पटना (सं.सू.)। बिहार में 12वीं बोर्ड यानि इंटर साइंस के नतीजे घोषित कर दिए गए है। कुल उतीर्ण छात्रों की संख्या 67.06 फीसदी है। जिसमें से 21.75 फीसदी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए हैं।
साइंस स्ट्रीम में इस साल तीन छात्रों ने 500 मार्क्स में से 426 मार्क्स प्राप्त किए हैं। यानि बिहार के तीन टॉपर के मार्क्स 85.20 फीसदी है। लेकिन सवाल है कि क्या बिहार बोर्ड के छात्र देश के प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पढ़ने से वंचित रह जाएंगे।
बिहार बोर्ड के टॉपर छात्रों को भी इस मार्क्स फीसदी पर देश के प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में दाखिला मुश्किल है। उदाहरण के तौर पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस, हिंदू, हंसराज, किरोड़ीमल, लेडीश्रीराम, व्यंकटेश्वर समेत तमाम नामचीन कॉलेजों के साइंस स्ट्रीम में दाखिले के लिए 90 फीसदी के आसपास मार्क्स की जरूरत होती है। बिहार बोर्ड के टॉपर छात्र ने 85 फीसदी मार्क्स हासिल किए हैं फिर सवाल है कि दाखिला कैसे होगा?
ईटीवी/प्रदेश 18 ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद सिंह से इस संबंध में सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि हमलोगों को इस बात की जानकारी है। सब्जेक्टिव होने के कारण बिहार बोर्ड के स्टूडेंट्स को कम मार्क्स आते हैं। लेकिन एग्जाम को ऑब्जेक्टिव नहीं करेंगे क्योंकि इससे स्टूडेंट्स का स्टैंडर्ड गिरेगा।
उन्होंने कहा कि कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने की क्या जरुरत है। मैं नहीं मानता हूं कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई अच्छी होती है। पटना यूनिवर्सिटी ज्यादा अच्छा है। जब ये सवाल किया गया है कि पटना यूनिवर्सिटी में भी सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्टूडेंट्स बाजी मार लेते हैं तो उन्होंने कुछ भी कमेंट नहीं किया।
अब सवाल ये भी उठता है कि ज्यादातर नेताओं और अधिकारियों के बच्चे सीबीएसई या आईसीएसई बोर्ड में पढ़ते हैं। क्या यही कारण है कि सत्ता में बैठे लोगों को इसकी जरूरत महसूस नहीं हो रही है।
गौरतलब है कि इस बार एग्जाम में कदाचार पर पूरी तरह रोक के कारण साइंस स्ट्रीम का रिजल्ट पिछले साल के मुकाबले 22 फीसदी कम हुआ है।
साइंस स्ट्रीम में इस साल तीन छात्रों ने 500 मार्क्स में से 426 मार्क्स प्राप्त किए हैं। यानि बिहार के तीन टॉपर के मार्क्स 85.20 फीसदी है। लेकिन सवाल है कि क्या बिहार बोर्ड के छात्र देश के प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पढ़ने से वंचित रह जाएंगे।
बिहार बोर्ड के टॉपर छात्रों को भी इस मार्क्स फीसदी पर देश के प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में दाखिला मुश्किल है। उदाहरण के तौर पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस, हिंदू, हंसराज, किरोड़ीमल, लेडीश्रीराम, व्यंकटेश्वर समेत तमाम नामचीन कॉलेजों के साइंस स्ट्रीम में दाखिले के लिए 90 फीसदी के आसपास मार्क्स की जरूरत होती है। बिहार बोर्ड के टॉपर छात्र ने 85 फीसदी मार्क्स हासिल किए हैं फिर सवाल है कि दाखिला कैसे होगा?
ईटीवी/प्रदेश 18 ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद सिंह से इस संबंध में सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि हमलोगों को इस बात की जानकारी है। सब्जेक्टिव होने के कारण बिहार बोर्ड के स्टूडेंट्स को कम मार्क्स आते हैं। लेकिन एग्जाम को ऑब्जेक्टिव नहीं करेंगे क्योंकि इससे स्टूडेंट्स का स्टैंडर्ड गिरेगा।
उन्होंने कहा कि कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने की क्या जरुरत है। मैं नहीं मानता हूं कि दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई अच्छी होती है। पटना यूनिवर्सिटी ज्यादा अच्छा है। जब ये सवाल किया गया है कि पटना यूनिवर्सिटी में भी सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्टूडेंट्स बाजी मार लेते हैं तो उन्होंने कुछ भी कमेंट नहीं किया।
अब सवाल ये भी उठता है कि ज्यादातर नेताओं और अधिकारियों के बच्चे सीबीएसई या आईसीएसई बोर्ड में पढ़ते हैं। क्या यही कारण है कि सत्ता में बैठे लोगों को इसकी जरूरत महसूस नहीं हो रही है।
गौरतलब है कि इस बार एग्जाम में कदाचार पर पूरी तरह रोक के कारण साइंस स्ट्रीम का रिजल्ट पिछले साल के मुकाबले 22 फीसदी कम हुआ है।
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