Saturday, April 30, 2016

सोनिया डरती नहीं इसलिए उसकी सरकार में होते हैं घोटाले-अमित शाह

नई दिल्ली (सं.सू.)। अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर समझौते में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि सोनिया गांधी किसी से डरती नहीं है इसलिए उनकी सरकार में इतने घोटाले होते हैं।

अमित शाह ने गुरूवार को चुटकी लेते हुए कहा, “सोनिया जी ने कल कहा कि वह किसी से डरती नहीं, उनको कहना चाहता हुं कि भाजपा के नेता संविधान से भी डरते हैं और लोक लाज से भी”। उन्होंने कहा कि सोनिया ने सही कहा कि वह किसी से डरती नहीं है इसलिए इस तरह के मामले सामने बाहर आ रहे हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष से सवाल करते हुए शाह ने कहा कि उन्हे जवाब देना चाहिए कि अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे में जब घूस ली और दी गई तब किसकी सरकार थी। घूसकांड का पैसे किसे मिला था और सौदे में किस-किस की भूमिका थी ? उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार एक ऐसी अनोखी सरकार थी जिसके कार्यकाल के दौरान कई सारे घोटालों का खुलासा हुआ और सत्ता से बाहर जाने उपरांत भी उनके घोटले उजागर हो रहे हैं।

जानकारी हो कि इटली की एक अदालत ने अगस्ता वेस्टलैंड मामले में कहा कि 2013 में भारत सरकार ने न्यायालय को वह ज़रूरी दस्तावेज मुहैया नहीं कराये जिससे भ्रष्टाचार का भांडाफोड़ होता। यह वीवीआईपी हेलीकॉप्टर समझौता 2010 में हुआ था। न्यायालय ने कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं जो शुरुआती तौर पर यह विश्वास दिलाते हैं कि भ्रष्टाचार हुआ था और इसमें उस समय के वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी को लाभ पहुंचा था। कोर्ट के मुताबिक सौदे में एक से डेढ़ करोड़ डॉलर का अवैध फंड भारतीय अफसरों तक पहुंचा।

'भगवा आतंकवाद' कांग्रेस की कोरी कल्पना और साजिश-भाजपा

नई दिल्ली (सं.सू.)। भाजपा ने कांग्रेस पर वोट बैंक की राजनीति के तहत धर्म को आतंकवाद से जोड़ने की राजनीति शुरू करने का आरोप लगाया है। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस ने निहित स्वार्थ के लिए 'हिंदू और भगवा आतंकवाद' का शब्द गढ़ा। जांच एजेंसियों पर दबाव डालकर उसने इसे सही ठहराने की कोशिश की। कांग्र्रेस को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने भी कहा कि अब हम देख पा रहे हैं कि अपने राजनीतिक उद्देश्य के लिए कांग्र्रेस ने किस तरह एजेंसियों का गलत इस्तेमाल किया।

सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कांग्र्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सबसे पहले दिसम्बर 2009 में भगवा या हिंदू आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल किया था। 2010 में तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने संसद में इस शब्द का इस्तेमाल कर इस पर मुहर लगाने की कोशिश की। बाद में वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने मुंबई हमले के पीछे आरएसएस का हाथ साबित करने वाली किताब का विमोचन करते हुए हिंदू आतंकवाद शब्द को उछाला। जनवरी 2013 में तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी हिंदू आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल किया था।

उन्होंने कहा कि कथित हिंदू आतंकवाद से जुड़े केस एनआईए को 2011 में जांच के लिए सौंपे गए थे। लेकिन जांच होने के पहले ही इस शब्द का इस्तेमाल किया जाने लगा था। बाद में एनआइए की जांच में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर इसे सही साबित करने की कोशिश की गई।

सुधांशु त्रिवेदी के अनुसार, कांग्र्रेस ने तिरंगे के एक रंग भगवा को आतंकवाद से जोड़कर देश के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया। इसके लिए उसे खेद प्रकट करना चाहिए। इशरत मामले में अमेरिकी एजेंसी एफबीआइ से लेकर एनआइए तक की रिपोर्ट दबाकर उसे निर्दोष साबित करने की कोशिश की गई। इसके लिए अपने हलफनामे को भी बदल दिया। उन्होंने कहा कि हलफनामा बदलने के लिए जिन दस्तावेजों को आधार बनाया गया था, बाद में उन्हें गायब भी कर दिया गया। उन्होंने वैश्विक आतंकवाद के इस दौर में कांग्र्रेस पर क्षुद्र राजनीतिक करने का आरोप लगाया।

समझौता ब्‍लास्‍ट को सिमी और पाकिस्‍तान की मदद से दिया गया अंजाम!

नई दिल्‍ली (सं.सू.)। साल 2007 में हुए समझौता ब्लास्ट को लेकर अब एक बड़ा खुलासा हुआ है। कर्नाटक एफएसल के पूर्व डायरेक्‍टर बीएम मोहन ने खुलासा करते हुए कहा कि समझौता ब्‍लास्‍ट को सिमी ने अंजाम दिया। उन्‍होंने दावा किया कि सिमी मॉड्यूल और पाकिस्‍तानी मदद से इस धमाके को अंजाम दिया गया।

बीएम मोहन ने दावा किया कि सिमी आतंकियों ने नार्को टेस्‍ट में खुलासा किया। इसमें सिमी आतंकियों ने समझौता ब्‍लास्‍ट का जिक्र किया। समझौता ब्‍लास्‍ट की सिमी से जुड़े लोगों ने योजना बनाई और अंजाम दिया। उन्‍होंने पाकिस्‍तान से फंडिंग की बात की। आतंकियों ने बम और टाइमर रखकर धमाका किया। सफदर नागोरी ब्‍लास्‍ट का मुख्‍य किरदार है। एक या दो शख्‍स पाकिस्‍तान से आकर इस ब्‍लास्‍ट के लिए लॉजिस्टिक मदद की। राहिल नाम के एक पाकिस्‍तानी शख्‍स से इस ब्‍लास्‍ट के लिए पैसे मुहैये कराए थे। 

इस मामले में एनआईए की जांच में बीते दिनों एक नया पहलू सामने आया था। जांच इस कोण से जुड़ा कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट स्वामी असीमानंद ने नहीं बल्कि लश्कर ने करवाया था। इसकी पड़ताल के लिए खुद एनआईए के मुखिया बीते दिनों अमेरिका गए थे। अमेरिका ने 2009 में ही ये दावा किया था कि समझौता धमाका लश्कर का काम है। तो क्या पिछले 9 साल में हुई समझौता एक्सप्रेस धमाके की जांच गलत दिशा में जा रही थी, क्या पिछले 9 साल में समझौता एक्सप्रेस धमाके की जांच के दौरान गिरफ्तार हुए लोग धमाके में शामिल नहीं थे और क्या इस धमाके के पीछे दरअसल पाकिस्तान का ही हाथ था? जैसा कि पहले दिन से अंदेशा जताया जा रहा था।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इस माह के मध्‍य में कहा था कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, लेकिन मालेगांव विस्फोट मामले में उसके खिलाफ जांच चल रही है। एनआईए प्रमुख शरद कुमार ने कहा था कि समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। वह कभी भी आरोपी नहीं रहा। मुझे हैरानी है कि क्यों उसका नाम समझौता ब्लास्ट केस से जोड़ा गया। उन्‍होंने बताया कि पुरोहित के खिलाफ मुंबई एटीएस 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपित कर चुका है और एनआईए आगे की जांच कर रही है।

गौर हो कि साल 2007 में हुए समझौता ब्लास्ट में 68 लोगों की मौत हो गई थी। करीब चार साल की जांच के बाद एजेंसियों ने इस धमाके का मास्टरमाइंड स्वामी असीमानंद को बताया था। ये भी आरोप लगाया था कि वो बम का बदला बम से लेना चाहता था। इस धमाके की जांच के दौरान देश में काफी सियासत भी हुई।

Friday, April 29, 2016

हाजीपुर में एएसआई से दिनदहाड़े १ लाख की लूट

हाजीपुर (सं.सू.)। नगर थाना क्षेत्र के अनवरपुर चौक के समीप एक जमादार से एक लाख रुपए छीन लिए गए। बाइक सवार दो लुटेरों ने दिनदहाड़े इस घटना को अंजाम दिया। इस संबंध में जुड़ावनपुर थाने में पदस्थापित जमादार रामबाबू सिंह के बयान पर नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है। दिनदहाड़े हुई इस घटना से पुलिस पर सवालिया निशान लग रहा है।मिली जानकारी के अनुसार जमादार रामबाबू सिंह हाजीपुर एसबीआई की मुख्य शाखा से गुरुवार को अपराह्न डेढ बजे एक लाख रुपए की निकासी की। रुपए को एक बैग में रखकर घर जाने के लिए बैंक से निकलकर अनवरपुर चौक के समीप टेम्पो पकड़ने के लिए पहुंचे। इसी दौरान अचानक एक बाइक पर सवार दो लुटेरे वहां पहुंचे और उनके हाथ से रुपए समेत बैग छीन लिया। बैग में एक लाख रुपए के अलावा, बैंक का चेकबुक, पासबुक, एग्रीमेंट के कागजात और अन्य सामान थे।इस संबंध में नगर थानाध्यक्ष सुनील कुमार ने बताया कि जमादार रामबाबू सिंह ने घटना के संबंध में पुलिस को सूचित किया। दो अज्ञात बदमाशों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है। मामले की जांच की जा रही है।

मालूम हो कि हाल के दिनों में शहर में बाइक सवार लुटेरों की सक्रियता बढ़ी है। शहर में इस गिरोह की सक्रियता से पुलिस महकमें में खलबली मची हुई है। पुलिस के लिए सिरदर्द बने इस गिरोह को पकड़ने के लिए एसपी के निदेश पर एक टीम का गठन किया गया है। टीम के सदस्य सादे लिवास में बैंक और शहर के भीड़-भाड़ इलाके में भ्रमणशील है।सीसीटीवी से खुलेगा लुटेरों का राजअनवरपुर चौक के समीप दिनदहाड़े एक जमादार से एक लाख रुपए छीनने की घटना को लेकर नगर पुलिस गंभीरता से लिया है। घटनास्थल के समीप स्थित दुकानों में लगे सीसीटीवी कैमरे में बाइक सवार लुटेरों की करतूत कैद हो गयी है। पुलिस का मानना है कि सीसीटीवी फूटेज को खंगालने के बाद लुटेरों की शिनाख्त हो जाएगी। पुलिस इस संबंध में एसबीआई बैंक में लगे सीसीटीवी कैमरे को खंगाल रही है। नगर पुलिस का दावा है कि बैंक के सीसीटीवी कैमरे के फूटेज और घटनास्थल के समीप दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे के फूटेज मिलाने के बाद बदमाशों की पहचान जल्द ही कर ली जाएगी। इसके लिए एक टीम का गठन किया गया है।

गुजरात में आर्थ‍िक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण

अहमदाबाद (सं.सू.)। गुजरात सरकार ने आर्थ‍िक पिछड़ेपन को आधार मानकर राज्य में सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। इस बाबत 1 मई अधि‍सूचना जारी की जाएगी, वहीं शुक्रवार को राज्य सरकार में मंत्री विजय रूपानी ने इस फैसले की जानकारी दी।

    10% reservation to be given to economically backward classes in general category,notification to be issued on May 1-Gujarat Min Vijay Rupani
    — ANI (@ANI_news) April 29, 2016

एक संवाददाता सम्मेलन में रूपानी ने बताया कि राज्य के वैसे परिवार जिनकी वार्षिक आय छह लाख रुपये से कम है, वे इस आरक्षण का लाभ उठा सकते हैं। बता दें कि आर्थिक आधार पर सामान कोटि के उम्मीदवारों को आरक्षण देने पर लंबे समय से विचार किया जा रहा था, जिस पर अब कार्रवाई की जा रही है।

    Families with income below Rs 6 lakh per annum will be eligible for this reservation: Gujarat Minister Vijay Rupani pic।twitter।com/0O1Uon1M3H
    — ANI (@ANI_news) April 29, 2016

गौरतलब है कि आरक्षण की मांग को लेकर गुजरात में आंदोलन कर रहा पाटीदार समुदाय भी सामान्य वर्ग में आता है। सरकार के इस फैसले से उनको भी आरक्षण का लाभ मिलेगा। राष्ट्रद्रोह के आरोप में जेल में बंद हार्दिक पटेल की अगुवाई में पाटीदार समुदाय ने आरक्षण की मांग को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा था, जो बाद में हिंसक हो गया।

ऑगस्‍टा वेस्‍टलैंड ने डील कैंसिल होने के बाद नहीं लौटाए 800 करोड़ रुपये

नई दिल्‍ली (सं.सू.)। ऑगस्‍टा वेस्टलैंड हेलीकॉप्‍टर सौदे में घोटाले का खुलासा होने के बाद विवाद बढ़ता ही जा रहा है। इटली की कोर्ट के फैसले में भारतीय नेताओं व अन्‍य को रिश्‍वत देने की बात सामने आने के बाद सियासी तूफान खड़ा हो गया है। इस डील में कांग्रेस के कई नेताओं के नाम सामने आए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, करीब 53 करोड़ डॉलर का कांट्रैक्‍ट हासिल करने के लिए कंपनी ने भारतीय को 120-125 करोड़ रुपये तक की रिश्वत दी थी। अब एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि ऑगस्‍टा वेस्‍टलैंड कंपनी ने इस डील के कैंसिल होने के बाद भारत को अब तक पैसे नहीं लौटाए हैं। बताया जा रहा है कि तीन चॉपर्स के लिए कंपनी को 800 करोड़ रुपये दिए गए थे।

रिपोर्ट के अनुसार, डील कैंसिल होने के बाद ऑगस्‍टा वेस्‍टलैंड कंपनी ने भारत को 800 करोड़ रुपए अब तक नहीं लौटाए हैं। जबकि यह डील 3600 करोड़ में हुई थी। रिपोर्टों के अनुसार, भारत की ओर से कंपनी को गई डाउन पेमेंट डील कैंसल होने के बाद नहीं लौटाई गई। घोटाला सामने आने के बाद कंपनी ने ये हेलीकॉप्‍टर भारत को भेजे थे, जो अभी भी पालम एयरबेस पर हैं। डील कैंसिल होने के बाद इनका इस्तेमाल नहीं किया गया। कंपनी ने भारत में तीन हेलीकॉप्टर भेजे थे, जिसे एयरफोर्स ने 2012 में स्वीकार किया था। इससे 9 महीने पहले इटली में ऑगस्टा वेस्टलैंड में करप्शन को लेकर पहली गिरफ्तारी हुई थी। करप्शन सामने आने के बाद भारत सरकार ने डील कैंसिल कर ऑगस्‍टा वेस्टलैंड से पेमेंट की वसूली के लिए मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू की, तब तक ये हेलीकॉप्टर्स 556 घंटों की उड़ान भर चुके थे।

रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2013 में संसद में कैग की रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें दो गड़बड़ियों की तरफ इशारा किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि कॉन्ट्रैक्ट नेगोशिएशन कमेटी ने कॉस्ट 4877।5 करोड़ बताई थी, जबकि जनवरी 2006 में इसकी कीमत 793 करोड़ मानी गई थी। लिहाजा नई कॉस्ट छह गुना ज्यादा थी। वेंडर ने 3966 करोड़ की कॉस्ट ऑफर की थी जबकि कमेटी उससे 22।80 पर्सेंट ज्यादा यानी 4877।5 करोड़ रुपए देने को राजी थी।

गौर हो कि भारतीय वायुसेना ने फरवरी 2010 में इटली की कंपनी ऑगस्‍टा से 3600 करोड़ में 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों का सौदा किया था। उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी और वायुसेना के प्रमुख एसपी त्यागी थे। साल 2012 में यह घोटाला सामने आया। साल 2013 में तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भ्रष्टाचार की बात कबूल करते हुए इस सौदे को रद्द कर दिया। भारत ने यह सौदा अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से किया था और हेलीकॉप्‍टर बनाने वाली कंपनी का नाम है फिनमेकेनिका। टेंडर की शर्तें बदलने के एवज में फिनमेकेनिका कंपनी ने पूर्व वायुसेनाध्यक्ष एसपी त्यागी के साथ उनके तीन रिश्तेदारों को घूस दी थी।

गौर हो कि वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले को लेकर हुए विवाद के बीच सरकार ने कहा कि सौदे के बारे में वह सीबीआई से रिपोर्ट मांगेगी और ऑगस्‍टा वेस्टलैंड और इसकी मूल कंपनी फिनमेकेनिका को काली सूची में डालने की पहल करेगी। साथ ही सरकार ने दावा किया कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने घोटाले में घिरी कम्पनी पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था।

कारगिल के समय अमेरिका ने नहीं दी थी मदद,भारत ने बनाया अपना जीपीएस नाविक

नई दिल्ली (सं.सू.)। इसरो ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में गुुरुवार को बड़ी कामयाबी हासिल की। ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम यानी जीपीएस जैसी क्षमता हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए इसरो ने गुरुवार को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी 33 से आईआरएनएसएस-1जी को लॉन्च किया गया। गुरुवार को सातवां और आखिरी उपग्रह छोड़ा गया। इसके साथ ही भारत ने स्वदेशी जीपीएस बनाने की मंजिल तय कर ली है। साथ ही भारत,अमरीका और रूस की कतार में शामिल हो गया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस मिशन पर नजर बनान हुए थे। प्रधानमंत्री ने भारतीय वैज्ञानिकों को आईआरएनएसएस-1जी की लॉन्चिंग पर बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब हमारे रास्ते हम तय करेंगे। कैसे जाना है,कैसे पहुंचना है,ये हमारी अपनी तकनीक के माध्यम से होगा।


