नई दिल्ली (सं.सू.)। यूपीए-दो की सरकार नीतीश सरकार में हुए चावल घोटाले की तरह अब एक नए घोटाले चावल घोटाले में फंसती दिख रही है। यह घोटाला यूपीए-वन की सरकार के समय का है। यूपीए-वन की सरकार में मानवीय आधार पर अफ्रीकी देशों को गैर बासमती चावल निर्यात की अनुमति दी गई थी। तीन सरकारी कंपनियों एसटीसी, एमएमटीसी और पीईसी ने नियमों की अनदेखी कर निजी निर्यातकों को इस काम में शामिल किया और उन्हें करोडों की लूट की छूट दी। गैर बासमती चावल के निर्यात में सरकारी कंपनियों ने अपना मुनाफा सिर्फ एक से डेढ़ फीसदी रखा, जबकि निजी कंपनियों ने इनके मुकाबले 26 से 40 गुना कमाई की। सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गई है।
हुआ यूँ कि प्रति 100 किलो चावल पर पर मिल को 67 किलो प्रोसेसिंग करके सरकार को लौटाने होते थे। बचा हुआ 33 किलो का माल जिसमें चोकर, भूसी और "चावल टुकड़ी" मिल मालिक बेच खाते। यह माल एक तरह से उन्हें मुफ्त में मिला हुआ होता था, क्योंकि सरकार चावल मिलों को "चावल प्रोसेसिंग" का भुगतान भी करती थी। इस तरह सरकारी खजाने को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये की चपत लगाई गई।
हुआ यूँ कि प्रति 100 किलो चावल पर पर मिल को 67 किलो प्रोसेसिंग करके सरकार को लौटाने होते थे। बचा हुआ 33 किलो का माल जिसमें चोकर, भूसी और "चावल टुकड़ी" मिल मालिक बेच खाते। यह माल एक तरह से उन्हें मुफ्त में मिला हुआ होता था, क्योंकि सरकार चावल मिलों को "चावल प्रोसेसिंग" का भुगतान भी करती थी। इस तरह सरकारी खजाने को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये की चपत लगाई गई।
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