभा भी नहीं बचा पाए। जबकि उनकी दबंगई की खबरें लगातार सामने आ रही थीं। अम्बिका का विभाग भी बीच में बदलते हुए पिछड़ा वर्ग कल्याण और विकलांग कल्याण की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी।
नारद राय-नारद भी बलिया से आते हैं। लेकिन वह भी लोकसभा में कुछ ख़ास नहीं कर पाए।
-इनके बारे में भी कहा जाता है कि ये गुटबाजी में फंसे हुए हैं। नारद राय के पास खादी और ग्रामोद्योग विभाग था।
शिवकुमार बेरिया-शिवकुमार बेरिया के पास वस्त्र एवं रेशम उद्योग था और यही विभाग उनके हटने का कारण बन गया। स्थानीय कार्यकर्ता लगातार मुलायम से शिवकुमार बेरिया की शिकायत कर रहे थे कि वह कार्यकर्ताओं का काम नहीं कर रहे हैं। ऐसे में मंत्री जी भी कई बार यह कहते सुने गए कि मेरे विभाग का बजट ही कम है तो मैं क्या करूं। इसके अलावा, लोकसभा चुनाव में हार के कारण तलाशने के लिए बुलाई गई समीक्षा बैठक में मुलायम ने भी सबके सामने बेरिया को फटकार लगाई थी। कहा जा रहा है कि बेरिया तीन सालों में नेतृत्व के सामने खुद को प्रूफ नहीं कर पाए।
शिवाकांत ओझा-कहा जाता है कि शिवाकांत ओझा के कैबिनेट में अंतिम दिन तभी शुरू हो गए थे, जब उन्होंने पिछले साल चेकडैम घोटाले की जानकारी मीडिया में लीक कर शिवपाल यादव गुट के मंत्री राजकिशोर सिंह को खुली चुनौती दी थी। इस घोटाले को लेकर सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। जिससे शिवपाल यादव भी खूब परेशान हुए थे।
योगेश प्रताप सिंह-योगेश के हटने का सबसे बड़ा कारण यही रहा है कि शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापकों के तौर पर नौकरी दिलवाने की जिम्मेदारी उन्हीं के ऊपर थी। लेकिन जिस तरह से पिछले दिनों शिक्षामित्रों के मामले पर सरकार की फजीहत हुई है, उससे योगेश का जाना तय हो गया था।
भगवत शरण गंगवार-इनके पास लघु उद्योग विभाग था। लेकिन कहा जाता है कि इनका काम सीएम और मुख्य सचिव ज्यादा करते रहे हैं। इनके ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा, जिससे सीएम खफा रहते थे। यही वजह रही कि इन्हें हटाया गया है।
'अब तो जनता ही इनको हटाने जा रही थी। तब मंत्रियों को हटाकर इनको कोई राजनीतिक फायदा मिलने वाला नहीं है। गायत्री प्रजापति को क्यों नहीं हटाया गया? क्या पिछले कुछ महीने से आजम खान द्वारा दिए गए बयान में मुख्यमंत्री सहमत हैं?'
-लक्ष्मीकांत वाजपेयी (यूपी में बीजेपी स्टेट यूनिट के चीफ)