पटना (सं.सू.)। बिहार विद्यालय परीक्षा बोर्ड की मैट्रिक की परीक्षा में शामिल आधे से ज्यादा परीक्षार्थी असफल रहे हैं।
बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने रविवार को बिहार विद्यालय परीक्षा बोर्ड (बीएसईबी) की ओर से आयोजित मैट्रिक परीक्षा का रिजल्ट जारी किया।
साल 2016 की परीक्षा में शामिल करीब साढ़े पंद्रह लाख परीक्षार्थियों में से केवल 46.66 फीसदी को ही सफल घोषित किया गया है।
2015 के मुकाबले इस बार सफलता का प्रतिशत करीब 28 फीसद कम रहा है।
शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा, ‘‘पिछले साल के मुकाबले पास होने वाले छात्रों की संख्या घटी है क्योंकि इस बार हम लोगों ने परीक्षा में काफी कड़ाई बरती थी।’’
2015 की मैट्रिक परीक्षा के दौरान बड़े पैमाने पर कदाचार के मामले सामने आए थे। साथ ही इससे जुड़ी हुई कुछ तस्वीरें भी आई थीं जिन पर दुनिया भर में खूब चर्चा हुई थी।
कुछ तस्वीरों में तो लोग बहुमंजिला इमारतों की खिड़कियों पर झूलते हुए और परीक्षार्थियों को ‘मदद’ पहुंचाते हुए दिखे थे।
ऐसे में रिजल्ट जारी करते हुए शिक्षा मंत्री ने ज़ोर देकर कहा, ‘‘बिहार के बारे में एक धारणा बन गई थी, कदाचार मुक्त परीक्षा आयोजित करके हम उस धारणा को तोड़ने में सफल हो पाए हैं।"
बताया जा रहा है कि इस बार तीन विषयों में फेल परीक्षार्थी भी पूरक परीक्षा दे पाएंगे। बड़ी संख्या में छात्रों के असफल होने के बाद शिक्षा मंत्री ने यह घोषणा की।
मैट्रिक के रिजल्ट की तरह ही शनिवार को जारी किए गए इंटर कला परीक्षा के रिजल्ट में भी करीब 43 फीसद परीक्षार्थी फ़ेल रहे थे।
राज्य में वर्ष 2016 में परीक्षा में कदाचार पर लगाम लगी, तो इंटर साइंस का रिजल्ट 22.06% कम हो गया। साथ ही प्रथम श्रेणी में पास करनेवालों की संख्या भी 27.30% कम हो गयी।
मंगलवार को जारी रिजल्ट में 67.06% परीक्षार्थी ही सफल हो पाये है़ं। सबसे अधिक औसत अंक गणित में आये हैं। हालांकि, इसी विषय में सबसे अधिक 2845 परीक्षार्थियों को जीरो मिला है। सबसे कम औसत अंक हिंदी में आये हैं। वैसे फिजिक्स में सबसे अधिक परीक्षार्थी फेल हुए हैं, जबकि केमेस्ट्री दूसरे स्थान पर है।
बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने रविवार को बिहार विद्यालय परीक्षा बोर्ड (बीएसईबी) की ओर से आयोजित मैट्रिक परीक्षा का रिजल्ट जारी किया।
साल 2016 की परीक्षा में शामिल करीब साढ़े पंद्रह लाख परीक्षार्थियों में से केवल 46.66 फीसदी को ही सफल घोषित किया गया है।
2015 के मुकाबले इस बार सफलता का प्रतिशत करीब 28 फीसद कम रहा है।
शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा, ‘‘पिछले साल के मुकाबले पास होने वाले छात्रों की संख्या घटी है क्योंकि इस बार हम लोगों ने परीक्षा में काफी कड़ाई बरती थी।’’
2015 की मैट्रिक परीक्षा के दौरान बड़े पैमाने पर कदाचार के मामले सामने आए थे। साथ ही इससे जुड़ी हुई कुछ तस्वीरें भी आई थीं जिन पर दुनिया भर में खूब चर्चा हुई थी।
कुछ तस्वीरों में तो लोग बहुमंजिला इमारतों की खिड़कियों पर झूलते हुए और परीक्षार्थियों को ‘मदद’ पहुंचाते हुए दिखे थे।
ऐसे में रिजल्ट जारी करते हुए शिक्षा मंत्री ने ज़ोर देकर कहा, ‘‘बिहार के बारे में एक धारणा बन गई थी, कदाचार मुक्त परीक्षा आयोजित करके हम उस धारणा को तोड़ने में सफल हो पाए हैं।"
बताया जा रहा है कि इस बार तीन विषयों में फेल परीक्षार्थी भी पूरक परीक्षा दे पाएंगे। बड़ी संख्या में छात्रों के असफल होने के बाद शिक्षा मंत्री ने यह घोषणा की।
मैट्रिक के रिजल्ट की तरह ही शनिवार को जारी किए गए इंटर कला परीक्षा के रिजल्ट में भी करीब 43 फीसद परीक्षार्थी फ़ेल रहे थे।
राज्य में वर्ष 2016 में परीक्षा में कदाचार पर लगाम लगी, तो इंटर साइंस का रिजल्ट 22.06% कम हो गया। साथ ही प्रथम श्रेणी में पास करनेवालों की संख्या भी 27.30% कम हो गयी।
मंगलवार को जारी रिजल्ट में 67.06% परीक्षार्थी ही सफल हो पाये है़ं। सबसे अधिक औसत अंक गणित में आये हैं। हालांकि, इसी विषय में सबसे अधिक 2845 परीक्षार्थियों को जीरो मिला है। सबसे कम औसत अंक हिंदी में आये हैं। वैसे फिजिक्स में सबसे अधिक परीक्षार्थी फेल हुए हैं, जबकि केमेस्ट्री दूसरे स्थान पर है।