श्री मोदी ने कहा कि मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया के सपने को भारतीय वैज्ञानिकों ने साकार कर दिखाया है, मैं उनका बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। नाविक का इस्तेमाल ट्रेन में सफर करते समय, कार से सफर करते समय बड़ी आसानी से किया जा सकेगा। नाविक हमें रास्ता दिखायेगा, नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम जोकि नेविगेशन विद इंडियन कॉस्टिलेशन (NAVIC) के नाम से यह जाना जाएगा। अगर सार्क देश चाहे तो वो भी भारत की इस जीपीएस की सेवा ले सकते हैं। इसकी क्षमता इतनी है कि यह भारत के अलावा 1500 स्क्वायर किलोमीटर की दूरी में भी यह अपनी सेवा दे सकता है।

भारतीय वैज्ञानिक बीते 17 साल से इसके लिए संघर्ष कर रहे थे। इस सैटेलाइट की मदद से न सिर्फ भारत के दूर दराज के इलाकों की सही लोकेशन पता चल जाएगी बल्कि यातायात भी काफी आसान हो जाएगा। खासतौर पर लंबी दूरी तय करने वाले समुद्री जहाजों को इससे काफी फायदा होगा। भारत का इंडियन रीजनल नेविगेशनल सैटेलाइट सिस्टम अमरीका के जीपीएस और रूस के ग्लोनास को टक्कर देने वाला है। इस तरह की प्रणाली को यूरोपीय संघ और चीन भी साल 2020 तक ही विकसित कर पाएंगे। गौरतलब है कि 1999 में करगिल जंग के दौरान भारत ने पाकिस्तानी सेना की लोकेशन पता करने के लिए अमरीका से जीपीएस सेवा की मांग की थी लेकिन अमरीका ने तब भारत को आंकड़े देने से मना कर दिया था। उसी समय से भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक स्वदेशी जीपीएस सिस्टम बनान की कोशिश करने में लग गए थे। जीपीएस प्रणाली को पूरी तरह से भारतीय तकनीक से विकसित करन के लिए वैज्ञानिकों ने सात सैटेलाइट को एक नक्षत्र की तरह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने का फैसला किया। स्वदेशी जीपीएस सिस्टम के लिए भारतीय वैज्ञानिकों न पहला सैटेलाइट जुलाी 2013 में छोड़ा था।

    Congratulations to ISRO team on successful launch of PSLV-C33 carrying IRNSS-1G
    — President of India (@RashtrapatiBhvn) April 28, 2016

करीब 20 मिनट की उड़ान में पीएसएलवी-सी 33 ने 14,25 किलोग्राम वजनी आईआरएनएसएस-1 जी उपग्रह 497।8 किलोमीटर की ऊंचाई पर कक्षा में स्थापित किया। पीएसएलवी ठोस और तरल ईंधन द्वारा संचालित चार चरणों वाला प्रक्षेपण यान है। यह सैटेलाइट आईआरएनएसएस-1जी(भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली-1जी)के सात उपग्रहों के समूह का हिस्सा है। आईएरएनएसएस-1जी सैटेलाइट उपयोगकर्ताओं के लिए 1,500 किलोमीटर तक के विस्तार में देश और इस क्षेत्र की स्थिति की सटीक जानकारी देगा। अब तक भारत की ओर से 6 क्षेत्रीय नौवहन उपग्रहों(आईआरएनएसएस-1 ए,1बी,1सी,आईडी,1 ए,1जी) का प्रक्षेपण किया जा चुका है। बताया जा रहा है कि हर सैटेलाइट की कीमत करीब 150 करोड़ रुपए के करीब है। वहीं पीएसएलवी-एक्सएल प्रक्षेपण यान की लागत 130 करोड़ रुपए है। इस तरह सातों प्रक्षेपण यानों की कुल लागत 910 करोड़ रुपए बताई जा रही है।

बिहार पुलिस की शर्मनाक कार्रवाई, डीएसपी ने महिला को जमीन पर पटका

पटना (सं.सू.)। बिहार में पुलिस का खौफनाक और शर्मनाक चेहरा देखने को मिला है। राजधानी पटना के रामगुलाम चौक के पास हंगामा शांत कराने पहुंचे पुलिस अधिकारी और उनके बॉडीगार्डों ने महिला को जमीन पर पटक दिया। महिला का कसूर बस इतना था कि वो अपने बेटे को बचाने की कोशिश कर रही थी।

पुलिस की ये शर्मनाक कार्रवाई कैमरे में भी कैद हो गई है। टाउन डीएसपी कैलाश प्रसाद और उनके बॉडीगार्ड पर महिला को पटकने का आरोप लगा है। राजधानी में दोपहर को एक बिल्डर के साथ हुई झड़प और आगजनी की घटना के बाद पुलिस एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने पहुंची थी। गुरूवार को हुई इस घटना के बाद काफी दर तक इलाके में अफरा तफरी का माहौल कायम था।

इससे पहले स्थानीय लोगों ने भी पुलिस पर एकतरफा कार्रवाई करने का आरोप लगाया। कार्रवाई के दौरान डीएसपी और उसके बॉडीगार्ड ने महिला का हाथ पकड़ लिया और झटका देकर जमीन पर पटक दिया। इसके बाद वो बेटे को साथ ले गए। इस संबंध में डीआईजी शालीन ने कहा है कि मामले की जांच को एसएसपी को जिम्मा दिया जाएगा और अगर आरोप सही होंगे तो दोषियों पर कार्रवाई होगी।

अगस्ता ने पत्रकारों को दी ४५ करोड़ की घूस,राजदीप-बरखा संदेह के घेरे में!

नई दिल्ली (सं.सू.)। कांग्रेस पार्टी के चहेते पत्रकारों में से एक राजदीप सरदेसाई कल अपने टीवी चैनल ‘आजतक’ में बेहद बेचैन थे! बेचैनी में वह न केवल अपनी सीट छोड़ कर बार-बार इधर से उधर चक्‍कर काट रहे थे, बल्कि स्‍वयं में कुछ बड़बड़ा भी रहे थे! बार-बार एक के बाद एक फोन करने से लेकर घड़ी पर उनकी टकटकी से पता चल रहा था कि वह बेहद तनाव में है! ‘आजतक’ के पत्रकार समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर क्‍या वजह है कि राजदीप सरदेसाई इतने उद्विग्‍न नजर आ रहे हैं?

रात AajTak के ’10तक’ शो के लिए वरिष्‍ठ संपादक पुण्‍य प्रसून वाजपेयी उपलब्‍ध नहीं थे। वह बंगाल में चुनाव करवेज में लगे हुए हैं। राजदीप ने कहा कि वह आज ’10तक’ करेंगे। राजदीप ने डॉ सुब्रहमण्यिन स्‍वामी को फोन किया। डॉ स्‍वामी ने उसी दिन बुधवार को राज्‍यसभा में अगस्‍ता वेस्‍टलैंड पर कांग्रेस अध्‍यक्षा सोनिया गांधी का नाम लेकर तहलका मचा दिया था।

पिछले दो साल में हो या फिर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार हो- कांग्रेस के धुर विरोधी भाजपा की इन दोनों सरकारों में भी किसी सांसद या मंत्री ने संसद के अंदर कांग्रेस के गांधी परिवार पर कोई आरोप नहीं लगाया था! यह पहली बार था जब भाजपा के एक सांसद ने संसद के अंदर ‘पवित्र गांधी परिवार’ की मुखिया सोनिया गांधी का नाम अगस्‍ता वेस्‍टलैंड हेलीकॉप्‍टर घोटाले में लिया था। दशकों से चला आ रहा पार्टियों के बीच का अनकहा एथिक्‍स टूट चुका था!

परिणाम भी दिखा, पहली बार सोनिया गांधी और उनके राजनैतिक सलाहकार अहमद पटेल को सड़क पर उतर कर मीडिया के समक्ष अपनी निर्दोषिता की गुहार लगानी पड़ी। अन्‍यथा यूपीए के 10 साल में एक भी बड़ा पत्रकार इन दोनों में से किसी का साक्षात्‍कार नहीं ले सका था! टाइम बदल रहा है!

इसे राजदीप ने भी महसूस किया, जब डॉ. सुब्रहमनियन स्‍वामी ने उनसे कहा कि वह उनके टीवी शो में तभी आएंगे जब वह केवल वन-टू-वन सवाल करेंगे! वह कांग्रेसी प्रवक्‍ताओं के कुतर्कों का जवाब नहीं देंगे। राजदीप ने डॉ स्‍वामी को बुलाने के लिए हामी भर दी, लेकिन उनके शो में स्‍वामी के अपोजिट कांग्रेसी वकील अभिषेक मनुसिंघवी को ले आए। राजदीप ने अपनी बातें डॉ. स्‍वामी के मुंह में डालकर यह कहने की कोशिश की कि डॉ स्‍वामी के पास कोई सबूत नहीं है! सोनिया गांधी के खिलाफ और वह केवल सनसनी पैदा कर रहे हैं! राजदीप ने इस मामले में अभिषेक मनु सिंघवी को भी बीच में लाना चाहा, लेकिन स्‍वामी ने साफ कहा कि वह वन-टू-वन के करार को तोड़ रहे हैं! और यह भी कि वह बातों को घुमाने में माहिर हैं, लेकिन अपनी बात मेरे मुंह में डालकर कहलवाने की कोशिश न करें!

डॉ. स्‍वामी ने कहा कि उनके पास सोनिया गांधी द्वारा घूस लेने का पूरा सबूत है और वह इसे समय आने पर जांच एजेंसी को देंगे। उन्‍होंने यह भी कहा कि ED की अब तक के जांच से वह संतुष्‍ट हैं। राजदीप ने जब कहा कि आप सबूत दिखाइए तो डॉ स्‍वामी ने कहा, आपको क्‍यों दिखाऊं? मैं यह संबंधित एजेंसी को दूंगा। और आज तक आप लोग हमेशा यही कहते रहे हो कि स्‍वामी के पास सबूत नहीं है, लेकिन हर केस में अदालत में मेरे द्वारा प्रस्‍तुत सबूत से आपलोग चुप हो जाते हो! स्‍वामी ने कहा कि चूंकि आपने वन-टू-वन के करार को तोड़ा है, इसलिए मैं जा रहा हूं और वह चले गए।

शो खत्‍म करने के तुरंत बाद राजदीप टीवी टूडे के स्‍टूडियो से बाहर भागे और डॉ स्‍वामी को फोन किया। उस वक्‍त भी उनके चेहरे का डर साफ देखा जा रहा था! अगले दिन यानी आज गुरुवार को राज्‍यसभा में डॉ. स्‍वामी ने जब अगस्‍ता वेस्‍टलैंड घोटाले में भारतीय पत्रकारों की संलिप्‍तता से जुड़े मुद्दे को उठाना चाहा तो कांग्रेस भड़क गई और उन्‍हें मुद्दे को उठाने नहीं दिया! इससे पहले डॉ. स्‍वामी ने एक न्‍यूज लिंक ट्वीट किया था। उस लिंक को पढ़ने और राज्‍यसभा में उनके उठाए जाने वाले सवाल की कड़ी को जोड़कर देखने पर राजदीप सरदेसाई के उस डर का पता चल गया, जो अगस्‍ता वेस्‍टलैंड मामले के सामने आने के बाद से उनके और उनके पूर्व सहयोगी और एनडीटीवी की पत्रकार व 2जी घोटाले में मशहूर पावर ब्रोकर के रूप में सामने आ चुकी बरखा दत्‍त के चेहरे पर लगातार देखा जा रहा है!

डॉ. स्‍वामी के उस ट्वीट पर सबूतों के साथ भेजे एक उस pgurus.com के लेख का हिंदी अनुवाद और मूल लिंक इस प्रकार है ताकि वह पूरा सबूत देख सकें और अंग्रेजी में पूरी रिपोर्ट पढ़ सकें।

भारतीय पत्रकारों को मैनेज करने पर अगस्‍ता ने खर्च किए 45 करोड़ रुपए!

वीवीआईपी हेलीकॉप्‍टर घोटाले में दुबई में बैठे जिस बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल का नाम बार-बार आ रहा है, उसे AgustaWestland की मूल कंपनी Finmeccanica ने भारतीय पत्रकारों को मैनेज करने के लिए साल 2010 से 2012 के बीच करीब 6 मिलियन यूरो (करीब 45 करोड़) रुपए दिए! दस्‍तावेजों से यह जाहिर होता है कि Finmeccanica ने मिशेल की दुबई स्थित कंपनी Global Services FZE के साथ करार किया। आपको ज्ञात होना चाहिए कि अगस्‍ता वेस्‍टलैंड का डील वर्ष 2009 में फाइनल हुआ था और डील के फाइनल होते ही इसमें ली गई घूस आदि की खबर को दबाए रखने के अर्थात मीडिया मैनेजमेंट के लिए सन् 2010 में Finmeccanica ने मिशेल की कंपनी Global Services FZE से करार किया।

मिशेल की कंपनी को Finmeccanica ने मीडिया मैनेजमेंट के लिए 2 लाख 75 हजार यूरो प्रति महीने के हिसाब से अगले 22 महीने तक पेड किया। क्रिश्चियन मिशेल दिल्‍ली के The Claridges होटल से अपनी गतिविधियों को संचालित करता था और वहीं रहता था। उसका काम पत्रकारों व नौकरशाहों को पैसे खिलाकर मैनेज करना था ताकि हो चुके इस डील में आगे किसी भी तरह का अवरोध उत्‍पन्‍न न हो।

भारत की पूरी पत्रकारिता के गंदा चेहरे का सबसे बड़ा सबूत यही है कि 2010 से 2012 के बीच अगस्‍ता वेस्‍टलैंड को लेकर हुए डील पर न एक भी लाइन किसी अखबार में लिखा गया और न ही एक भी खबर न्‍यूज चैनलों में ही कोई खबर चला! अगस्‍ता पर पहली खबर का प्रकाशन व प्रसारण 2013 में उस वक्‍त शुरू हुआ जब इटली की जांच एजेंसी ने Finmeccanica के प्रमुख ओरसी को घूस देने के मामले में गिरफ्तार किया। अर्थात जब भारतीय मीडिया के लिए यह मजबूरी हो गई तभी इस मामले में खबर का प्रकाशन व प्रसारण हुआ! अन्‍यथा उससे पहले मिशेल के 6 मिलियन यूरे के कमाल से भारतीय पत्रकारों का कलम और कैमरा दोनों बंद रहा!

मशहूर वामपंथी अखबार ‘द हिंदू’ ने 26 अप्रैल 2016 को क्रिश्चियन मिशेल जेम्‍स द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कांग्रेस नेताओं को लिखे पत्र का प्रकाशन किया, जिसमें केवल जेम्‍स नाम से हस्‍ताक्षर किया गया है। उल्‍लेखनीय है कि ‘द हिंदू’ ही वह अखबार है, जिसने मिशेल के पत्र को आधार बनाकर यह झूठ भी प्रकाशिता किया कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली के प्रधानमंत्री के बीच यह करार हुआ है कि भारतीय मछुवारों के हत्‍यारे इटली के मरीन को भारत छोड़ देता, जिसके बदले में इटली गांधी परिवार व कांग्रेस नेताओं को फंसाने के लिए सबूत देगा!

गुलामनबी आजाद ने बुधवार को इसी अखबार को कोट करते हुए यह झूठ बोला, लेकिन सदन के नेता अरुण जेटली ने साफ कहा कि भारतीय व इटली के प्रधानमंत्री के बीच कहीं कोई बैठक या बातचीत ही नहीं हुई और यह केवल मनगढंत कहानी है!

सदन के नेता के स्‍पष्‍टीकरण के बाद गुलामनबी या फिर ‘द हिंदू’ को सबूत पेश करना चाहिए था, लेकिन चूंकि झूठ बोलकर में सोनिया गांधी के प्रति सहानुभूति पैदा करने की कोशिश की गई थी, इसलिए न कांग्रेस और न ही ‘द हिंदू’ ही जेटली द्वारा संसद में किए गए दावे को झुठला सकी!

हां, तो ‘द हिंदू’ ने मिशेल जेम्‍स को कोट करते हुए यह खबर प्रकाशित किया कि उसकी कंपनी और अगस्‍ता वेस्‍टलैंड के बीच किसी तरह का समझौता नहीं हुआ और इस बारे में जो भी बातें कहीं गई है, उसका कोई आधार नहीं है। यहां दिए गए मूल खबर के लिंक को ओपन कर मिशेल व अगस्‍ता की मूल कंपनी के बीच हुए करार की कॉपी पाठक देख सकते हैं।

खबर कहती है कि ‘द हिंदू’ सहित बरखा दत्‍ता व राजदीप सरदेसाई बिचौलिए मिशेल द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को लिखे जिस पत्र का बार-बार जिक्र कर रहे हैं, वह पत्र आखिर उन्‍हें कहां से मिला? प्रधानमंत्री कार्यालय ने तो यह उपलब्‍ध कराया नहीं होगा तो क्‍या बिचौलिए मिशेल से इन पत्रकारों को यह पत्र मिला? और यदि हां तो यह साबित करता है कि मिशेल ने मीडिया मैनेजमेंट के लिए जो 45 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, उसमें ‘द हिंदू’ राजदीप सरदेसाई, बरखा दत्‍ता आदि साझीदार हैं!

