लखनऊ (सं.सू.)। समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा के सात प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। उम्मीद के मुताबिक, अमर सिंह, बेनी प्रसाद वर्मा और बिल्डर संजय सेठ का नाम राज्यसभा के उम्मीदवारों में शामिल है। मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को समाजवादी पार्टी की केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें मिशन-2017 की तैयारी पर चर्चा हुई और फिर प्रत्याशियों के नामों पर बातचीत शुरू हुई।
सूत्रों का कहना है कि अमर सिंह के नाम पर महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव व मंत्री आजम खां की सहमति नहीं थी। एकाध और सदस्य भी इस नाम पर राजी नहीं थे। मगर विरोध आजम व राम गोपाल ने ही जताया। मुस्लिम वर्ग से प्रस्तावित नाम पर भी सदस्यों में एकराय नहीं बन पाई। काफी देर की कवायद के बाद जब एकराय नहीं बनी तो प्रो. राम गोपाल व आजम प्रत्याशी चयन का अधिकार बोर्ड अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को सौंपने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर चले गए। देर शाम सपा के प्रदेश प्रभारी शिवपाल यादव ने राज्यसभा उम्मीदवारों की घोषणा की। कहा कि बैठक में नामों पर चर्चा के बाद सदस्यों ने प्रत्याशी चयन का अधिकार मुलायम सिंह को दिया था, जिन्होंने प्रत्याशियों का चयन किया है।
पार्टी में विरोध के चलते सपा से अमर सिंह को दो फरवरी 2010 में निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने कई बार खुले मंच से पार्टी के साथ ही स्वयं सपा प्रमुख पर भी जमकर हमला बोला था। सपा से नाता टूटने के बाद अपनी सियासी पारी को नया आयाम देने के लिए खुद की पार्टी भी बनाई लेकिन उनकी यह मुहिम रंग नहीं ला सकी।
सूत्रों का कहना है कि अमर सिंह के नाम पर महासचिव प्रो. राम गोपाल यादव व मंत्री आजम खां की सहमति नहीं थी। एकाध और सदस्य भी इस नाम पर राजी नहीं थे। मगर विरोध आजम व राम गोपाल ने ही जताया। मुस्लिम वर्ग से प्रस्तावित नाम पर भी सदस्यों में एकराय नहीं बन पाई। काफी देर की कवायद के बाद जब एकराय नहीं बनी तो प्रो. राम गोपाल व आजम प्रत्याशी चयन का अधिकार बोर्ड अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को सौंपने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर चले गए। देर शाम सपा के प्रदेश प्रभारी शिवपाल यादव ने राज्यसभा उम्मीदवारों की घोषणा की। कहा कि बैठक में नामों पर चर्चा के बाद सदस्यों ने प्रत्याशी चयन का अधिकार मुलायम सिंह को दिया था, जिन्होंने प्रत्याशियों का चयन किया है।
पार्टी में विरोध के चलते सपा से अमर सिंह को दो फरवरी 2010 में निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने कई बार खुले मंच से पार्टी के साथ ही स्वयं सपा प्रमुख पर भी जमकर हमला बोला था। सपा से नाता टूटने के बाद अपनी सियासी पारी को नया आयाम देने के लिए खुद की पार्टी भी बनाई लेकिन उनकी यह मुहिम रंग नहीं ला सकी।
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