नई दिल्ली (सं.सू.)। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस पर तीखा तंज कसा। मोदी ने कहा कि मृत्यु को एक वरदान प्राप्त है। कोई मरता है, तो उसका कारण कैंसर, बुढ़ापा आदि को बताया जाता है। मृत्यु कभी बदनाम नहीं होती। इसी तरह कांग्रेस के पास भी ऐसा ही वरदान है। उसे कभी बदनामी नहीं मिलती। यदि हम शरदजी (यादव) या मायावतीजी पर हमला करते हैं, तो कहा जाता है जदयू या बसपा पर हमला बोला। लेकिन कांग्रेस की आलोचना करते हैं, तो मीडिया इसे विपक्ष पर हमला बताता है। प्रधानमंत्री ने अपने एक घंटे के भाषण में सभी विपक्षी दलों से राज्यसभा में लंबित जीएसटी समेत अन्य विधेयकों को पारित कराने की अपील भी की।
मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कथन के माध्यम से विपक्ष से सहयोग की अपील की। उन्होंने उम्मीद जताई कि सदन में लंबित सारे बिल इस सत्र में पारित हो जाएंगे। नेहरू ने कहा था, ‘राज्यसभा विचारों का कक्ष है। लोकसभा और इसमें समन्वय की जरुरत है, क्योंकि दोनों एक ढांचे का हिस्सा हैं।’ सरकार जीएसटी समेत कई अहम बिल राज्यसभा में अटकने से परेशान है।
इंदिरा के कथन से निशाना1मोदी ने इंदिरा गांधी के एक कथन को दोहराया कि दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। एक जो काम करते हैं। दूसरा, जो काम का श्रेय लेते हैं। कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए काम किया होता, तो जनधन के तहत मुङो लोगों का खाता नहीं खुलवाना पड़ता। उन्होंने सवाल किया कि आखिर 30 साल बाद भी गंगा मैली क्यों है?
इस दौरान पीएम ने हाल ही में स्वर्गीय हुए महान शायर निदा फाजली की एक गजल भी सुनाई-
सफर में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो,
सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो।
किसी के वास्ते राहें कहां बदलती हैं,
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो।
यहां किसी को कोई रास्ता नहीं देता,
मुझे गिराके अगर तुम संभल सको तो चलो।
यही है जिंदगी, कुछ खाक चंद उम्मीदें,
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो।
हालांकि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान राज्यसभा में संशोधन वापस लेने की पीएम की अपील नकारते हुए विपक्षी दलों ने बाद में अभिभाषण पर संशोधन प्रस्ताव पारित करा लिया। इससे सरकार का कोई नुकसान नहीं हुआ। संशोधन प्रस्ताव कांग्रेस की ओर से गुलाम नबी आजाद ने पेश किया। स्थानीय निकाय चुनाव में शैक्षिक योग्यता को लेकर इसे रखा गया था। नेता सदन अरुण जेटली ने इस पर संवैधानिक टकराव का सवाल उठाया। आखिर में हुए मतदान में सरकार 61 के मुकाबले 94 मतों से हार गई। गौरतलब है कि हरियाणा पंचायत चुनाव के दौरान न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य किए जाने को सुप्रीम कोर्ट भी मंजूरी दे चुका है।
मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कथन के माध्यम से विपक्ष से सहयोग की अपील की। उन्होंने उम्मीद जताई कि सदन में लंबित सारे बिल इस सत्र में पारित हो जाएंगे। नेहरू ने कहा था, ‘राज्यसभा विचारों का कक्ष है। लोकसभा और इसमें समन्वय की जरुरत है, क्योंकि दोनों एक ढांचे का हिस्सा हैं।’ सरकार जीएसटी समेत कई अहम बिल राज्यसभा में अटकने से परेशान है।
इंदिरा के कथन से निशाना1मोदी ने इंदिरा गांधी के एक कथन को दोहराया कि दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। एक जो काम करते हैं। दूसरा, जो काम का श्रेय लेते हैं। कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए काम किया होता, तो जनधन के तहत मुङो लोगों का खाता नहीं खुलवाना पड़ता। उन्होंने सवाल किया कि आखिर 30 साल बाद भी गंगा मैली क्यों है?
इस दौरान पीएम ने हाल ही में स्वर्गीय हुए महान शायर निदा फाजली की एक गजल भी सुनाई-
सफर में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो,
सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो।
किसी के वास्ते राहें कहां बदलती हैं,
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो।
यहां किसी को कोई रास्ता नहीं देता,
मुझे गिराके अगर तुम संभल सको तो चलो।
यही है जिंदगी, कुछ खाक चंद उम्मीदें,
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो।
हालांकि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान राज्यसभा में संशोधन वापस लेने की पीएम की अपील नकारते हुए विपक्षी दलों ने बाद में अभिभाषण पर संशोधन प्रस्ताव पारित करा लिया। इससे सरकार का कोई नुकसान नहीं हुआ। संशोधन प्रस्ताव कांग्रेस की ओर से गुलाम नबी आजाद ने पेश किया। स्थानीय निकाय चुनाव में शैक्षिक योग्यता को लेकर इसे रखा गया था। नेता सदन अरुण जेटली ने इस पर संवैधानिक टकराव का सवाल उठाया। आखिर में हुए मतदान में सरकार 61 के मुकाबले 94 मतों से हार गई। गौरतलब है कि हरियाणा पंचायत चुनाव के दौरान न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य किए जाने को सुप्रीम कोर्ट भी मंजूरी दे चुका है।
No comments:
Post a Comment