नई दिल्ली (सं.सू.)। आगामी वित्त वर्ष में समूचे देश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू हो जाएगा। देश की एक बड़ी आबादी को इससे रियायती दर पर अनाज उपलब्ध होने लगेगा। फिलहाल 22 राज्यों में खाद्य सुरक्षा कानून लागू हो चुका है। बाकी बचे राज्यों के प्रतिनिधियों ने 31 मार्च तक अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने का भरोसा दिया और कहा कि आगामी अप्रैल से उनके यहां खाद्य सुरक्षा कानून लागू कर दिया जाएगा।
खाद्य सचिवों के सम्मेलन में केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून पर अमल से गरीबी दूर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने सभी राज्यों के आला अफसरों से खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने के बारे में आने वाली दिक्कतों की जानकारी मांगी और इसे लागू करने के बारे में पूछा। जिन 22 राज्यों में कानून लागू हो चुका है, उनकी खामियों और आधी अधूरी तैयारियों पर भी चर्चा हुई। पासवान ने कहा कि कानून के लागू हो जाने के बाद देश की 67 फीसद आबादी को दो रुपये किलो गेहूं और तीन रूपये किलो चावल उपलब्ध होगा। इसके लागू होने से गरीबी उन्मूलन का रास्ता जुड़ा हुआ है।
पासवान ने जोर देकर कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून पर ईमानदारी से अमल किया गया तो राशन प्रणाली शत प्रतिशत पारदर्शी हो जाएगी। प्रत्येक उपभोक्ता बायोमीटिक से जुड़ा रहेगा और उनका नाम ऑनलाइन दर्ज होगा। समूची प्रणाली के कंप्यूटरीकरण से व्यवस्था चुस्त दुरुस्त होगी। केंद्र सरकार खाद्यान्न के एक राज्य से दूसरे राज्यों के बीच अनाज की ढुलाई से लेकर राशन दुकानदारों के कमीशन का दायित्व उठाएगी। राशन दुकानों से होने वाली गड़बड़ी और लीकेज रोकने के लिए रियायती दर की दुकानों का ऑटोमेशन किया होना जरूरी है। सम्मेलन में यह तय किया गया कि अप्रैल 2016 तक किसी राज्य की अतिरिक्त अनाज की मांग को ठुकराया नहीं जाएगा। सभी राज्यों में जून 2016 तक राशन प्रणाली का कंप्यूटरीकरण का काम पूरा कर लिया जाएगा।
खाद्य सचिवों के सम्मेलन में पूर्वी राज्यों में अनाज की सरकारी खरीद को पुख्ता बनाने के लिए बेहतर ढांचागत सुविधाएं मुहैया कराने पर जोर दिया गया। इनमें खरीद केंद्र, भंडारण की सुविधा, चावल मिलों की क्षमता बढ़ाने पर सहमति बनी। इसके अलावा अनाज की सरकारी खरीद प्रक्रिया के कंप्यूटरीकरण की आवश्यकता बताई गई। इससे जहां खरीद प्रक्रिया पारदर्शी होगी वहीं किसानों को बैंकों के मार्फत तेजी से उनकी उपज का भुगतान संभव हो सकेगा।
खाद्य सचिवों के सम्मेलन में केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून पर अमल से गरीबी दूर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने सभी राज्यों के आला अफसरों से खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने के बारे में आने वाली दिक्कतों की जानकारी मांगी और इसे लागू करने के बारे में पूछा। जिन 22 राज्यों में कानून लागू हो चुका है, उनकी खामियों और आधी अधूरी तैयारियों पर भी चर्चा हुई। पासवान ने कहा कि कानून के लागू हो जाने के बाद देश की 67 फीसद आबादी को दो रुपये किलो गेहूं और तीन रूपये किलो चावल उपलब्ध होगा। इसके लागू होने से गरीबी उन्मूलन का रास्ता जुड़ा हुआ है।
पासवान ने जोर देकर कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून पर ईमानदारी से अमल किया गया तो राशन प्रणाली शत प्रतिशत पारदर्शी हो जाएगी। प्रत्येक उपभोक्ता बायोमीटिक से जुड़ा रहेगा और उनका नाम ऑनलाइन दर्ज होगा। समूची प्रणाली के कंप्यूटरीकरण से व्यवस्था चुस्त दुरुस्त होगी। केंद्र सरकार खाद्यान्न के एक राज्य से दूसरे राज्यों के बीच अनाज की ढुलाई से लेकर राशन दुकानदारों के कमीशन का दायित्व उठाएगी। राशन दुकानों से होने वाली गड़बड़ी और लीकेज रोकने के लिए रियायती दर की दुकानों का ऑटोमेशन किया होना जरूरी है। सम्मेलन में यह तय किया गया कि अप्रैल 2016 तक किसी राज्य की अतिरिक्त अनाज की मांग को ठुकराया नहीं जाएगा। सभी राज्यों में जून 2016 तक राशन प्रणाली का कंप्यूटरीकरण का काम पूरा कर लिया जाएगा।
खाद्य सचिवों के सम्मेलन में पूर्वी राज्यों में अनाज की सरकारी खरीद को पुख्ता बनाने के लिए बेहतर ढांचागत सुविधाएं मुहैया कराने पर जोर दिया गया। इनमें खरीद केंद्र, भंडारण की सुविधा, चावल मिलों की क्षमता बढ़ाने पर सहमति बनी। इसके अलावा अनाज की सरकारी खरीद प्रक्रिया के कंप्यूटरीकरण की आवश्यकता बताई गई। इससे जहां खरीद प्रक्रिया पारदर्शी होगी वहीं किसानों को बैंकों के मार्फत तेजी से उनकी उपज का भुगतान संभव हो सकेगा।
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