इसलिए यह जांच का विषय है कि आखिर बिचौलिए मिशेल द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र की कापी इन पत्रकारों के पास कहां से पहुंची? और जब मिशेल और अगस्‍ता के बीच करार का दस्‍तावेज मौजूद है तो मिशेल के उस झूठे पत्र का ये पत्रकार बार-बार नाम क्‍यों ले रहे हैं? बड़ा सवाल यही है कि एक बिचौलिए के झूठे पत्र और बयान को यह पत्रकार बार-बार क्‍यों उछाल रहे हैं? इन्‍हें हथियारों की दलाली करने वाले एक व्‍यक्ति पर इतना भरोसा क्‍यों है? यह यह 6 मिलियन यूरो की खाई हुई दलाली का असर है?

ऐसा नहीं है कि यह केवल कयासबाजी है। मूल खबर के अनुसार, पत्रकार Raju Santhanam से Enforcement Directorate(ED) ने मोदी सरकार आने के बाद 2015 में पूछताछ की है, जिसमें उसने यह स्‍वीकार किया है कि उसने मिशेल जेम्‍स से लाभ प्राप्‍त किया है। ईडी राजू को गवाह के तौर पर पेश करने की तैयारी कर रही है। कहीं यही कारण तो नहीं है कि राजदीप सरदेसाई और बरखा दत्‍त जैसे पत्रकारों के चेहरे पर हवाईयां उड़ रही हैं?

जांच में यह भी पता चला है हथियार डीलर अभिषेक वर्मा ने मिशेल जेम्‍स के लिए पत्रकारों को मैनेज किया था। अभिषेक वर्मा वर्तमान में जेल में है। अभिषेक वर्मा मशहूर साहित्‍यकार व पत्रकार श्रीकांत वर्मा का बेटा है। श्रीकांत वर्मा दो बार कांग्रेस से राज्‍यसभा के सदस्‍य रह चुके हैं। यही नहीं, हिंदी के साहित्‍यकार श्रीकांत वर्मा 70 के दशक में राजीव गांधी व सोनिया गांधी को हिंदी सिखाने वाले शिक्षक रह चुके हैं और गांधी परिवार के बेहद करीब रहे हैं।

Wednesday, April 27, 2016

राज्यसभा में स्‍वामी ने सोनिया गांधी पर लगाया घूस का आरोप

नई दिल्ली (सं.सू.)। राज्यसभा में अगस्तावेस्टलैंड के मामले को लेकर बुधवार को हंगामा हुआ। कांग्रेस इस मुद्दे पर आक्रामक होकर बीजेपी को घेरने का प्रयास करती रही वहीं, बीजेपी मामले में कांग्रेस नेताओं का नाम आने पर हमलावार रही। इस मामले को लेकर राज्‍यसभा में बुधवार को हंगामा हुआ। इसके चलते सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्‍थगित करनी पड़ी। राज्‍यसभा की कार्यवाही शुरू होने पर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले में सोनिया गांधी का नाम लिया। इस पर कांग्रेस नेता हंगामा करने लगे। स्‍वामी ने इस मामले में चर्चा के लिए राज्‍यसभा में नोटिस भी दिया है। वहीं मीनाक्षी लेखी ने लोकसभा में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिया।

इस मामले पर स्वामी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी सौदे के दलाल क्रिश्चियन मिशेल के मौखिक बयान को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं जबकि इटली की कोर्ट में जो लिखित बयान दिया है और जिसके आधार पर कोर्ट ने अपने ऑर्डर में साफ-साफ इस मामले में मुख्य आरोपी के रूप में श्रीमती (सोनिया) गांधी का नाम लिया। जैसे ही मामले में उन्होंने सोनिया गांधी का नाम लिया कांग्रेस के सांसद वेल में आ गए और खूब हंगामा किया।

हंगामा देखते हुए सदन के पीठासीन अधिकारी ने सुब्रह्मण्यम स्वामी को चेताया कि सदन में ऐसे किसी सांसद का नाम नहीं लिया जाए जो इस सदन में आकर जवाब नहीं दे सकता है। स्वामी ने इसमें हामी भर दी लेकिन कांग्रेस के सदस्य हंगामा करने से बाज नहीं आए और सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।

बता दें कि मंगलवार को ही सुब्रह्मण्यम स्वामी को बीजेपी ने राज्यसभा का सदस्य बनवाया है। वैसे यह बात गौर करने की है कि सुब्रह्मण्यम स्वामी की राजनीति में उन्होंने राजनीतिक तौर पर सबसे ज्यादा हमला गांधी परिवार पर ही किया है। वे तमाम मुद्दे खासतौर पर गांधी परिवार के खिलाफ ही मीडिया में लाते रहे हैं।

Tuesday, April 26, 2016

अगस्ता वेस्टलैंड दलाली के दलदल में फंसी कांग्रेस

नई दिल्ली (सं.सू,)। कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के शासन के दौरान 12 अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर की 3600 करोड़ रुपये की खरीद में कांग्रेस बुरी तरह फंस गई है। इटली की कोर्ट ने अगस्ता वेस्टलैंड के प्रमुख जिउसेपे ओरसी को भारत में नेताओं और अफसरों को रिश्वत देने का दोषी पाया और उन्हें साढ़े चार साल कैद की सजा हुई है। इटली की अदालत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जिक्र करते हुए कहा कि इस घोटाले में भारतीय बिचौलियों को 120 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई।

सरकार की ओर से राज्यसभा में इस मुद्दे को बुधवार को सुब्रह्मण्यम स्वामी उठाएंगे। सोमवार को यह मुद्दा लोकसभा में मीनाक्षी लेखी ने शून्यकाल में उठाया था। मंगलवार को भाजपा संसदीय समिति में भी इस पर चर्चा हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे। बैठक के बाद दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस को यह साबित करने की चुनौती दी कि हेलीकाप्टर घोटाले में उसके कोई नेता शामिल नहीं हैं। प्रसाद ने कहा, रिश्वत देने वालों पर दोष साबित हुआ है, तो अब रिश्वत लेने वाले चुप क्यों हैं? भाजपा संसद में इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरेगी।

मीडिया के अनुसार इटली की कोर्ट ने फैसले में बताया है कि किस तरह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके सहयोगी तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायण और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने कंपनी ने लॉबिंग की। सोनिया को इसमें ‘ड्राइविंग फोर्स’ बताया गया। फैसले के पेज नंबर 225 में बताया गया कि सोनिया के राजनीतिक सचिव को सौदा पूरा कराने के लिए 15 से 16 यूरो मिलियन (17-18 मिलियन डॉलर) दिए गए।

कोर्ट ने पूर्व वायु सेना प्रमुख एसपी त्यागी को भी दोषी माना है। त्यागी 2005-07 के दौरान वायु सेना प्रमुख थे और तभी इटली से समझौता हुआ था।’ फैसले में सोनिया गांधी का नाम चार बार आया। इसमें उन्हें ‘सिग्नोरा गांधी’ लिखा गया है। ‘सिग्नोरा’ का मतलब है ‘श्रीमती’। फैसले में डॉ. मनमोहन सिंह, कांग्रेस नेताओं- अहमद पटेल और ऑस्कर फर्नाडीस के साथ तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन का भी जिक्र है।’ साल 2013 में जिउसेपे ओरसी की लिखी चिट्ठी में मनमोहन सिंह का जिक्र है।

कोर्ट के फैसले में 15 मार्च, 2008 का एक पत्र भी संलग्न है, जिसमें क्रिस्टियन मिशेल नाम के बिचौलिए के नाम है। उसने फिनमैकानिका कंपनी के तत्कालीन सेल्स तथा लाइजनिंग प्रमुख (भारत) पीटर ह्यूलेट को पत्र लिखा था कि डील के लिए सोनिया का राजी होना जरूरी है। सोनिया एमआइ-8 हेलीकॉप्टर्स में उड़ना पसंद नहीं करती हैं।’ फैसले में मिशेल के लिखे उन दस्तावेजों को भी शामिल किया गया है जिनमें 30 मिलियन यूरो राशि बतौर कमीशन दिए जाने का विवरण है। दस्तावेजों के अनुसार एयरफोर्स अधिकारियों को 6 मिलियन यूरो तथा रक्षा मंत्रलय के कई अधिकारियों को 8.4 मिलियन यूरो दिए गए थे।

थाने से भाग निकले स्टिंग में फंसे शराबी कांग्रेस विधायक

पटना (सं.सू.)। शराब मेरे घर में है, कहते हुए टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में दिखे नरकटियागंज से कांग्रेस के विधायक विनय वर्मा घर और बाहर दोनों जगहों पर मुश्किल में फंसते जा रहे हैं। कांग्रेस ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है, दूसरी तरफ पुलिस और उत्पाद विभाग ने उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। इस मामले में राजनीति भी तेज हो गई है। पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि वर्मा को बचाने के लिए सरकार नाटक कर रही है। पुलिस केवल दिखावे के लिए उनके आवास पर छापेमारी की है।

मंगलवार सुबह स्टिंग करने वाले चैनल पर शिकायत दर्ज कराने समर्थकों के साथ शिकारपुर थाने पहुंचे। वहां उत्पाद विभाग की टीम भी पहुंची। दोनों के बीच कहासुनी हुई। पुलिस उनकी गाड़ी को रोकती रही, लेकिन समर्थकों के सहारे विधायक भाग निकले। काफी देर तक अफरातफरी मची रही। दोपहर में विधायक के पटना (पाटलिपुत्र) स्थित आवास पर पुलिस ने छापेमारी की। पुलिस वहां विधायक को खोजने पहुंची थी, लेकिन वे नहीं मिले। उत्पाद विभाग ने पाटलिपुत्र थाने में विधायक के खिलाफ केस दर्ज करा दिया।

विधायक के खिलाफ उत्पाद अधीक्षक राकेश कुमार के नेतृत्व में सोमवार देर रात से छापेमारी शुरू हो गई। मंगलवार सुबह इसमें और तेजी आई। विधायक जब थाने पहुंचे तो उनसे सात -आठ मिनट तक पूछताछ हुई। अधिकारियों ने कहा कि आपकी गिरफ्तारी का आदेश है। इस पर समर्थक भड़क गए। विधायक अपने वाहन में बैठ गए। उत्पाद अधीक्षक और पुलिस पदाधिकारी पूछताछ के लिए फिर चैंबर में लाने का प्रयास करने लगे। इस पर समर्थक आपे से बाहर हो गए और कहने लगे कि विधायक कोई अपराधी नहीं हैं। उन्हें बिना वजह फंसाया जा रहा है। समर्थकों ने चुनौती दी कि शिकारपुर चलते हैं, वहां आकर गिरफ्तार कर लीजिए। विधायक ने कहा कि मैं कोई अपराधी नही हूं। अपने काम से जा रहा हूं। निकलते वक्त विधायक के वाहन के आगे पुलिस और समर्थक आमने -सामने हो गए। सैप के जवान तथा सब इंस्पेक्टर वाहन को रोकने का प्रयास कर रहे थे। गाड़ी बढ़ी और एक सैप जवान के पैर को छू गई। फिर वाहन पीछे कर और मोड़ लेते हुए निकल पड़ा।

पटना में सहायक उत्पाद आयुक्त ने कृष्ण कुमार ने पाटलिपुत्र थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद विधायक के मकान संख्या-321 में छापा मारा, हालांकि टीम के साथ कुछ नहीं लगा। विधायक के विरुद्ध बिहार उत्पाद अधिनियम की धारा 47 (ए) और 53 (बी) सहित साक्ष्य छुपाने के लिए आइपीसी की धारा 201 के अंतर्गत कांड संख्या 148/16 दर्ज किया गया है।

पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि विधायक विनय वर्मा को बचाने के लिए सरकार नाटक कर रही है। उनहोंने कहा कि अगर नीतीश कुमार में हिम्मत है तो विधायक पर कड़ी कार्रवाई करके दिखाएं। नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार ने कहा कि विनय वर्मा को को अविलंब गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

सोमवार देर शाम स्टिंग सामने आया था। न्यूज चैनल की टीम नरकटियागंज के विधायक से शराबबंदी पर बातचीत करने पहुंची। विधायक ने मीडिया टीम से कहा, ‘आइ विल ऑफर यू लिकर।’ टीम द्वारा शराबबंदी की बाबत पूछने पर कहा, ‘मेरे पास है। कैसे फेंक दूं? वहां गांव में कई ब्रांड की शराब है।’

बिहार में 9 बजे के बाद चूल्हा जलाया तो दो साल की कैद

पटना (सं.सू.)। ग्रामीण क्षेत्रों में अगर सुबह 9 बजे के बाद चूल्हा जला तो एक से दो वर्ष तक जेल की सजा भुगतनी पड़ सकती है, जुर्माना देना पड़ सकता है या फिर कैद के साथ-साथ जुर्माना भी संभव है। आपदा प्रबंधन विभाग ने मंगलवार को इस संबंध में सभी जिलों को आदेश जारी किया है। सजा का प्रावधान राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 (बी) के तहत है। इस धारा में जुर्माना का जिक्र तो है पर इसकी राशि क्या होगी इसका उल्लेख नहीं है।

आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा मंगलवार को जारी आदेश में कहा गया कि समय-समय पर आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा यह दिशा-निर्देश जारी किया जाता है कि अग्निकांड से बचने के लिए क्या करें और क्या नहीं करें। पर देखने में आया है कि इस पर कोई ध्यान नहीं रहता परिणामस्वरूप कई घटनाएं सामने आयी हैं। इसी को ध्यान में रख आपदा प्रबंधन विभाग ने एडवाइजरी जारी किए हैं। एडवाइजरी का दृढ़तापूर्वक पालन किया जाए इसलिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 (बी) को सख्ती से लागू किये जाने का निर्देश जारी किया गया है। सूबे में पहली बार इस कानून का सहारा लिया जा रहा है। इसके तहत सुबह 9 बजे से सायं 6 बजे के बीच चूल्हा नहीं जलाया जा सकता है। इस बाबत जब आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब पटना प्रमंडल की समीक्षा बैठक की तो उन्होंने इस मौसम में अगलगी की बढ़ती घटनाओं की भी समीक्षा की। इसे नियंत्रित करने के उपाय पर भी चर्चा हुई थी। आपदा प्रबंधन विभाग ने जब अपने स्तर से अगलगी की घटनाओं की समीक्षा की तो इसके कुछ कारण सामने आए। छपरा में पिछले दिनों एक महिला अपने घर में मछली बना रही थी। इस दौरान निकली चिंगारी से चार हजार घर जल गए। दानापुर व बख्तियारपुर में हवन के दौरान निकली चिंगारी से बड़ा अग्निकांड हुआ। रोहतास में गेहूं की कटनी के बाद खेत में आग लगाने से अग्निकांड हुआ। इस तरह की घटनाएं कई अन्य जगहों से रिपोर्ट हुई है। बिजली के लूज वायर की वजह से भी घटनाएं हो सकती हैं। इन सब को नियंत्रित किए जाने को ले कानून का सहारा लिया जा रहा है।

Monday, April 25, 2016

हिन्दू लड़का और मुस्लिम लड़की की शादी के लिए परिवार हुआ राजी लेकिन अफसर बोले ना जी

नोएडा (सं.सू.)। मियां-बीवी राजी लेकिन अफसर बन गए काजी। ये कहानी है दिल्ली से सटे नोएडा के एक प्रेमी जोड़े की, जिसमें लड़की ने धर्म बदलकर लड़के से शादी कर ली। दोनों के परिवार वाले भी अब इस शादी को कबूल कर चुके हैं लेकिन आरोप है कि यूपी सरकार के अफसर इस शादी को मंजूरी देने में आनाकानी कर रहे हैं।

20 साल की सपना अपने ससुराल में बहुत खुश है। उसे दिल-ओ-जान से चाहने वाला पति मिला है। अपनी अम्मा जैसी मां मिली है और खाता-पीता परिवार मिला है, लेकिन इस प्रेमी जोड़े को पिछले छह महीने से एक मानसिक तनाव झेलना पड़ रहा है। वो ये है कि इनके इस रिश्ते पर कानूनी मुहर नहीं लग रही है। सपना और मंजीत भाटी की इस परेशानी की कहानी शुरू होती है पिछले साल अक्टूबर महीने से, जब सपना की पहचान सपना आर्या नहीं सलमा हुआ करती थी।

दिल्ली से सटे नोएडा के दादरी में एक गांव है चिटेहड़ा। इसी गांव की गलियों में सलमा और मंजीत की पहचान हुई। पहचान दोस्ती में बदली और फिर दोस्ती प्यार में, लेकिन जब तक इस प्यार को मुकाम मिल पाता तब तक सलमा के घरवालों ने उसकी शादी उससे दस साल बड़े शख्स से तय कर दी। बिना माता-पिता की बेटी को उसके चाचा-चाची ने पाला पोसा था। आरोप है कि घरवालों के फैसले को कबूल नहीं करने पर सलमा के साथ उसके चाचा-चाची ने मारपीट शुरू कर दी।

