Monday, February 15, 2016

मनमोहन राज में 510 अरब डॉलर कालाधन भेजा गया विदेश

नई दिल्ली (सं.सू.)। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में काले धन की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआइटी) ने राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआइ) को संप्रग के शासनकाल में विदेश भेजे गए काले धन की जांच का निर्देश दिया है। आरोप है कि 2004 से 2013 के बीच मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते भारत से 510 अरब डॉलर (लगभग 34.68 लाख करोड़ रुपये) का काला धन विदेश भेजे गए। यह खुलासा ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी (जीएफआइ) ने काले धन की दुनियाभर में आवाजाही पर दिसंबर 2015 में अपनी सालाना रिपोर्ट में किया था।

अमेरिका की एजेंसी जीएफआइ की इस रिपोर्ट में इसी अवधि के दौरान दुनिया भर में सात खरब डॉलर की राशि गैरकानूनी तौर पर एक देश से दूसरे देश भेजी गई। एसआइटी की तरफ से पिछले हफ्ते डीआरआइ को जारी निर्देश में कहा गया है कि समिति को जीएफआइ की तरफ से विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई गई है कि इस अवधि के दौरान किस देश से कितनी राशि बाहर भेजी गई है। इस दौरान औसतन हर वर्ष 51 अरब डॉलर की राशि गैरकानूनी तौर पर भारत से बाहर भेजी गई। अब डीआरआइ से इस पूरे मामले की जांच को कहा गया है। डीआरआई की रिपोर्ट आने के बाद एसआइटी उस पर आगे की कार्रवाई करेगी। हालांकि जानकारों का कहना है कि सिर्फ भारतीय एजेंसियों के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया भर की एजेंसियों के लिए जीएफआइ की रिपोर्ट का सत्यापन करना बड़ी चुनौती है। जीएफआइ ने मोटे अनुमानों के आधार पर इसे तैयार किया है। इसके मुताबिक एक दशक में भारत से 510.29 अरब डॉलर बाहर भेजा गया जिसका ज्यादा हिस्सा आयात-निर्यात व अन्य कारोबार की आड़ में था। चीन, रूस और मैक्सिको के बाद भारत इसमें चौथे स्थान पर रहा। एसआइटी ने यह भी कहा है कि उसकी एक दूसरी रिपोर्ट में आयात-निर्यात की आड़ में काले धन के खेल की तरफ इशारा किया गया था। उसमें आयात-निर्यात के आंकड़ों की जांच व सत्यापन के लिए एक एजेंसी के गठन की सिफारिश थी। आयातित उत्पादों की कीमतों की निगरानी करने की बात भी उसमें थी।

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