पटना (सं.सू.)। मुख्यमंत्रीजी,सीधे बताइए कि कब आएगा परीक्षा का बुलावा? नालंदा के एकंगरसराय से जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में पहुंची संजू ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन से कई बार यह सवाल किया। संजू ने जब मुख्यमंत्री से मिलकर उनसे भी यही सवाल पूछा तो उन्होंने उसे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के पास भेज दिया।
संजू की समस्या यह थी कि दो साल पहले उसने ड्रेसर पद पर नियुक्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। बार-बार यह पता किया उसने जो आवेदन किया उसके लिए साक्षात्कार का बुलावा कब आएगा, पर कहीं कोई अता-पता नहीं चल रहा। वैसे सोमवार के जनता दरबार में अफसरों ने उसे यह आश्वस्त जरूर किया कि फरवरी के आखिरी महीने में बुलावा आ सकता है। जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में नौकरियों से जुड़े इस तरह के कई मामले पहुंचे। कुल 826 लोगों ने मुख्यमंत्री के पास अपनी शिकायतें रखीं, जिनमें 150 महिलाएं थीं।
मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा से आयीं अख्तरी बानो की गुहार यह थी कि पिछले पांच वर्षो से वह अपने इलाके के मदरसा में पढ़ा रही हैं, पर पगार बंद है। पगार दिए जाने के संबंध में आदेश भी जारी हो चुका है, पर कुछ नहीं हो रहा।
सीतामढ़ी से पहुंचीं अख्तरी बेगम ने कहा कि वह 2010 से तालीमी मरकज में काम कर रहीं थीं। दो साल तक तो ठीक चला पर अचानक उनकी सेवा खत्म हो गयी है। स्थानीय स्तर पर वह कई दफ्तरों में गयीं पर सहयोग नहीं मिल रहा।
भोजपुर के बड़हरा से आयीं आशा कुमारी ने कहा कि वह बड़हरा के कस्तूरबा गांधी विद्यालय में शिक्षिका थीं। अफसरों ने दबाव देकर उन्हें प्रभारी बना दिया और पिछले 18 जनवरी को बगैर किसी नोटिस के बर्खास्त कर दिया गया। इस मसले पर जल्द से जल्द समाधान कराएं। काफी दिनों से चक्कर लगा रही हूं। पता नहीं क्यों मुझे स्पष्ट कारण भी नहीं बताया जा रहा है।
संजू की समस्या यह थी कि दो साल पहले उसने ड्रेसर पद पर नियुक्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। बार-बार यह पता किया उसने जो आवेदन किया उसके लिए साक्षात्कार का बुलावा कब आएगा, पर कहीं कोई अता-पता नहीं चल रहा। वैसे सोमवार के जनता दरबार में अफसरों ने उसे यह आश्वस्त जरूर किया कि फरवरी के आखिरी महीने में बुलावा आ सकता है। जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में नौकरियों से जुड़े इस तरह के कई मामले पहुंचे। कुल 826 लोगों ने मुख्यमंत्री के पास अपनी शिकायतें रखीं, जिनमें 150 महिलाएं थीं।
मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा से आयीं अख्तरी बानो की गुहार यह थी कि पिछले पांच वर्षो से वह अपने इलाके के मदरसा में पढ़ा रही हैं, पर पगार बंद है। पगार दिए जाने के संबंध में आदेश भी जारी हो चुका है, पर कुछ नहीं हो रहा।
सीतामढ़ी से पहुंचीं अख्तरी बेगम ने कहा कि वह 2010 से तालीमी मरकज में काम कर रहीं थीं। दो साल तक तो ठीक चला पर अचानक उनकी सेवा खत्म हो गयी है। स्थानीय स्तर पर वह कई दफ्तरों में गयीं पर सहयोग नहीं मिल रहा।
भोजपुर के बड़हरा से आयीं आशा कुमारी ने कहा कि वह बड़हरा के कस्तूरबा गांधी विद्यालय में शिक्षिका थीं। अफसरों ने दबाव देकर उन्हें प्रभारी बना दिया और पिछले 18 जनवरी को बगैर किसी नोटिस के बर्खास्त कर दिया गया। इस मसले पर जल्द से जल्द समाधान कराएं। काफी दिनों से चक्कर लगा रही हूं। पता नहीं क्यों मुझे स्पष्ट कारण भी नहीं बताया जा रहा है।
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