दो दिलों की मुहब्बत ने जब मुकाम की तलाश की तो सच्चे प्यार के सामने जाति-धर्म की दीवार पल भर में पार कर ली। मुस्लिम धर्म की सलमा ने हिंदू धर्म के मंजीत से शादी का फैसला कर लिया। पहले सलमा ने आर्य समाज मंदिर में अपना धर्म बदला और फिर सलमा से सपना आर्या बनकर इलाहाबाद के आर्य समाज मंदिर में मंजीत से शादी कर ली। इधर सलमा के गायब होने के बाद मंजीत भाटी के खिलाफ मेरठ में शिकायत दर्ज करा दी गई थी, लेकिन मंजीत शादी के फौरन बाद हाईकोर्ट से आदेश लेकर मेरठ पुलिस के सामने पेश हुआ। उसने वहां सलमा के धर्म परिवर्तन के सर्टिफिकेट पेश किये। आर्यसमाज मंदिर में विवाह का सर्टिफिकेट दिखाया और सपना ने मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान भी दर्ज करा दिया।

इसके बाद इस जोड़े को न तो अपने गांव, घर और समाज में कोई दिक्कत आई और न ही किसी ने इन्हें हिंदू और मुस्लिम की शादी होने का अहसास दिलाया। मंजीत के घरवालों ने भी अपनी छोटी बहू को बेटी की तरह घर में रखा। सच्ची मुहब्बत और बदलती दुनिया की सोच ने तो मंजीत-सलमा के रिश्ते को मंजूरी दे दी, लेकिन मंजीत भाटी ज्योंही अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन कराने पहुंचे तो वहां अधिकारियों ने इन्हें जरूर याद दिलाया कि एक हिंदू ने मुस्लिम लड़की से शादी की है। मंजीत का ये भी आरोप है कि शादी का रजिस्ट्रेशन करने वाले अधिकारी ने उनसे घूस के पैसे भी मांगे। अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट-काटकर थक चुके मंजीत ने अब सीएम अखिलेश यादव से गुहार लगाई है।

अखिलेश य़ादव को भेजे ईमेल का अभी जवाब नहीं आया है। मंजीत को सूबे के मुख्यमंत्री से उम्मीद है। वरना जिला प्रशासन के अधिकारियों की हर चौखट पर मंजीत को ये याद दिलाया जा रहा है कि उसने हिंदू होकर मुस्लिम लड़की से शादी की है और ये किसी न किसी वजह से उन अफसरों के लिए कबूल करना मुश्किल हो रहा है।

सऊदी शाह ने मोहम्मद साहब के जन्म स्थान पर बुलडोजर चलवाकर आलिशान महल बनवाया

रियाद (सं.सू.)। सऊदी अरब के शाह सलमान ने मोहमद साहब के जन्म स्थान और उस पहाड़ी जहाँ उन्होंने पहली बार उपदेश दिया था के उपर बुलडोजर चलवाकर प्रिंस के लिए आलिशान महल और पार्किंग बनवा दिया है।

पिछले कुछ सालों में सऊदी सरकार ने वह तमाम ऐतिहासिक निशानियां मिटा दीं जो पैगम्बर मुहम्मद साहेब से जुड़ी थीं। बताया जाता है कि जहां कल तक पैगम्बर साहब के शुरूआती साथियों की कब्रें थीं वे अब नजर नहीं आतीं। कई ऐतिहासिक मस्जिदें जिन्हें लोग पवित्र मानते थे वहां अब बिजनेस सेंटर या शाही परिवार का महल नजर आता है। कहीं-कहीं तो इन प्राचीन इमारतों को तोड़ कर भव्य पार्किंग बना दी गई।

राम का जन्म अयोध्या में हुआ इसके अब तक कोई ठोस पुरातात्विक प्रमाण नहीं मिले हैं क्योंकि यह हजारों साल पुरानी घटना है जिसके प्रमाण मिल पाना तकरीबन नामुमकिन है। लेकिन मक्का में हजरत मोहम्मद पैगम्बर साहब का जन्म जिस घर में हुआ उसके तमाम पुरातात्विक प्रमाण मौजूद हैं। क्योंकि यह घटना बहुत पुरानी नहीं। मोहम्मद साहेब का जन्म 570 ईसवी में हुआ था। इसमें कोई विवाद भी नहीं है। बाद में उसे लाइब्रेरी में तब्दील कर दिया गया था।

हजरत के दौर की कई मस्जिदें और इमारतें मक्का में अभी दो-चार साल पहले तक मौजूद थीं जिन पर अरब के बादशाह ने बुलडोजर चला कर जमींदोज कर दिया। इसमें पैगम्बर की पहली नेकदिल बेगम खदीजा का घर भी शामिल था। इसमें इस्लाम के पहले खलीफा अबू बकर का घर भी शामिल है जहां आज होटल हिलटन खड़ा है। जिस ऊंची पहाड़ी की चोटी "फारान" से हजरत मोहम्मद साहब ने अपने पैगम्बर होने की घोषणा की थी, आज वहां सऊदी शाह ने अपना आलीशान महल बनवा दिया है।
हैरत की बात है कि पैगम्बर साहब का घर तोड़ते वक्त विरोध की एक भी आवाज दुनिया के कोने से नहीं सुनाई दी। छोटी-छोटी बातों पर खून-खराबी पर उतर आनेवाले इस्लामिक जगत में ऐसी चुप्पी और खामोशी अजब है।

कन्हैया पर जुर्माना, उमर खालिद, अनिर्बान JNU से बाहर निकाले गए

नई दिल्ली (सं.सू.)। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में कश्मीर पर हुए एक विवादित कार्यक्रम की जांच से जुड़ी एक समिति ने जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर सोमवार को 10 हजार रुपये जुर्माना लगाया, जबकि उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य को एक सेमेस्टर के लिए तथा मुजीब गट्टो को दो सेमेस्टर के लिए निष्कासित कर दिया। विश्वविद्यालय के एक आदेश के मुताबिक, खालिद व भट्टाचार्य को इस अकादमिक सत्र का एक सेमेस्टर गंवाना पड़ेगा, जबकि गट्टो का दो सेमेस्टर नुकसान होगा।

जेएनयू द्वारा गठित एक जांच समिति द्वारा कदाचार व अनुशासनहीनता का दोषी पाए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई है।

चीफ प्रॉक्टर ने कहा, “खालिद, भट्टाचार्य व गट्टो को ‘अ कंट्री विदाउट अ पोस्ट ऑफिस’ नामक कविता पाठ के बहाने विरोध-प्रदर्शन करने का दोषी पाया गया।”

आदेश के मुताबिक, खालिद पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

खालिद ने आईएएनएस से कहा, “लगता है कि हमें निष्कासित किया गया है। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन से अभी तक इस बाबत हमें कोई सूचना नहीं मिली है। हमने सिर्फ प्रेस विज्ञप्ति पढ़ी है। उसमें नाम नहीं है, लेकिन इसका अनुमान लगाना कठिन नहीं है।”

जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर केवल जुर्माना लगाया गया है।

उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय परिसर में इस साल नौ फरवरी को एक विवादित कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर लगे राष्ट्रविरोधी नारों के मामले में कन्हैया कुमार, उमर खालिद तथा अनिर्बान भट्टाचार्य पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था।

दिल्ली पुलिस ने उस वक्त दावा किया था कि उसके पास कन्हैया कुमार व अन्य छात्रों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं, लेकिन वे उसे न्यायालय के समक्ष पेश करने में नाकाम साबित हुए थे, जिसके कारण उन्हें जमानत मिल गई थी।

चीन के घटिया उत्पादों पर मोदी सरकार ने लगाया बैन

नई दिल्ली (सं.सू.)। उइगुर नेता डोल्कुन ईसा का वीजा रद्द किए जाने के एक दिन बाद केंद्र सरकार ने बताया कि उसने चीन से दूध, दुग्ध उत्पादों और कुछ मोबाइल फोन समेत कुछ उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि निम्न स्तरीय या सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करते पाया गया।

लोकसभा में भोला सिंह एवं कुछ अन्य सदस्यों के पूरक प्रश्नों के उत्तर में वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत ने चीन से दूध एवं दुग्ध उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि उनकी गुणवत्ता अस्वीकार्य थी।

सीतारमण ने कहा कि वैसे कुछ मोबाइल फोन जिन पर अंतराष्ट्रीय मोबाइल स्टेशन उपकरण पहचान संख्या या अन्य सुरक्षा सुविधाएं नहीं थी उन्हें भी प्रतिबंधित किया गया है। इसके साथ चीन से कुछ इस्पात उत्पादों के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

वाणिज्य मंत्री ने कहा, ‘डब्ल्यूटीओ नियमों के कारण अब किसी देश से आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना संभव नहीं है चाहे उस देश के साथ हमारे राजनयिक, क्षेत्रीय या सैन्य समस्याएं क्यों न हो।’ उन्होंने कहा कि चीन के साथ हमारा व्यापार घाटा 2015.16 की फरवरी-अप्रैल की अवधि में 48.68 अरब डॉलर था जबकि द्विपक्षीय कारोबार 65.16 अरब डॉलर था।

सीतारमण ने कहा कि चीन के साथ हमारा व्यापार घाटा बढ़ा है जिसका कारण मुख्य रूप से यह है कि चीन की ओर से भारत को निर्यात मुख्य रूप से दूरसंचार और उर्जा क्षेत्र से जुड़े विनिर्माण क्षेत्र के उत्पाद हैं।

अनुबंधित कामगारों का न्यूनतम वेतन 10 हजार रुपये प्रतिमाह किया गया

नई दिल्ली (सं.सू.)। सरकार ने सोमवार को कहा कि अनुबंध के आधार पर काम करने वाले कामगारों का न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 10 हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है।

लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के आलोक में वेतन में वृद्धि की गई है।

दत्तात्रेय ने कहा कि सरकार कामगारों की स्थिति बेहतर बनाने को प्रतिबद्ध है और श्रमिकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने की दिशा में पहल की जा रही है।

दत्तात्रेय ने कहा कि हाल ही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और महंगाई भत्ते के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 10 हजार रुपये कर दिया गया है।

उन्होंने कहा कि 17 अप्रैल के सरकारी आदेश के तहत अनुबंध पर आधारित श्रमिकों को प्रति माह 10 हजार रुपये न्यूनतम वेतन देने का बात कही गई है।

कन्हैया ने सस्ती लोकप्रियता बटोरने के लिए कही गला दबाने की बात?

नई दिल्ली (सं.सू.)। जेएनयू छात्रसंघ अध्‍यक्ष कन्‍हैया कुमार ने रविवार को मुंबई से पुणे जाने वाले फ्लाइट में ज्योति डेका नाम के शख्स पर गला घोंटने का आरोप लगाया था। मुंबई पुलिस ने कन्हैया कुमार के आरोपों को खारिज कर दिया है। गौर हो कि कन्हैया के आरोपों के बाद मुंबई पुलिस ने 33 साल के ज्योति डेका को हिरासत में लिया था। ज्योति डेका पुणे में टीसीएस के कर्मचारी हैं।

मानस ज्योति डेका का कहना है कि कन्हैया कुमार ने सस्ती लोकप्रियता बंटोरने के लिए उनपर गला घोंटने का आरोप लगाया। 'मेरा हाथ उनकी गर्दन पर पड़ गया था क्‍योंकि पैर में दर्द की वजह से मैं खुद को संतुलित करने की कोशिश कर रहा था।' डेका ने बताया कि वह निजी तौर पर कन्हैया कुमार को जानते तक नहीं है उन्होंने सिर्फ उसकी तस्वीर देखी है। मानस ने कोलकाता से पुणे लौटने के बाद मुंबई में मीडिया से यह बात कही। वहीं, ज्‍वाइंट कमिश्‍नर ऑफ पुलिस का कहना है कि कन्हैया कुमार ने जो भी आरोप लगाए हैं वो हमारी जांच में गलत पाए गए हैं।

महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री राम शिंदे का कहना है कि कन्हैया कुमार राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले की विस्तृत जांच कराने का आदेश दिया है। शिंदे ने बताया कि विमान में बैठने तक कन्हैया कुमार को पूरी सुरक्षा प्रदान की गई। विमान के भीतर किसी को सुरक्षा नहीं दी जा सकती। मुझे भी विमान के अंदर सुरक्षा नहीं मिलती है।’ उन्होंने कहा, ‘कन्हैया कुमार तीन अन्य लोगों के साथ यात्रा कर रहे थे। उनको खिड़की वाली सीट दी गई थी और ऐसे में वहां से गुजरने के दौरान बीच वाली सीट पर बैठे व्यक्ति से उनका झगड़ा हो गया। दूसरा व्यक्ति यह भी नहीं जानता था कि यह कन्हैया कुमार हैं और वह भी आरोप लगा रहा है कि छात्र नेता ने उसे पीटा।’ शिंदे ने कहा कि उन्होंने संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) देवेन भारती से कहा है कि वह मामले की विस्तृत जांच करें और तथ्य सामने लाएं।

Sunday, April 24, 2016

पंचायती राज दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- गांवों का विकास ही देश का असली विकास

जमशेदपुर (सं.सू.)। झारखंड के जमशेदपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला जनप्रतिनिधियों से देश के विकास कार्यों की चौकसी करने की अपील की। रविवार को पंचायती राज दिवस पर जन प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश की एक तिहाई ग्राम प्रधान महिलाओं से विकास कार्यों की निगरानी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के सपनों का भारत बनाने के लिए महिला जनप्रतिनिधियों को आगे आकर अपनी भूमिका निभानी होगी।

उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए चलाए जाने वाली मध्याह्न भोजन योजना के पैसों का लाभ सही जगह पहुंचे इसके लिए ग्राम सभा की महिला भागीदारों को इसकी देखभाल करनी होगी। महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। इसके बावजूद देश में शहरों और गांवों में विकास की रफ्तार में अंतर दिखता रहा।

पीएम मोदी ने कहा कि पहली बार केंद्र सरकार ने गांवों के विकास के लिए बजट में बड़ी रकम का प्रावधान किया है। इसका जरूरी लाभ गांव वालों को मिल सके इसलिए गांव के लोग ही आगे आकर योजनाओं को जमीन पर लाने में सहयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत ने पांच सालों के लिए के मुझपर यकीन जताया है। मैं उनके भरोसे पर खड़ा उतरने की पूरी कोशिश कर रहा हूं।

पीएम मोदी ने पंचायती राज की महिला प्रतिनिधियों से स्वच्छता अभियान के तहत गांवों में शौचालय निर्माण की सरकारी योजना को सफल बनाने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि महात्वाकांक्षी योजना को सफल बनाने में मदद करनी चाहिए। वहीं मां बनने वाली महिलाओं की मौत को रोकने के लिए स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ाने की भी उन्होंने अपील की। इसके साथ ही उन्होंने पल्स पोलियो अभियान को सार्थक बनाकर किसी बच्चे के अपंग होने पर रोक लगाने की भी अपील की।

पंचायती राज दिवस पर पीएम मोदी ने ग्राम उदय से भारत उदय योजना पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के गांव से शुरू हुआ यह अभियान बिरसा मुंडा की धरती पर होने के साथ ही काफी व्यापक हो गया है। उन्होंने कहा कि चिलचिलाती धूप में भी मंत्री और अधिकारी गांव तक जा रहे हैं। प्रतिनिधि को चाहिए कि पांच साल में ऐसा काम करें कि लोग उन्हें याद रखे।

पीएम मोदी ने कहा कि अब भारत सरकार को दिल्ली से बाहर निकालकर हिंदुस्तान के दूसरे प्रांतों में ले जाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि गांव को सड़क और बिजली मिलनी चाहिए। हमारे देश में 30 लाख जन प्रतिनिधि हैं। इनमे 40 फीसदी महिलाएं हैं। हमारी मां और बहनें नेतृत्व कर परिवर्तन ला सकती हैं। वो चाहें तो अपने गांव को सोशल हेल्थ कार्ड, बाल मित्र, हरित गांव, जल संचय, डिजिटल और दहेज मुक्त बनाने में सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि गांव में आज भी लकड़ी का चूल्हा जलाते हैं। इसकी वजह से हमारी मां-बहनें रोजाना 400 सिगरेट के बराबर धुएं लेती है। हमें उन्हें गैस चूल्हा देकर इस दिक्कत से निजात दिलाना है। इसके साथ ही इनाम योजना के तहत अब किसान तय करेगा कि अपने सामान कहां बेचे। हर गांव तक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क पहुंचाया जाएगा।

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि झारखंड सरकार ने भी सभी गांवों में योजना बनाओ अभियान चलाया है। साल 2016 तक सभी पंचायत भवन बन जाएंगे और 2017 तक इंटरनेट से जुड़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि पानी की कमी के कारण सरकार इस साल ही तालाबों का निर्माण कर रही है ताकि गांव का बरसाती पानी गांव में रहे। गांव के विकास से ही पलायन रुकेगा।

प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र सिंह ने कहा कि पहले हम पंचायत का नीति निर्धारण दिल्ली से होता था, लेकिन पीएम इसे दिल्ली से बाहर लेकर आए। पहले बैंको का सरकारीकरण हुआ था। नरेंद्र मोदी ने ही असल में राष्ट्रीयकरण किया।

ताड़ी व्यवसायियों के पक्ष में आज धरना देंगे पासवान

पटना (सं.सू.)। केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ताड़ी की बिक्री पर प्रतिबंध के खिलाफ सोमवार को राजधानी में धरना देंगे। रविवार को लोजपा कार्यालय में पासवान ने इसकी घोषणा की। संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने ताड़ी की खूब वकालत की और गर्दनीबाग के धरनास्थल पर धरना पर बैठने का ऐलान किया। वहीं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर राजनीतिक हमला भी किया। पासवान ने कहा कि राजनीतिक कलाकारी करना तो कोई नीतीश कुमार से सीखे।

