कोझिकोड (सं.सू.)। बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने शनिवार को एक बार फिर से असहिष्णुता का मुद्दा छेड़ा। उन्होंने कहा कि भारत असहिष्णु देश नहीं है। हालांकि साथ ही उन्होंने कहा कि भारत में कुछ लोग असहिष्णु हैं।
कोझिकोड में केरल साहित्य महोत्सव में पहुंची तसलीमा ने कहा, 'मुझे लगता है कि ज्यादातर लोग यहां एक-दूसरे के मजहब को लेकर बेहद सहनशील हैं। भारत के कानून असहिष्णुता का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन इस देश में बहुत सारे असहिष्णु लोग मौजूद हैं।'
इस दौरान लेखिका ने कहा कि उन्हें ये समझ नहीं आता कि भारत में सेकुलरवादी लोग सिर्फ हिंदू कट्टरपंथियों पर ही क्यों सवाल उठाते हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम कट्टरपंथियों पर सवाल क्यों नहीं उठाए जाते।
तसलीमा ने कहा कि इस वक्त भारत में धर्मनिरपेक्षता व रुढ़िवादिता के बीच, नवीनता व परंपरा के बीच, इंसानियत व बर्बरता के बीच और आजादी को समझने व न समझने वालों के बीच लड़ाई चल रही है।
लेखिका ने कहा कि सभी धर्मो में महिला विरोधी सोच वाली विकृतियां हैं, जिसकी वजह से कट्टरपंथियों को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि धर्म को राजनीति से दूर रखना चाहिए। तसलीमा नसरीन 2005 से भारत में रह रही हैं।
कोझिकोड में केरल साहित्य महोत्सव में पहुंची तसलीमा ने कहा, 'मुझे लगता है कि ज्यादातर लोग यहां एक-दूसरे के मजहब को लेकर बेहद सहनशील हैं। भारत के कानून असहिष्णुता का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन इस देश में बहुत सारे असहिष्णु लोग मौजूद हैं।'
इस दौरान लेखिका ने कहा कि उन्हें ये समझ नहीं आता कि भारत में सेकुलरवादी लोग सिर्फ हिंदू कट्टरपंथियों पर ही क्यों सवाल उठाते हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम कट्टरपंथियों पर सवाल क्यों नहीं उठाए जाते।
तसलीमा ने कहा कि इस वक्त भारत में धर्मनिरपेक्षता व रुढ़िवादिता के बीच, नवीनता व परंपरा के बीच, इंसानियत व बर्बरता के बीच और आजादी को समझने व न समझने वालों के बीच लड़ाई चल रही है।
लेखिका ने कहा कि सभी धर्मो में महिला विरोधी सोच वाली विकृतियां हैं, जिसकी वजह से कट्टरपंथियों को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि धर्म को राजनीति से दूर रखना चाहिए। तसलीमा नसरीन 2005 से भारत में रह रही हैं।
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