उन्होंने कहा कि गजब का बुद्धि है, 17 साल तक भाजपा और आरएसएस  के गोद में  बैठे रहे। अब संघ मुक्त भारत की बात करते हैं। दस साल तक लोगों को शराब पिलाया और अब बंद करने की बात कर रहे  हैं। दोपहर बाद भाजपा कार्यालय पहुंचे पासवान ने कहा कि नीतीश कुमार से बड़ा कलाकार कोई हो नहीं सकता। प्रधानमंत्री के सवाल पर पासवान ने कहा कि नीतीश कुमार संघमुक्त के पहले बिहार के अपराध मुक्त करें। उन्हें देश में घूमने की सलाह भी दी। जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद पर निशाना साधते हुए कहा कि आज जो लोग मंडल मसीहा बन  रहे हैं उनका पहले कहीं पता नहीं था। वीपी सिंह को ये लोग भूल गए।  इसके पहले लोजपा कार्यालय में पासवान ने कहा है कि ताड़ी शराब नहीं है। यह आम, लीची की तरह रस है।

गांधी जी ने इसे नीरा कहा था। इसकी तुलना शराब से नहीं की जा सकती है। 1991 में लालू प्रसाद ने इस पर छुट दी थी। जब लालू प्रसाद ने ताड़ी पर छुट दी थी तो चुनाव के दौरान हाजीपुर में मेरे पक्ष में नारा लगता था - एक रुपया में तीन गिलास-जीतेगा भाई राम विलास। पता नहीं लालू प्रसाद अब नीतीश कुमार से क्यों डर रहे है। शायद कह दिया होगा कि हम पीएम होंगे और बिहार तुम्हारे लिए छोड़ देंगे। पासवान ने चुनौती दी कि कोई सुबह पांच बजे का ताड़ी एक साल तक पीये, यदि उसका हेल्थ खराब होगा तो हम राजनीति छोड़ देंगे। पासवान ने कहा कि जब उनकी आंख खराब हो गयी थी तो डॉक्टर ने उन्हें ताड़ी पीने के लिए कहा था। जब हमें अच्छा नहीं लगा तो पीना छोड़ दिया।

पीएम नरेंद्र मोदी की ग्रामोदय से भारत उदय की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि नरेंद्र माेदी पहला विजनरी पीएम है जिसने बाबा साहेब अंबेडकर से जुड़े पांच स्थलों को विकसित करने का निर्णय लिया। जिसमें उनके जन्म स्थान महु, 26 अलीपुर रोड जहां उन्होंने संविधान लिखा, चैत्य भूमि, जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ, लंदन में जहां उन्होंने पढ़ाई की उसे सरकार ने खरीद कर राष्ट्रीय  स्मारक घोषित किया और नागपुर जहां उन्होंने बौद्ध धर्म को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार घूम -घूम कर कहते हैं कि लोगों को दो रुपये किलो अनाज दे रहे हैं, हकीकत है कि शत-प्रतिशत सबसिडी केंद्र सरकार देती है। हमने तो विधानसभा चुनाव के दौरान घोषणा भी की थी कि बिहार में सरकार बनी तो लोगों को मुफ्त अनाज देंगे। केंद्र अनाज पर एक लाख तीस हजार करोड़ रुपये सब्सिडी देती है।

भावुक हुए चीफ जस्टिस, भर्राए गले से पीएम मोदी से कहा- जजों की संख्या बढ़ा दीजिए

नई दिल्ली (सं.सू.)। "पांचवी- छठी क्लास में अर्थमैटिक में सवाल आता था कि अगर एक सड़क पांच आदमी 10 दिन में बनाते हैं तो एक दिन में सड़क बनाने के लिए कितने आदमी चाहिए। जवाब होगा 50 आदमी।" CJI जस्टिस टीएस ठाकुर जजों की कमी और लाखों केसों के बोझ के लिए पीएम मोदी और राज्य के मुख्यमंत्रियों को पांचवी के गणित के सवाल का सहारा लेना पड़ा।

चीफ जस्टिस बोलते बोलते भावना में बह गए। आवाज भर्रा गई और आंखें नम हो गईं। लिहाजा उन्होंने आंखों को पोंछा और भर्राए गले से बोले कि और कुछ काम नहीं आए तो कम से कम ये इमोशलन अपील ही शायद काम आ जाए और सरकार जजों की संख्या बढ़ा दे। जस्टिस ठाकुर ने केंद्र के देश के कॉरपोरेट के लिए कमर्शल कोर्ट बनाने के प्रस्ताव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पुरानी बोतल में नई शराब नहीं चलेगी। दुबई का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वह दुबई में ऐसी कोर्ट देखकर दंग रह गए। इतनी सुविधाएं दी गई हैं।

ऑल इंडिया जज कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए  CJI ने जजों की कमी पर कहा कि हम विश्व की तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था हैं। हम देश में  FDI लाने की बात करते हैं, मेक इन इंडिया की बात करते हैं। इनवाइट इन इंडिया की बात करते हैं लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि देश का विकास न्यायपालिका की क्षमता से जुड़ा है। सरकार सारा दोष न्यायपालिका के मत्थे नहीं मढ़ सकती। लोगों को न्यायपालिका पर भरोसा है क्योंकि हम ऐसे हालात में अपना बेहतर कर रहे हैं।

केंद्र और राज्य सरकारों को चीफ जस्टिस ने खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि अमेरिका में नौ जज पूरे साल में 81 केस सुनते हैं जबकि भारत में छोटे से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक एक-एक जज 2600 केस सुनता है। विदेशों से आने वाले जज समझ नहीं पाते कि हमारे यहां जज ऐसे हालात में कैसे काम करते हैं। केंद्र कहता है कि हम मदद को तैयार हैं लेकिन यह काम राज्यों का है। राज्य कहते हैं कि फंड केंद्र को देना होता है। 

CJI ने भावनात्मक भाषण देते हुए कहा कि देश की निचली अदालतों में 3 करोड केस लंबित हैं। कोई यह नहीं कहता कि हर साल 20000 जज 2 करोड केस की सुनवाई पूरी करते हैं। CJI ने कहा कि लाखों लोग जेल में हैं, उनके केस नहीं सुन पा रहे हैं तो हम जजों को दोष मत दीजिए। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि देश के हाईकोर्ट में 38 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग हैं। इन्हें निपटाने के लिए कितने जज चाहिए। हाईकोर्ट में 434 जजों की वेकेंसी है। यह बात हम क्यों नहीं समझते। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि अकेले इलाहाबाद हाईकोर्ट में 10 लाख केस लंबित है। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जब 1950 में बना तो आठ जज थे और 1000 केस थे। 1960 में जज 14 हुए और केस 2247। 1977 में जजों की संख्या 18 हुई तो केस 14501 हुए। जबकि 2009 में जज 31 हुए तो केस बढकर 77 151 हो गए। 2014 में जजों की संख्या नहीं बढ़ी पर केस 81553 हो गए। उन्होंने कहा कि इस साल चार महीने में ही 17482 केस दाखिल हो गए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 15472 केसों का निपटारा कर दिया।

हालांकि पीएम मोदी को यहां बोलना नहीं था लेकिन इसके बाद उन्होंने कहा कि न्यायपालिका पर लोगों की आस्था है। मोदी ने कहा कि CJI ने अहम बात रखी हैं, उनको सुनकर चला जाउंगा, ऐसा इंसान नहीं हूं। अगर संवैधानिक सीमाएं न हों तो CJI की टीम और सरकार के प्रमुख लोग आपस में बैठकर समाधान निकालें। सरकार न्यायपालिका के लिए कदम उठाने को तैयार है। देश में कानून बनाते समय देखना होगा कि उसमें दुविधा न रहे। पुराने कानून व्यवस्थाओं में अड़चन पैदा करते हैं और उन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।

सरकारी रिलीज से नीतीश ने कटवाई लालू की फोटो!


पटना (सं.सू.)। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी में दिल्ली में मुलाकात की। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि बिहार सरकार ने जो प्रेस रिलीज जारी की है, उसमें लालू की तस्वीर काटकर हटा दी है। दरअसल, यह प्रेस रिलीज दिल्ली स्थित बिहार इन्फॉर्मेशन सेंटर की तरफ से जारी की गई है।

वहीं, जब इस बाबत राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक से पूछा गया तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की। जबकि उपमुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि यह कोई मुद्दा नहीं है।

गौरतलब है कि 19 अप्रैल को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से दिल्ली में मिले थे। उस दौरान उनके साथ लालू यादव भी थे।

बता दें कि प्रेस रिलीज जारी होने से पहले तेजस्वी ने अपने ट्विटर पर तस्वीर साझा की थी, जिसमें लालू यादव दिख रहे हैं लेकिन बिहार इन्फॉर्मेशन सेंटर के प्रेस रिलीज में लालू की फोटो काटकर हटा दी गई है।

विजय माल्या को तगड़ा झटका,विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट रद्द किया

नई दिल्ली (सं.सू.)। विदेश मंत्रालय ने विजय माल्या का पासपोर्ट रद्द कर दिया है। प्रवर्तन निदेशालय की मांग पर विदेश मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। बैंकों का 9,000 करोड़ से ज़्यादा का बक़ाया लेकर विदेश जा बसे उद्योगपति विजय माल्या को यह तगड़ा झटका है।

ईडी ने उन्हें कई बार पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन हर बार उन्होंने पेशी के लिए और समय मांगा। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने उनका पासपोर्ट रद्द करने की मांग की थी। माल्या के डिपोर्टेशन (निर्वासन) के लिए मंत्रालय कानूनी विशेषज्ञों से राय भी ले रहा है क्योंकि अब माल्या का यूके में बसे रहना एक प्रकार के गैर कानूनी हो गया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया ‘‘कारण बताओ नोटिस के जवाब में विजय माल्या द्वारा दिए गए उत्तर पर, प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पेश तथ्यों पर और मुंबई के विशेष न्यायाधीश द्वारा पीएमएलए कानून 2002 के तहत जारी गैर जमानती वारंट पर विचार करते हुए विदेश मंत्रालय ने विजय माल्या का पासपोर्ट रद्द कर दिया है।’’

प्रवर्तन निदेशालय ने विदेश मंत्रालय से 9000 करोड़ रुपये के आईडीबीआई कर्ज की धोखाधड़ी के मामले में धन शोधन के आरोपी शराब कारोबारी माल्या के डिपोर्टेशन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा था। सूत्र पहले ही संकेत दे चुके हैं कि एक बार प्रक्रिया शुरू हो जाने पर सरकार माल्या को पकड़ने और उन्हें वापस भारत लाने के लिए ब्रिटेन से सहायता मांगेगी।

बैंकों के करोड़ों रुपए लेकर लंदन में बैठे शराब कारोबारी विजय माल्या ने अब सुप्रीम कोर्ट में एक नई डील पेश कर दी थी। माल्या ने बैंकों से लिए गए 9000 करोड़ के लोन की वापसी के लिए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह इनमें से 6868 करोड़ लौटाना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जब माल्या के वकील से पूछा कि वह भारत कब वापस लौट रहे हैं, तो उन्होंने कोई जबाव नहीं दिया

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार विजय माल्या को देश वापस लाने के लिए बचनबद्ध है, ताकि उनके विरुद्ध न्यायिक कार्रवाई की जा सके। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा था, "सरकार विजय माल्या पर न्यायिक कार्रवाई करने के लिए उन्हें वापस लाने को बचनबद्ध है। हम उन्हें वापस लाने से संबंधित कदमों पर विचार कर रहे हैं।"

सूखे से निबटने के लिए भूमिगत जल रिचार्जिंग को बनाना होगा जन अभियान-पीएम मोदी मन की बात में


नई दिल्ली (सं.सू.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रेडियो के जरिये एक बार फिर देशवासियों से 'मन की बात' की। रेडियो पर पीएम के 'मन की बात' कार्यक्रम का यह 19वां संस्करण था।

मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार। छुट्टियों में कई कार्यक्रम हर कोई बनाता है। और छुट्टियों में आम का season होता है, तो ये भी मन करता है कि आम का मज़ा लें और कभी ये भी मन करता है कि कुछ पल दोपहर को सोने का मौका मिल जाए, तो अच्छा होगा। लेकिन इस बार की भयंकर गर्मी ने चारों तरफ सारा मज़ा किरकिरा कर दिया है। देश में चिंता होना बहुत स्वाभाविक है और उसमें भी, जब लगातार सूखा पड़ता है, तो पानी-संग्रह के जो स्थान होते हैं, वो भी कम पड़ जाते हैं। कभी-कभार encroachment के कारण, silting के कारण, पानी आने के जो प्रवाह हैं, उसमें रुकावटों के कारण, जलाशय भी अपनी क्षमता से काफी कम पानी संग्रहीत करते हैं और सालों के क्रम के कारण उसकी संग्रह-क्षमता भी कम हो जाती है। सूखे से निपटने के लिए पानी के संकट से राहत के लिए सरकारें अपना प्रयास करें, वो तो है, लेकिन मैंने देखा है कि नागरिक भी बहुत ही अच्छे प्रयास करते हैं। कई गाँवों में जागरूकता देखी जाती है और पानी का मूल्य क्या है, वो तो वही जानते हैं, जिन्होनें पानी की तकलीफ़ झेली है। और इसलिए ऐसी जगह पर, पानी के संबंध में एक संवेदनशीलता भी होती है और कुछ-न-कुछ करने की सक्रियता भी होती है। मुझे कुछ दिन पहले कोई बता रहा था कि महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले के हिवरे बाज़ार ग्राम पंचायत और वहाँ के गाँव वालों ने पानी को गाँव के एक बहुत बड़े संवेदनशील Issue के रूप में address किया। जल संचय करने की इच्छा करने वाले तो कई गाँव मिल जाते हैं, लेकिन इन्होंने तो किसानों के साथ बातचीत करके पूरी cropping pattern बदल दी। ऐसी फसल, जो सबसे ज्यादा पानी उपयोग करती थी, चाहे गन्ना हो, केला हो, ऐसी फसलों को छोड़ने का निर्णय कर लिया। सुनने में बात बहुत सरल लगती है, लेकिन इतनी सरल नहीं है। सबने मिल करके कितना बड़ा संकल्प किया होगा? किसी कारख़ाना वाला पानी का उपयोग करता हो, कहोगे, तुम कारख़ाना बंद करो, क्योंकि पानी ज्यादा लेते हो, तो क्या परिणाम आएगा, आप जानते हैं। लेकिन ये मेरे किसान भाई, देखिए, उनको लगा कि भाई, गन्ना बहुत पानी लेता है, तो गन्ना छोड़ो, उन्होंने छोड़ दिया। और पूरा उन्होंने fruit और vegetable, जिसमें कम-से-कम पानी की ज़रूरत पड़ती है, ऐसी फसलों पर चले गए। उन्होंने sprinkler, drip Irrigation, टपक सिंचाई, water harvesting, water recharging - इतने सारे Initiative लिये कि आज गाँव पानी के संकट के सामने जूझने के लिए अपनी ताकत पर खड़ा हो गया। ठीक है, मैं एक छोटे से गाँव हिवरे बाज़ार की चर्चा भले करता हूँ, लेकिन ऐसे कई गाँव होंगे। मैं ऐसे सभी गाँववासियों को भी बहुत-बहुत बधाई देता हूँ आपके इस उत्तम काम के लिए।

मुझे किसी ने बताया कि मध्य प्रदेश में देवास ज़िले में गोरवा गाँव पंचायत। पंचायत ने प्रयत्न करके farm pond बनाने का अभियान चलाया। करीब 27 farm ponds बनाए और उसके कारण ground water level में बढ़ोत्तरी हुई, पानी ऊपर आया। जब भी पानी की ज़रूरत पड़ी फ़सल को, पानी मिला और वो मोटा-मोटा हिसाब बताते थे, करीब उनकी कृषि उत्पादन में 20 प्रतिशत वृद्धि हुई। तो पानी तो बचा ही बचा और जब पानी का water table ऊपर आता है, तो पानी की quality में भी बहुत सुधार होता है। और दुनिया में ऐसा कहते हैं, शुद्ध पीने का पानी GDP growth का कारण बन जाता है, स्वास्थ्य का तो बनता ही बनता है। कभी-कभार तो लगता है कि जब भारत सरकार रेलवे से पानी लातूर पहुँचाती है, तो दुनिया के लिए वो एक ख़बर बन जाती है। ये बात सही है कि जिस तेज़ी से railway ने काम किया, वो बधाई की पात्र तो है, लेकिन वो गाँव वाले भी उतने ही बधाई के पात्र हैं। मैं तो कहूँगा, उससे भी ज्यादा बधाई के पात्र हैं। लेकिन ऐसी अनेक योजनाएँ, नागरिकों के द्वारा चलती हैं, वो कभी सामने नहीं आती हैं। सरकार की अच्छी बात तो कभी-कभी सामने आ भी जाती है, लेकिन कभी हम अपने अगल-बगल में देखेंगे, तो ध्यान में आएगा कि सूखे के खिलाफ़ किस-किस प्रकार से लोग, नये-नये तौर-तरीके से, समस्या के समाधान के लिए प्रयास करते रहते हैं।

मनुष्य का स्वभाव है, कितने ही संकट से गुजरता हो, लेकिन कहीं से कोई अच्छी ख़बर आ जाए, तो जैसे पूरा संकट दूर हो गया, ऐसा feel होता है। जब से ये जानकारी सार्वजनिक हुई कि इस बार वर्षा 106 प्रतिशत से 110 प्रतिशत तक होने की संभावना है, जैसे मानो एक बहुत बड़ा शान्ति का सन्देश आ गया हो। अभी तो वर्षा आने में समय है, लेकिन अच्छी वर्षा की ख़बर भी एक नयी चेतना ले आयी।

लेकिन मेरे प्यारे देशवासियो, अच्छी वर्षा होगी, ये समाचार जितना आनंद देता है, उतना ही हम सबके लिए एक अवसर भी देता है, चुनौती भी देता है। क्या हम गाँव-गाँव पानी बचाने के लिये, एक अभी से अभियान चला सकते हैं! किसानों को मिट्टी की जरुरत पड़ती है, खेत में वो फसल के नाते काम आती है। क्यों न हम इस बार गाँव के तालाबों से मिट्टी उठा-उठा करके खेतों में ले जाएँ, तो खेत की ज़मीन भी ठीक होगी, तो उसकी जल-संचय की ताकत भी बढ़ जायेगी। कभी सीमेंट के बोरे में, कभी fertilizer के खाली बोरे में, पत्थर और मिट्टी भरके जहाँ से पानी जाने के रास्ते हैं, उस पानी को रोका जा सकता है क्या? पाँच दिन पानी रुकेगा, सात दिन पानी रुकेगा, तो पानी ज़मीन में जाएगा। तो ज़मीन में पानी के level ऊपर आयेंगे। हमारे कुओं में पानी आएगा। जितना पानी हो सकता है, रोकना चाहिए। वर्षा का पानी, गाँव का पानी गाँव में रहेगा, ये अगर हम संकल्प करके कुछ न कुछ करें और ये सामूहिक प्रयत्नों से संभव है। तो आज भले पानी का संकट है, सूखे की स्थिति है, लेकिन आने वाला महीना – डेढ़ महीने का हमारे पास समय है और मैं तो हमेशा कहता हूँ, कभी हम पोरबंदर महात्मा गाँधी के जन्म-स्थान पर जाएँ, तो जो वहाँ अलग-अलग स्थान हम देखते हैं, तो उसमें एक जगह वो भी देखने जैसी है कि वर्षा के पानी को बचाने के लिए, घर के नीचे किस प्रकार के tank दो सौ-दो सौ साल पुराने बने हुए हैं और वो पानी कितना शुद्ध रहता था।

कोई श्रीमान कुमार कृष्णा, उन्होंने MyGov पर लिखा है और एक प्रकार से जिज्ञासा भी व्यक्त की है। वो कहते हैं कि हमारे रहते हुए कभी गंगा सफाई का अभियान संभव होगा क्या! उनकी चिंता बहुत स्वाभाविक है, क्योंकि करीब-करीब 30 साल से ये काम चल रहा है। कई सरकारें आईं, कई योजनायें बनीं, ढेर सारा खर्चा भी हुआ और इसके कारण, भाई कुमार कृष्णा जैसे देश के करोड़ों लोगों के मन में ये सवाल होना बहुत स्वाभाविक है। जो लोग धार्मिक आस्था में रहते हैं, उनके लिए गंगा मोक्षदायिनी है। लेकिन मैं उस माहात्म्य को तो स्वीकार करूंगा ही, पर इससे ज्यादा मुझे लगता है कि गंगा ये जीवनदायिनी है। गंगा से हमें रोटी मिलती है। गंगा से हमें रोज़ी मिलती है। गंगा से हमें जीने की एक नयी ताक़त मिलती है। गंगा जैसे बहती है, देश की आर्थिक गतिविधि को भी एक नयी गति देती है। एक भगीरथ ने गंगा तो हमें ला कर दे दी, लेकिन बचाने के लिए करोड़ों-करोड़ों भगीरथों की ज़रूरत है। जन भागीदारी के बिना ये काम कभी सफल हो ही नहीं सकता है और इसलिए हम सबने सफाई के लिए, स्वच्छता के लिए, एक change agent बनना पड़ेगा। बार-बार बात को दोहराना पड़ेगा, कहना पड़ेगा। सरकार की तरफ़ से कई सारे प्रयास चल रहे हैं। गंगा तट पर जो-जो राज्य हैं, उन राज्यों का भी भरपूर सहयोग लेने का प्रयास हो रहा है। सामाजिक, स्वैच्छिक संगठनों को भी जोड़ने का प्रयास हो रहा है। surface cleaning और Industrial प्रदूषण पर रोकने के लिए काफी कदम उठाए हैं। हर दिन गंगा में बड़ी मात्रा में, नालों के रास्ते से ठोस कचरा बह करके अन्दर आता है। ऐसे कचरे को साफ़ करने के लिए वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर, पटना - ऐसे स्थानों पर trash skimmer पानी में तैरते-तैरते कचरा साफ़ करने का काम करते हैं। सभी local bodies को ये मुहैया कराया गया है और उनसे आग्रह किया गया है कि इसको लगातार चलाएँ और वहीं से कचरा साफ़ करते चलें। और पिछले दिनों मुझे जो बताया गया कि जहाँ बड़े अच्छे ढंग से प्रयास होता है, वहाँ तो तीन टन से ग्यारह टन तक प्रतिदिन कचरा निकाला जाता है। तो ये तो बात सही है कि इतनी मात्रा में गंदगी बढ़ने से रुक ही रही है। आने वाले दिनों में और भी स्थानों पर trash skimmer लगाने की योजना है और उसका लाभ गंगा और यमुना तट के लोगों को तुरंत अनुभव भी होगा। Industrial प्रदूषण पर नियन्त्रण के लिए pulp and paper, distillery एवं sugar Industry के साथ एक action plan प्लान बन गया है। कुछ मात्रा में लागू होना शुरू भी हुआ है। उसके भी अच्छे परिणाम निकलेंगे, ऐसा अभी तो मुझे लग रहा है।

मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मुझे बताया गया कि उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश, वहाँ जो distillery का जो discharge होता था, तो पिछले दिनों कुछ अफसर मुझे बता रहे थे कि zero liquid discharge की ओर उन्होंने सफलता पा ली है। Pulp and Paper Industry या Black liquor की निकासी लगभग पूरी तरह ख़त्म हो रही है। ये सारे इस बात के संकेत हैं कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं और एक जागरूकता भी बढ़ी है। और मैंने देखा है कि सिर्फ़ गंगा के तट के नहीं, दूर-सुदूर दक्षिण का भी कोई व्यक्ति मिलता है, तो ज़रूर कहता है कि साहब, गंगा सफ़ाई तो होगी न! तो यही एक जो जन-सामान्य की आस्था है, वो गंगा सफ़ाई में ज़रूर सफलता दिलाएगी। गंगा स्वच्छता के लिये लोग donation भी दे रहे हैं। एक काफ़ी अच्छे ढंग से इस व्यवस्था को चलाया जा रहा है।

मेरे प्यारे देशवासियो, आज 24 अप्रैल है। भारत में इसे ‘पंचायती राज दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। आज ही के दिन पंचायती राज व्यवस्था का हमारे देश में आरम्भ हुआ था और आज धीरे-धीरे पूरे देश में पंचायती राज व्यवस्था हमारी लोकतांत्रिक राजव्यवस्था की एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है।

14 अप्रैल बाबा साहब आंबेडकर की 125वीं जयंती हम मना रहे थे और आज 24 अप्रैल, ‘पंचायती राज दिवस’ मना रहे हैं। ये ऐसा सुभग संयोग था, जिस महापुरुष ने हमें भारत का संविधान दिया, उस दिन से लेकर के 24 तारीख़, जो कि संविधान की सबसे बड़ी मजबूत कड़ी है, वो हमारा गाँव - दोनों को जोड़ने की प्रेरणा और इसलिए भारत सरकार ने राज्य सरकारों के सहयोग के साथ 14 अप्रैल से 24 अप्रैल, 10 दिन ग्रामोदय से भारतोदय अभियान चलाया। ये मेरा सौभाग्य था कि 14 अप्रैल को बाबा साहब आंबेडकर जी के जन्मदिन मुझे बाबा साहब आंबेडकर का जन्म स्थान महू, वहाँ जाने का अवसर मिला। उस पवित्र धरती को नमन करने का अवसर मिला। और आज 24 तारीख़ को मैं झारखण्ड में, जहाँ हमारे अधिकतम आदिवासी भाई-बहन रहते हैं, उस प्रदेश में आज जा करके ‘पंचायती राज दिवस’ मनाने वाला हूँ और दोपहर को 3 बजे फिर एक बार ‘पंचायती राज दिवस’ पर मैं देश की सभी पंचायतों से बातचीत करने वाला हूँ। इस अभियान ने एक बहुत बड़ा जागरूकता का काम किया है। हिन्दुस्तान के हर कोने में गाँव के स्तर पर लोकतांत्रिक संस्थाएँ कैसे मजबूत बनें? गाँव स्वयं आत्मनिर्भर कैसे बनें? ग्राम स्वयं अपने विकास की योजना कैसे बनाएँ? Infrastructure का भी महत्व हो, social Infrastructure का भी महत्व हो। गाँव में dropout न हों, बच्चे स्कूल न छोड़ दें, ‘बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ’ अभियान सफलता पूर्वक चले। बेटी का जन्मदिन गाँव का महोत्सव बनना चाहिये, कई ऐसी योजनायें, कुछ गाँव में तो food donation का कार्यक्रम हुआ। शायद ही एक साथ हिन्दुस्तान के इतने गाँवों में इतने विविध कार्यक्रम 10 दिन चले हों, ये बहुत कम होता है। मैं, सभी राज्य सरकारों को, ग्राम प्रधानों को इस बात के लिए बधाई देता हूँ कि आपने बहुत ही मौलिक तरीक़े से नवीनता के साथ, इस पूरे अवसर को गाँव की भलाई के लिये, गाँव के विकास के लिये, लोकतंत्र की मज़बूती के लिये, एक अवसर में परिवर्तित किया। गाँवों में जो जागरूकता आयी है, वही तो भारत-उदय की गारंटी है। भारत-उदय का आधार ग्राम-उदय ही है और इसलिए ग्राम-उदय पर हम सब बल देते रहेंगे, तो इच्छित परिणाम प्राप्त करके ही रहेंगे।

मुम्बई से शर्मिला धारपुरे, आपने मुझे फ़ोन कॉल पर अपनी चिंता जतायी है: -

“प्रधानमंत्री जी नमस्कार, मैं, शर्मिला धारपुरे बोल रही हूँ, मुम्बई से। मेरा आपसे, स्कूल और college education के बारे में सवाल है। जैसे education sector में पिछले बहुत वर्षों से सुधार की जरुरत पाई गयी है। पर्याप्त स्कूलों का या colleges का न होना या फिर शिक्षा में education की quality न होना। ऐसा पाया गया है कि बच्चे अपना education पूरा भी कर लेते हैं, उन्हें फिर भी अक्सर basic चीज़ों के बारे में पता नहीं होता है। उससे हमारे बच्चे दुनिया की दौड़ में पीछे पड़ जाते हैं। इस बारे में आपके क्या विचार हैं और आप इस sector को किस तरह से इसमें सुधार लाना चाहते हैं? इसके बारे में कृपया हमें बताइए। धन्यवाद!”

ये चिंता बहुत स्वाभाविक है। आज हर परिवार में माँ-बाप का अगर पहला कोई सपना रहता है, तो वो रहता है बच्चों की अच्छी शिक्षा। घर-गाड़ी, सब बाद में विचार आता है और भारत जैसे देश के लिए जन-मन की ये भावना है, वो बहुत बड़ी ताक़त है। बच्चों को पढ़ाना और अच्छा पढ़ाना। अच्छी शिक्षा मिले, उसकी चिंता होना - ये और अधिक बढ़ना चाहिये, और अधिक जागरूकता आनी चाहिए। और मैं मानता हूँ, जिन परिवारों में ये जागरूकता होती है, उसका असर स्कूलों पर भी आता है, शिक्षकों पर भी आता है और बच्चा भी जागरूक होता जाता है कि मैं स्कूल में इस काम के लिए जा रहा हूँ। और इसलिये, मैं, सभी अभिभावकों से, माँ-बाप से सबसे पहले यह आग्रह करूँगा कि बच्चे के साथ, स्कूल की हो रही गतिविधियों से विस्तार से समय देकर के बातें करें। और कुछ बात ध्यान में आए, तो खुद स्कूल में जा करके शिक्षकों से बात करें। ये जो vigilance है, ये भी हमारी शिक्षा व्यवस्था में कई बुराइयों को कम कर सकता है और जन भागीदारी से तो ये होना ही होना है। हमारे देश में सभी सरकारों ने शिक्षा पर बल दिया है और हर कोई सरकार ने अपने-अपने तरीक़े से प्रयास भी किया है। और ये भी सच्चाई है कि काफ़ी अरसे तक हम लोगों का ध्यान इसी बात पर रहा कि शिक्षा संस्थान खड़े हों, शिक्षा व्यवस्था का विस्तार हो, स्कूल बनें, colleges बनें, teachers की भर्ती हो, अधिकतम बच्चे स्कूल आएँ। तो, एक प्रकार से, शिक्षा को चारों तरफ़ फ़ैलाने का प्रयास, ये प्राथमिकता रही और ज़रूरी भी था, लेकिन अब जितना महत्व विस्तार का है, उससे भी ज़्यादा महत्व हमारी शिक्षा में सुधार का है। विस्तार का एक बहुत बड़ा काम हम कर चुके हैं। अब हमें, quality education पर focus करना ही होगा। साक्षरता अभियान से अब अच्छी शिक्षा, ये हमारी प्राथमिकता बनानी पड़ेगी। अब तक हिसाब-किताब outlay का होता था, अब हमें outcome पर ही focus करना पड़ेगा। अब तक स्कूल में कितने आये, उस पर बल था, अब schooling से ज़्यादा learning की ओर हमें बल देना होगा। Enrollment, enrollment, enrollment - ये मंत्र लगातार गूँजता रहा, लेकिन अब, जो बच्चे स्कूल में पहुंचे हैं, उनको अच्छी शिक्षा, योग्य शिक्षा, इसी पर हमने ध्यान केन्द्रित करना होगा। वर्तमान सरकार का बजट भी आपने देखा होगा। अच्छी शिक्षा पर बल देने का प्रयास हो रहा है। ये बात सही है कि बहुत बड़ी लम्बी सफ़र काटनी है। लेकिन अगर हम सवा-सौ करोड़ देशवासी तय करें, तो, लम्बी सफ़र भी कट सकती है। लेकिन शर्मिला जी की बात सही है कि हम में आमूलचूल सुधार लाने की ज़रूरत है।

इस बार बजट में आपने देखा होगा कि लीक से हटकर के काम किया गया है। बजट के अन्दर, दस सरकारी University और दस Private University - उनको सरकारी बंधनों से मुक्ति देने का और challenge route पर उनको आने के लिए कहा है कि आइये, आप top most University बनने के लिए क्या करना चाहते हैं, बताइये। उनको खुली छूट देने के इरादे से ये योजना रखी गयी है। भारत की Universities भी वैश्विक स्पर्धा करने वाली University बन सकती है, बनानी भी चाहिए। इसके साथ-साथ जितना महत्व शिक्षा का है, उतना ही महत्व skill का है, उसी प्रकार से शिक्षा में technology बहुत बड़ा role play करेगी। Long Distance Education, technology - ये हमारी शिक्षा को सरल भी बनाएगी और ये बहुत ही निकट भविष्य में इसके परिणाम नज़र आएँगे, ऐसा मुझे विश्वास है।

बड़े लम्बे समय से एक विषय पर लोग मुझे पूछते रहते हैं, कुछ लोग web portal MyGov पर लिखते हैं, कुछ लोग मुझे NarendraModiApp पर लिखते हैं, और ज़्यादातर ये नौजवान लिखते हैं।

“प्रधानमंत्री जी नमस्कार! मैं मोना कर्णवाल बोल रही हूँ, बिजनौर से। आज के जमाने में युवाओं के लिए पढ़ाई के साथ-साथ sports का भी बहुत महत्व है। उनमें team spirit की भावना भी होनी चाहिए और अच्छे leader होने के गुण भी होने चाहिए, जिससे कि उनका overall holistic development हो। ये मैं अपने experience से कह रही हूँ, क्योंकि, मैं, खुद भी Bharat Scouts and Guides में रह चुकी हूँ और इसका मेरे जीवन में बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ा। मैं चाहती हूँ कि आप ज़्यादा से ज़्यादा युवाओं को motivate करें। मैं चाहती हूँ कि सरकार भी ज़्यादा से ज़्यादा NCC, NSS और Bharat Scouts and Guides को promote करे।”

आप लोग मुझे इतने सुझाव भेजते रहते थे, तो एक दिन मुझे भी लगा कि मैं आप लोगों से बात करूँ कि इससे पहले मैं इन सबसे से बातचीत करूँ। तो आप ही लोगों का दबाव था, आप ही लोगों के सुझाव थे, उसका परिणाम ये हुआ कि मैंने ऐसी एक अभी meeting बुलायी, जिसमें NCC के मुखिया थे, NSS के थे, Scout and Guide के थे, Red Cross के थे, नेहरु युवा केंद्र के थे। और जब मैंने उनको पूछा कि पहले कब मिले थे, तो उन्होंने कहा, नहीं-नहीं भाई, हम तो देश आज़ाद होने के बाद इस प्रकार की meeting ये पहली हुई है। तो मैं सबसे पहले तो उन युवा-मित्रों का अभिनन्दन करता हूँ कि जिन्होंने मुझ पर दबाव डाला इन सारे कामों के संबंध में। और उसी का परिणाम है कि मैंने meeting की और मुझे लगा कि अच्छा हुआ कि मैं मिला। बहुत co-ordination की आवश्यकता लगी मुझे। अपने–अपने तरीक़े से बहुत-कुछ हो रहा है, लेकिन अगर सामूहिक रूप से, संगठित रूप से हमारे भिन्न-भिन्न प्रकार के संगठन काम करें, तो कितना बड़ा परिणाम दे सकते हैं। और कितना बड़ा फैलाव है उनका, कितने परिवारों तक ये पहुँचे हुए हैं। तो मुझे इनका व्याप देखकर के तो बड़ा ही समाधान हुआ। और उनका उमंग भी बहुत था, कुछ-न-कुछ करना था। और ये तो बात सही है कि मैं तो स्वयं ही NCC का Cadet रहा हूँ, तो मुझे मालूम है कि ऐसे संगठनों से एक नई दृष्टि मिलती है, प्रेरणा मिलती है, एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण पनपता है। तो मुझे तो बचपन में वो लाभ मिला ही मिला है और मैं भी मानता हूँ कि इन संगठनों में एक नया प्राण भरना चाहिये, नई ताक़त भरनी चाहिये। इस बार अब मैंने उनके सामने कुछ रखे हैं विषय। मैंने उनको कहा है कि भाई, इस season में जल-संचय का बड़ा काम हमारे युवा, सारे संगठन क्यों न करें। हम लोग प्रयास करके कितने block, कितने जिले, खुले में शौच जाना बंद करवा सकते हैं। Open defecation free कैसे कर सकते हैं? देश को जोड़ने के लिए ऐसे कौन से कार्यकर्मों की रचना कर सकते हैं, हम सभी संगठनों के common युवा-गीत क्या हो सकता है? कई बातें उनके साथ हुई हैं।

मैं आज आपसे भी आग्रह करता हूँ, आप भी मुझे बताइए, बहुत perfect सुझाव बताइए कि हमारे अनेक-अनेक युवा संगठन चलते हैं। उनकी कार्यशैली, कार्यक्रम में क्या नई चीज़ें जोड़ सकते हैं? मेरे NarendraModiApp पर आप लिखोगे, तो मैं उचित जगह पर पहुँचा दूँगा और मैं मानता हूँ कि इस meeting के बाद काफ़ी कुछ उन में गति आएगी, ऐसा तो मुझे लग रहा है और आपको भी उसके साथ जुड़ने का मन करेगा, ऐसी स्थिति तो बन ही जाएगी।

मेरे प्यारे देशवासियो, आज हम सब को सोचने के लिए मज़बूर करने वाली बात मुझे करनी है। मैं इसे हम लोगों को झकझोरने वाली बात के रूप में भी देखता हूँ। आपने देखा होगा कि हमारे देश की राजनैतिक अवस्था ऐसी है कि पिछले कई चुनावों में इस बात की चर्चा हुआ करती थी कि कौन पार्टी कितने गैस के cylinder देगी? 12 cylinder कि 9 cylinder? ये चुनाव का बड़ा मुद्दा हुआ करता था। और हर राजनैतिक दल को लगता था कि मध्यमवर्गीय समाज को चुनाव की दृष्टि से पहुँचना है, तो Gas Cylinder एक बहुत बड़ाIssue है। दूसरी तरफ़, अर्थशास्त्रियों का दबाव रहता था कि subsidy कम करो और उसके कारण कई कमेटियाँ बैठती थीं, जिसमें गैस की subsidy कम करने पर बहुत बड़े प्रस्ताव आते थे, सुझाव आते थे। इन कमेटियों के पीछे करोड़ों रुपए के खर्च होते थे। लेकिन बात वहीं की वहीं रह जाती थी। यह अनुभव सबका है। लेकिन इसके बाहर कभी सोचा नहीं गया। आज मेरे देशवासियो, आप सब को मेरा हिसाब देते हुए मुझे आनंद होता है कि मैंने तीसरा रास्ता चुना और वो रास्ता था जनता-जनार्दन पर भरोसा करने का। कभी-कभी हम राजनेताओं को भी अपने से ज़्यादा अपनों पर भरोसा करना चाहिये। मैंने जनता-जनार्दन पर भरोसा करके ऐसे ही बातों-बातों में कहा था कि अगर आप साल भर के पंद्रह सौ, दो हज़ार रुपया खर्च का बोझ सहन कर सकते हैं, तो आप gas subsidy क्यों नहीं छोड़ देते, किसी ग़रीब के काम आएगी। ऐसे ही मैंने बात कही थी, लेकिन आज मैं बड़े गर्व के साथ कह सकता हूँ, मुझे नाज़ हो रहा है मेरे देशवासियों पर।

एक-करोड़ परिवारों ने स्वेच्छा से अपनी gas subsidy surrender कर दीI और ये एक करोड़ परिवार अमीर नहीं हैंI मैं देख रहा हूँ, कोई retired Teacher, retired Clerk, कोई किसान, कोई छोटा-सा दुकान चलाने वाला - ऐसे मध्यम-वर्ग, निम्न मध्यम-वर्ग के परिवार हैं, जिन्होंने छोड़ाI दूसरी विशेषता देखिए कि subsidy छोड़ने के लिए mobile phone की app से कर सकते थे, online कर सकते थे, telephone पर missed call करके कर सकते थे, बहुत तरीके थेI लेकिन, हिसाब लगाया गया तो पता चला कि इन एक-करोड़ परिवारों में 80 percent से ज्यादा लोग वो थे, जो स्वयं distributor के यहाँ ख़ुद गए, कतार में खड़े रहे और लिखित में देकर के उन्होंने अपनी subsidy surrender कर दीI

मेरे प्यारे देशवासियो, ये छोटी बात नहीं है। सरकार अगर कोई एक tax में थोड़ी-सी भी रियायत दे दे, छूट दे दे, तो हफ़्ते भर टी.वी. और अखबारों में उस सरकार की वाहवाही सुनाई देती हैI एक-करोड़ परिवारों ने subsidy छोड़ दी और हमारे देश में subsidy एक प्रकार से हक़ बन गया है, उसे छोड़ दियाI मैं सबसे पहले उन एक-करोड़ परिवारों को शत-शत नमन करता हूँ, अभिनन्दन करता हूँI क्योंकि उन्होंने राजनेताओं को नये तरीके से सोचने के लिए मजबूर कर दिया हैI इस एक घटना ने देश के अर्थशास्त्रियों को भी नये तरीके से सोचने के लिए मजबूर कर दिया हैI और दुनिया के अर्थवेत्ता भी ऐसा होगा तो ऐसा होगा, ऐसा करेंगे तो वैसा निकलेगा, इस प्रकार जो आर्थिक समीकरण बनाते हैं, उनके लिये भी उनकी सोच की मर्यादाओं से बाहर की ये घटना है। इस पर कभी-न-कभी सोचना पड़ेगाI एक-करोड़ परिवारों का सब्सिडी छोड़ना, बदले में करोड़ों ग़रीब परिवारों को गैस सिलिंडर मिलनाI एक करोड़ परिवारों का सब्सिडी छोड़ने से रुपयों का बचत होना, ये बाहरी दृष्टि से बहुत सामान्य बातें हैं। असामान्य बात ये है कि जनता पर भरोसा रखकर के काम करें, तो कितनी बड़ी सिद्धि मिलती हैI मैं ख़ासकर के पूरे political class को आज आग्रह से कहना चाहूँगा कि हम हर जगह पर जनता पर भरोसा रखने वाली एक बात ज़रूर करें। आपने कभी सोचा नहीं होगा, वैसा परिणाम हमें मिलेगाI और हमें इस दिशा में जाना चाहिएI और मुझे तो लगातार लगता है कि जैसे मेरे मन में आया कि ये वर्ग 3 और 4 के Interview क्यों करें भईI जो अपना exam देकर के marks भेज रहा है, उस पर भरोसा करेंI कभी तो मुझे ऐसा भी लगता है कि हम कभी घोषित करें कि आज रेलवे की वो जो route है, उसमें कोई ticket checker नहीं रहेगाI देखिये तो, देश की जनता पर हम भरोसा करेंI बहुत सारे प्रयोग कर सकते हैंI एक बार देश की जनता पर हम भरोसा करें, तो अप्रतिम परिणाम मिल सकते हैंI खैर, ये तो मेरे मन के विचार हैं, इसको कोई सरकार का नियम तो नहीं बना सकते, लेकिन माहौल तो बना सकते हैंI और ये माहौल कोई राजनेता नहीं बना रहा हैI देश के एक करोड़ परिवारों ने बना दिया हैI

रवि करके किसी सज्जन ने मुझे पत्र लिखा है - “Good news every day”. वो लिख रहे हैं कि कृपया अपने अधिकारियों से कहिए कि हर दिन कोई एक अच्छी घटना के बारे में post करेंI प्रत्येक newspaper और news channel में हर breaking news, बुरी news ही होती हैI क्या सवा-सौ करोड़ आबादी वाले देश में हमारे आस-पास कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है? कृपया इस हालत को बदलिएI रवि जी ने बड़ा गुस्सा व्यक्त किया हैI लेकिन मैं मानता हूँ कि शायद वो मुझ पर गुस्सा नहीं कर रहे हैं, हालात पर गुस्सा कर रहे हैंI आप को याद होगा, भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम हमेशा ये बात कहते थे कि अख़बार के पहले पन्ने पर सिर्फ़ positive ख़बरें छापिएI वे लगातार इस बात को कहते रहते थे। कुछ दिन पहले मुझे एक अख़बार ने चिट्ठी भी लिखी थी। उन्होंने कहा था कि हमने तय किया है कि सोमवार को हम एक भी negative ख़बर नहीं देंगे, positive ख़बर ही देंगे। इन दिनों मैंने देखा है, कुछ T.V. Channel positive ख़बरों का समय specially तय करके दे रहे हैंI तो ये तो सही है कि इन दिनों अब माहौल बना है positive ख़बरों काI और हर किसी को लग रहा है कि सही ख़बरें, अच्छी ख़बरें लोगों को मिलती रहें। एक बात सही है कि बड़े-से-बड़ा व्यक्ति भी उत्तम-से-उत्तम बात बताए, अच्छे-से-अच्छे शब्दों में बताए, बढ़िया-से-बढ़िया तरीके से बताए, उसका जितना प्रभाव होता है, उससे ज्यादा कोई अच्छी ख़बर का होता हैI अच्छी ख़बर अच्छा करने की प्रेरणा का सबसे बड़ा कारण बनती है। तो ये तो सही है कि जितना हम अच्छाई को बल देंगे, तो अपने आप में बुराइयों के लिए जगह कम रहेगी। अगर दिया जलायेंगे, तो अंधेरा छंटेगा ही - छंटेगा ही - छंटेगा ही। और इसलिए आप को शायद मालूम होगा, सरकार की तरफ़ से एक website चलाई जा रही है ‘Transforming India’. इस पर सकरात्मक ख़बरें होती हैं। और सिर्फ सरकार की नहीं, जनता की भी होती हैं और ये एक ऐसा portal है कि आप भी अपनी कोई अच्छी ख़बर है, तो उसमें आप भेज सकते हैं। आप भी उसमें contribute कर सकते हैं। अच्छा सुझाव रवि जी आपने दिया है, लेकिन कृपा करके मुझ पर गुस्सा मत कीजिए। हम सब मिल करके positive करने का प्रयास करें, positive बोलने का प्रयास करें, positive पहुँचाने का प्रयास करेंI

हमारे देश की विशेषता है - कुंभ मेला। कुंभ मेला tourism के आकर्षण का भी केंद्र बन सकता है। दुनिया के बहुत कम लोगों को मालूम होता है कि इतने लंबे समय तक नदी के तट पर करोड़ों-करोड़ों लोग आए। शांतचित्त शांतिपूर्ण वातावरण में अवसर संपन्न हो। ये घटनायें अपने आप में organisation की दृष्टि से, event management की दृष्टि से, जन भागीदारी की दृष्टि से बहुत बड़े नए मानक सिद्ध करने वाली होती हैं। पिछले दो दिन से मैं देख रहा हूँ कि कई लोग ‘सिंहस्थ कुंभ’ की तस्वीरें upload कर रहे हैं। मैं चाहूँगा कि भारत सरकार का tourism department, राज्य सरकार का tourism department इसकी competition करे ‘photo competition’. और लोगों को कहे कि बढ़िया से बढ़िया photo निकाल करके आप upload कीजिए। कैसा एक दम से माहौल बन जायेगा और लोगों को भी पता चलेगा कि कुंभ मेले के हर कोने में कितनी विविधताओं से भरी हुई चीज़ें चल रही हैं। तो ज़रूर इसको किया जा सकता है। देखिये, ये बात सही है। मुझे बीच में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी मिले थे, वो बता रहे थे कि हमने स्वच्छता पर विशेष बल दिया है और स्वच्छता वहीं रहे, ऐसा नहीं, वहाँ से लोग स्वच्छता का संदेश भी ले के जाएँ। मैं मानता हूँ, ये ‘कुंभ मेला’ भले धार्मिक-आध्यात्मिक मेला हो, लेकिन हम उसको एक सामाजिक अवसर भी बना सकते हैं। संस्कार का अवसर भी बना सकते हैं। वहाँ से अच्छे संकल्प, अच्छी आदतें लेकर के गाँव-गाँव पहुँचाने का एक कारण भी बन सकता है। हम कुंभ मेले से पानी के प्रति प्यार कैसे बढ़े, जल के प्रति आस्था कैसे बढ़े, जल-संचय का संदेश देने में कैसे इस ‘कुंभ मेले’ का भी उपयोग कर सकते हैं, हमें करना चाहिए।

मेरे प्यारे देशवासियो, पंचायत-राज के इस महत्वपूर्ण दिवस पर, शाम को तो मैं आपको फिर से एक बार मिलूँगा ही मिलूँगा, आप सब का बहुत-बहुत धन्यवाद। और हर-हमेश की तरह आपके मन की बात ने मेरे मन की बात के साथ एक अटूट नाता जोड़ा है, इसका मुझे आनंद है। फिर एक बार बहुत-बहुत धन्यवाद।

Saturday, April 23, 2016

चार साल में दोगुनी हुई नवाज की संपत्ति, पाकिस्तान के सबसे अमीर नेता बने

इस्लामाबाद (सं.सू.)। पनामा पेपर्स लीक विवाद के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ दो अरब रुपये की निजी संपत्ति के साथ देश के सबसे अमीर नेता के तौर पर उभरे हैं। गौरतलब है कि महज चार साल में उनकी संपत्ति में करीब एक अरब रुपये का इजाफा हुआ है।

पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने गुरुवार को 2015 के लिए शरीफ की संपत्ति का ब्योरा जारी किया, जिसके बारे में उन्होंने कानून के मुताबिक चुनाव संस्था को अपनी मौजूदा संपत्ति के बारे में सूचित किया था।

शरीफ और उनकी पत्नी की संपत्ति की कीमत करीब दो अरब रुपये है। पिछले चार साल में उनकी संपत्ति में एक अरब रुपये से अधिक का इजाफा हुआ है। बहरहाल, विदेश में उनकी कोई संपत्ति नहीं है।

साल 2011 में उनकी संपत्ति की कीमत 16.6 करोड़ रुपये थी और 2012 में यह बढ़कर 26.16 करोड़ रुपये हो गई, जबकि 2013 में 1.82 अरब रुपये की संपत्ति के साथ उन्हें अरबपति घोषित किया गया।

चुनाव आयोग ने बताया कि शरीफ को 2015 में उनके बेटे हुसैन नवाज से 21.5 करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्राप्त हुई थी। इससे पहले उनके बेटे ने 2014 और 2013 में उन्हें क्रमश: 23.9 करोड़ रुपये और 19.75 करोड़ रुपये की राशि भेजी थी।

शरीफ अब देश की कौमी असेंबली के गिने चुने अरबपतियों में शामिल हो गए हैं। अन्य अरबपतियों में पेट्रोलियम मंत्री शाहिद खाकान अब्बासी और खैबर पख्तुनख्वा के सांसद - खयाल जमां और साजिद हुसैन तूरी शामिल हैं।

'डॉन' अखबार के अनुसार, शरीफ के पास किसी अज्ञात शख्स से तोहफे में मिली टोयोटा लैंड क्रूजर कार है। इसके अलावा, उनके पास दो मर्सिडीज गाड़ियां भी हैं। जिस घर में वह रहते हैं वह उनकी मां का है। उनके पास कई विदेशी और स्थानीय मुद्रा खाते, खेती की विशाल जमीन है और उन्होंने चीनी, कपड़ा एवं पेपर मिल जैसी औद्योगिक इकाइयों में निवेश किया हुआ है। पहली बार उन्होंने खुद को करीब 20 लाख रुपये की कीमत के पक्षियों और पशुओं का मालिक घोषित किया है।

उनकी पत्नी कुलसूम नवाज के पास भी जमीन है। ऐबटाबाद की चंगा गली में तकरीबन आठ करोड़ रुपये की कीमत का घर, मरी के द मॉल में करीब 10 करोड़ रुपये का एक बंगला सहित पारिवारिक कारोबार में हिस्सेदारी है।

पनामा पेपर्स लीक को लेकर जारी विवाद के बीच शरीफ की संपत्ति का यह ब्योरा जारी हुआ है। पनामा पेपर्स में दुनिया भर के करीब 140 नेताओं के विदेशी कंपनियों में कथित निवेश का खुलासा किया गया है।

'पनाम पेपर्स' में विदेशी कंपनी में निवेश करने वालों में शरीफ की तीन संतानों का नाम शामिल है। शरीफ के दो बेटे - हसन और हुसैन विदेश में रहते हैं और माना जाता है कि वे अपने दम पर अरबपति बने।

शरीफ के दामाद, सेवानिवृत्त कप्तान मोहम्मद सफदर के पास महज एक संपत्ति और उनकी पत्नी (शरीफ की बेटी) मरयम सफदर के पास 550 ग्राम जेवरात हैं।

ईसीपी के बयान के मुताबिक, मरयम सफदर की संपत्तियों में एक शख्स से भेंट में मिली एक बीएमडब्ल्यू कार शामिल है, जबकि उनके जेवरात की कीमत करीब 10 लाख रुपये है।

शरीफ के परिवार से अन्य अमीर शख्स में पंजाब के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ के बेटे और उनके भतीजे हमजा शहबाज का नाम शामिल है। हमजा के पास 34.26 करोड़ रुपये की दौलत है।

Friday, April 22, 2016

भारत ने लिया अजहर मसूद मामले पर चीन से बदला, उइगर लीडर को दिया वीजा

नई दिल्ली (सं.सू.)। पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर पर बैन की भारत की कोशिशों के नाकाम होने के बाद भारत-चीन के बीच तल्खी और बढ़ सकती है। चीन ने वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (WUC) के लीडर डोल्कन ईसा को भारत की ओर से वीजा मिलने पर चिंता जताई है। चीन ने कहा है कि ईसा आतंकवादी है। इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है और यह सभी देशों की जिम्मेदारी है कि उसे पकड़ा जाए।

माना जा रहा है कि भारत ने यह दांव मसूद अजहर को यूएन से आतंकी घोषित करवाने में चीन के रोड़ा अटकाने के बदले में खेला है। उइगर लीडर्स पर शिंजियांग में टेररिज्म को बढ़ावा देने का है आरोप है। चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन हुआ शुनयिंग ने मीडिया से बातचीत में कहा- मैं ये कहना चाहता हूं कि डोल्कन चीनी पुलिस की नजर में एक आतंकवादी है। उसके खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया हुआ है।

प्रवक्ता से जब रिपोटर्स ने पूछा कि ईसा समेत WUC के बाकी लीडर्स इस महीने दलाई लामा से मिलने भारत जाने वाले हैं और भारत ने इसकी इजाजत दी है, तो इस पर हुआ ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में 28 अप्रैल से 1 मई तक एक कॉन्फ्रेंस होगी और ईसा को इसमें शामिल होने के लिए इनवाइट किया गया है।

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा इस कॉन्फ्रेंस को एड्रेस कर सकते हैं। उइगर लीडर्स की दलाई से मुलाकात होने के आसार हैं। यह कॉन्फ्रेंस अमेरिका के 'सिटीजन पावर फॉर चाइना' की ओर से की जा रही है। इसके चीफ यांग जियानली हैं। जो 1989 में थियानमेन स्क्वेयर पर हुए प्रोटेस्ट में शामिल थे।

उधर, डोल्कन ईसा के वीजा के बारे में पूछने पर नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा- हमने मीडिया रिपोर्ट्स देखी है और फैक्ट्स का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।

म्यूनिख के रहने वाले डोल्कन ईसा को 1990 में जर्मनी ने शरण दी थी। ईसा वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (WUC) का लीडर है। ईसा के मुताबिक भारत ने उसे इलेक्ट्रॉनिक वीजा दिया है और उसे अपने पहले भारत दौरे का बेसब्री से इंतजार है। WUC चीन से बाहर रहने वाले उइगर कम्युनिटी के लोगों का एक ग्रुप है।

ईसा पर चीन के शिंजियांग प्रोविंस में आतंकवादी घटनाओं में शामिल होने और लोगों की हत्या की साजिश रचने का आरोप है। 1997 से वह इंटरपोल की लिस्ट में है। चीन का मानना है कि उइगर लीडर्स मुस्लिम बहुल शिंजियांग प्रोविंस में आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। बता दें कि शिंजियांग में उइगर मुसलमानों की आबादी एक करोड़ से ज्यादा है और इन्हें तुर्किक मूल का मुस्लिम माना जाता है। कई सालों से अलग-अलग मांगों को लेकर यहां उइगर मुसलमान प्रोटेस्ट कर रहे हैं। चीन ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ETIM) को एक आतंकवादी ग्रुप मानता है। जबकि डोल्कन ईसा का कहना है- ईस्ट तुर्किस्तान और इंडिया के बहुत पुराने और अच्छे रिलेशन थे। इसीलिए उइगर लोग भारत को प्यार करते हैं।।

रोजाना सरहद पार जाकर शराब पी रहे बिहार के लाखों पियक्कड़


पटना (सं.सू.)। एक अप्रैल 2016 से बिहार में पूरी तरह से शराबबंदी है। इसके बाद झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और नेपाल से लगती सीमा के पार शराब दुकानों में बहार आ गई है। बिहार के सीमावर्ती जिलों के लोग वहां जाकर शराब पी रहे हैं। न पीएंगे न पीने देंगे के सरकारी संकल्प के विपरीत जा रहा है यह।

सूबे में पूर्ण शराबबंदी के बाद भारत-नेपाल सीमा पर स्थित नेपाल का मलंगवा शहर गुलजार हो गया है। शाम ढलते ही यहां मेला जैसा दृश्य बन जाता है। मुंहमांगा पैसा देकर लोग शराब खरीद रहे हैं। बॉर्डर पर रोज पहुंच रही शराब की बड़ी खेप से जिला प्रशासन की नींद उड़ गई है। बिहार के छह जिलों से हजारों पियक्कड़ शराब पीने के लिए नेपाल पहुंच रहे हैं। इस संबंध में खुफिया विभाग ने राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी है। रिपोर्ट के अनुसार, बसों व सीमा के रास्ते बिहार के सीतामढ़ी, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, किशनगंज व सुपौल में शराब की बड़ी खेप पहुंच रही है। इसे रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करने की जरुरत है। सीमावर्ती जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों ने पड़ोसी देश नेपाल से सहयोग की मांग की है। एसएसबी ने भी नेपाल की खुली सीमा से विगत 21 दिनों से खासकर शाम को पियक्कड़ों की आवाजाही की पुष्टि की है। इससे पूर्ण शराबबंदी को सफल बनाने में जुटे अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दो देश और दो कानून के कारण नेपाल सरकार पियक्कड़ों पर कार्रवाई से इनकार कर रही है।शराबबंदी में मदद के लिए दोनों देशों के बॉर्डर पर स्थित जिलों के पदाधिकारियों की लगातार बैठकें हो रही हैं। बैठकों में बिहार में पूर्ण शराबबंदी को सफल बनाने के लिए मदद मांगी जा रही है। लेकिन दोनों देशों का अलग कानून होने के कारण अधिकारी औपचारिक कार्रवाई से इनकार कर रहे हैं।
 
शराबबंदी से पहले जो बीयर 120 रुपए में मिलती थी वह अब 250 रुपए प्रति बोतल मिल रही है। सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद शराब माफियों ने शराब सप्लाई के तरीके को बदल डाला है। अब वह खुले बाजार में नहीं बिक कर चिह्नित ग्राहकों को एजेंट के जरिए सप्लाई की जा रही है। शराब के अवैध कारोबार में अब महिलाओं को लगाया गया है। महिलाएं बोरा में पत्ता कसकर और उसके बीच में शराब की बाेतल रखकर सीमा क्षेत्र में ला रही हैं। इस पार ग्राहक पहले से तैयार होते हैं। बोरे से निकालकर उन ग्राहकों को बोतल दे दिया जाता है। आर-पार के इस खेल की मनमानी कीमत वसूली जा रही है।

दो सीमाएं एक साथ। किशनगंज जिले की सीमा नेपाल के झापा से भी लगती है और पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर और दार्जिलिंग से भी। बिहार में शराबबंदी होते ही झापा और दिनाजपुर में मधुशालाएं बढ़ गईं। नेपाल और बंगाल में बिहार के ग्राहकों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। जिले का टेढ़ागाछ दिघलबैंक और ठाकुरगंज प्रखंड क्षेत्र सीधे नेपाल के बॉर्डर से जुड़ा हुआ है। यह अलग बात है कि बॉर्डर पर एसएसबी की तैनाती है, लेकिन खुली सीमा होने के कारण पगडंडी, खेत होकर नेपाल के गौरीगंज हाट, झापा और दिघलबैंक के सटे लहसुना सहित दो दर्जनों से ज्यादा जगहों पर नेपाली शराब पीने लोग चले ही जाते हैं। झापा से दिनाजपुर के सफर में तस्वीर साफ सामने आती है। बिहार से निकलो, बंगाल-नेपाल में पियो-पचाओ और लौट जाओ। दिनाजपुर के होटल वालों ने गुणा-भाग कर रखा है। ग्राहकों की संख्या 40 प्रतिशत बढ़ी है। जो लुढ़क जाते हैं, उनके सोने की व्यवस्था भी है। नशा उतारकर बिहार की सरहद में जाओ। कुछ लोग बोतल लेकर जाना चाहेंगे, तो ले जा सकते हैं। अपने सामान की रक्षा खुद करें, की शर्त पर।

किशनगंज जिला प्रशासन ने नेपाल के झापा जिला प्रशासन को ऐसे दो दर्जन लाेगों की सूची दी है, जो अवैध तरीके से शराब बिहार भेज रहे हैं। चूंकि नेपाल और बंगाल में शराब खुलेआम बिकती है। इसलिए ऊंचे दाम पर चोरी-छिपे बिहार भेजना फायदे का सौदा हो गया है। कभी कोई तस्कर पकड़ा भी जाता है तो भूलवश या संयोग से। तीन तरफ से पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे किशनगंज जिले के लोगों के लिए दालकोला, असुराढ़ागढ़, कानकी, पांजीपाडा, इस्लामपुर, विद्यानगर, सिंघियाजोत, मीरा मार रिसॉर्ट, सोनपुर सहित दो दर्जनों से ज्यादा छोटे-बड़े हाट बाजार में शराब पीने वालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। शर्मा लाइन होटल के प्रबंधक ने कहा- नीतीश कुमार को आभार। हमारा कारोबार बढ़ा दिया।

कई लोग एक साथ मिले बाराचट्टी के भलुआ से लगे झारखंड के चोरदाहा में दाखिल होते हुए। मकसद, सबका एक ही था। बिहार की सरहद से निकलकर शराब पीना। भीड़ का यह सिलसिला चौपारण तक लगातार देखा गया। वहां बने लाइन होटलों और शराब की दुकानों पर इन दिनों बिहार के लोग ही दिखते हैं। शौकीन लोग। चूंकि इस इलाके में चौकसी न के बराबर है, इसलिए न आते हुए कोई टोकता है, न जाते हुए कोई रोकता है। शराब खरीदकर लोग आसानी से बिहार की सीमा में घुस भी रहे हैं। बिहार की सीमा से लगे झारखंड के कई दुकानदारों ने बताया कि बिहार में शराबबंदी के बाद उनकी दुकानों में शराब की बिक्री में खासा इजाफा हुआ है। पहले केवल स्थानीय लोगों के द्वारा ही उन दुकानों से शराब की खरीद की जाती थी। अब तो उस रास्ते से गुजरते हुए बिहार जाने वाले लोग यहां रुकते जरूर हैं। शराब पीते हैं या फिर खरीदते हैं और उसके बाद ही आगे की ओर बढ़ते हैं।

झारखंड के शराब कारोबारी इन दिनों काॅरपोरेट हो गए हैं। बिहार की सीमा से लगती दुकानों के बाहर बैनर-पोस्टरों की भरमार लग गई है। ब्रांड की ओर से मिले पोस्टर का इस्तेमाल दुकानवाले अब जमकर करने लगे हैं। नई-नई रेहड़ियां इन पोस्टरों के नीचे शाम को लगती हैं। इन रेहड़ियों पर देसी शराब चखने के साथ उपलब्ध है। खड़े-खड़े घूंट मारिए। जो अंग्रेजी शराब के शौकीन हैं, वह दुकानों से खरीदकर इन रेहड़ियों पर आते हैं और चखना खरीदकर गटकने लग जाते हैं। नशा उतरने पर अपने घरों को लौटने लगते हैं।

जय प्रभा सेतु पार करते ही बिहार के मांझी से यूपी के बलिया पहुंच जाते हैं लोग। इस पार के सरयू तट की बजाय इन दिनों उस पार के सरयू तट पर रौनक ज्यादा है। शाम ढलते ही बिहार के शराबी यूपी की सरहद में दाखिल हो जाते हैं। कुछ नशा पचाकर लौटते हैं तो कुछ झूमते हुए आ जाते हैं। बिहार के शराबियों के स्वागत के लिए उस पार नई-नई गुमटियां लग गई हैं। झोपड़ियों में शराब बिकने लगी हैं। सिताब दियारा सिवन राय के टोला के करीब चार किलोमीटर क्षेत्र में शराब की लाइसेंसी दुकानें हैं। आस-पास के इलाकों में कई होटल व ढाबे हैं। यहां देसी शराब उपलब्ध है। एक ढाबे वाले ने कहा- चौगुना कमा रहे हैं आजकल। मांझी व रिविलगंज सीमावर्ती क्षेत्र के ग्राहकों की संख्या बढ़ी है। पंचायत चुनाव के प्रत्याशी भी समर्थकों के साथ पहुंच कर यहां पार्टी कर रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्र में चेकपोस्ट की व्यवस्था नहीं होने एवं यूपी में आसानी से शराब की उपलब्धता से लोग चोरी-छिपे देसी शराब लेकर आ-जा रहे हैं। सरयू नदी के किनारे रहने वाले नाव के सहारे पशुओं के लिए चारा लाते हैं। चारा में ही शराब छिपाकर ले आते हैं। कुछ तो दूध के केन शराब ढो रहे हैं।

सीवान के रास्ते यूपी में प्रवेश करने वाले प्रत्याशी और उनके समर्थकों के वाहनों के लिए प्रतापपुर चीनी मिल परिसर का इलाका सेंटर बन गया है। दो बजे के बाद से ही यहां गाड़ियों का पहुंचना शुरू हो जाता है और यह सिलसिला देर शाम तक चलता है। आते हैं पीते हैं और पिलाते भी हैं। सीवान से जुड़ी यूपी सीमा में प्रतापपुर चीनी मिल परिसर, भवानीछापर, भींगारी बाजार, चकिया कोठी, सोहगरा, चनखी घाट में संचालित शराब दुकानों की स्थिति यह है कि यहां शाम होते मेला जैसा माहौल बन जा रहा है। प्रत्याशी गाड़ियों में समर्थकों को लेकर पहुंच रहे हैं। जमकर पीने और पिलाने के बाद शराब की भारी खेप भी अपने साथ गई गाड़ियों में भर लेते हैं और पुलिस की मदद से सीवान पहुंच जा रहे हैं।

गाजीपुर पहुंचने के लिए छह किलोमीटर पैदल दूरी तय कर रहे हैं बक्सर के लोग। ये पियक्कड़ लोग हैं। शाम को कर्मनाशा पुल पर नजारा ही अलग दिखा। पियक्कड़ टहलने के नाम पर बिहार से यूपी पहुंच रहे थे। कुछ तो गंगा नदी के किनारे चिलचिलाती धूप में नाव की सवारी कर उस पार शराब के लिए जाते नजर आए। कई तो केवट से मोल-तोल करते नजर आए। शाम होते ही युवाओं की टोली एक साथ बिहार-यूपी के बॉर्डर पर पहुंच जा रही है और बीयर पीकर बारी-बारी अपने घर लौट आ रही है। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद कोई नाव की सवारी कर रहा है तो कोई ट्रेन की। कई लोगों ने तो ट्रेन को ही अपना सही रास्ता चुन लिया है। इसके लिए बक्सर के लोग दस रुपए खर्च कर पैसेंजर ट्रेन 511 अप से गहमर, भदौरा, दिलदारनगर तक चले जाते हैं और 566 डाउन पैसेंजर ट्रेन से शाम को घर लौट आ रहे हैं। यूपी की बारा पंचायत के कुतुबपर में गुरुवार को देसी शराब की एक दुकान खुल चुकी है। सायर, देवल व घरहिया में पहले से दुकानें हैं। बारा पंचायत में खुल रही शराब की दुकान के विरोध में जिला पंचायत सदस्य जमाल खान की अगुवाई में महापंचायत का आयोजन हुआ था। बावजूद यहां दुकान खुल ही गई। पियक्कड़ नैनीजोर के पीपापुल, बक्सर कोईलवर तटबंध से भी शराब ला रहे हैं। ब्यासी, प्राणपुर, जवहीं दियर आदि गांव के लोग तटबंध के जरिए आसानी से शराब मंगा रहे हैं। कई लोग ट्रेन से गहमर जा कर बोतलें लाकर बेच रहे हैं। लाभ प्रति बोतल 300 रुपए।