पटना (सं.सू.)। नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी राजद विधायक राजबल्लभ यादव के खिलाफ फोरेंसिक जांच में ठोस साक्ष्य नहीं मिले। आशंका है कि लैब भेजने से पहले साक्ष्यों को पुलिस द्वारा ही नष्ट कर दिया गया। जो कपड़े साक्ष्य के तौर पर जांच के लिए भेजे गए, उनमें डिटर्जेंट महक रहा है जिससे लगता है कि विधायक को बचाने में पुलिस स्वयं संलिप्त हो गयी है।
पुलिस ने राजबल्लभ यादव पर दुष्कर्म का आरोप साबित करने के लिए फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) को छह प्रदर्श जांच के लिए भेजे गए थे। इनमें पीड़िता के अंत:वस्त्र शामिल नहीं थे जबकि सबसे मजबूत सबूत वही थे। भेजे गए कपड़ों में विधायक के घर (घटनास्थल) के उस कमरे की बिछावन के तोशक, तकिया, चादर के अलावा पीड़िता के सलवार, समीज और दुपट्टा शामिल थे। फोरेंसिक जांच में इन सभी छह प्रदर्शो में ‘स्पर्म’ के निशान नहीं मिले। एफएसएल ने अपनी जांच रिपोर्ट नालंदा महिला थाना और नालंदा कोर्ट को विगत 13 अप्रैल को ही उपलब्ध करा दी है। एफएसएल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ‘जिन छह कपड़ों की जांच की गई है, उसमें ‘स्पर्म’ के निशान तो नहीं मिले, पर सभी कपड़ों में डिटर्जेंट की महक जरूर पाई गई है।’ एफएसएल की यह टिप्पणी साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की ओर स्पष्ट इशारा कर रही है।
विदित हो कि इस मामले की जांच में लगी एफएसएल की टीम को विधायक के घर से साक्ष्य एकत्रित करने में भी काफी फजीहत का सामना करना पड़ा था। पहली बार नालंदा पुलिस एफएसएल की टीम के साथ विधायक के बिहारशरीफ के इंग्लिशपुर मोहल्ला स्थित आवास को सील करने गई थी तब विधायक के सैकड़ों समर्थकों ने पुलिस व फोरेंसिक टीम पर रोड़ेबाजी कर उन्हें खदेड़ दिया था। इसके बाद नालंदा पुलिस और फोरेंसिक टीम ने दो-तीन दिन बाद पूरी तैयारी के साथ विधायक के घर पर धावा बोला था और उस कमरे से साक्ष्य एकत्रित किए थे, जिस कमरे में नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया गया था।
बता दें कि दुष्कर्म के आरोपों से घिरे राजद विधायक फिलहाल बिहारशरीफ मंडल कारा में बंद हैं। उन्होंने इस घटना के एक महीने बाद 10 मार्च को नालंदा व्यवहार न्यायालय में आत्मसमर्पण किया था, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था। नालंदा पुलिस विधायक को रिमांड पर लेकर भी पूछताछ कर चुकी है। पीड़िता के अनुसार उसके साथ विगत 6 फरवरी को दुष्कर्म किया गया था।
विदित हो कि घटना के बाद बिहार के सीएम ने कहा था कि विधायक के मामले को फ़ास्ट ट्रैक में चलाकर सजा दिलवाई जाएगी लेकिन ऐसा हुआ तो नहीं ही उल्टे सुशासन की पुलिस दुश्शासन को बचाने में जी-जान से जुट गयी है।
पुलिस ने राजबल्लभ यादव पर दुष्कर्म का आरोप साबित करने के लिए फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) को छह प्रदर्श जांच के लिए भेजे गए थे। इनमें पीड़िता के अंत:वस्त्र शामिल नहीं थे जबकि सबसे मजबूत सबूत वही थे। भेजे गए कपड़ों में विधायक के घर (घटनास्थल) के उस कमरे की बिछावन के तोशक, तकिया, चादर के अलावा पीड़िता के सलवार, समीज और दुपट्टा शामिल थे। फोरेंसिक जांच में इन सभी छह प्रदर्शो में ‘स्पर्म’ के निशान नहीं मिले। एफएसएल ने अपनी जांच रिपोर्ट नालंदा महिला थाना और नालंदा कोर्ट को विगत 13 अप्रैल को ही उपलब्ध करा दी है। एफएसएल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ‘जिन छह कपड़ों की जांच की गई है, उसमें ‘स्पर्म’ के निशान तो नहीं मिले, पर सभी कपड़ों में डिटर्जेंट की महक जरूर पाई गई है।’ एफएसएल की यह टिप्पणी साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की ओर स्पष्ट इशारा कर रही है।
विदित हो कि इस मामले की जांच में लगी एफएसएल की टीम को विधायक के घर से साक्ष्य एकत्रित करने में भी काफी फजीहत का सामना करना पड़ा था। पहली बार नालंदा पुलिस एफएसएल की टीम के साथ विधायक के बिहारशरीफ के इंग्लिशपुर मोहल्ला स्थित आवास को सील करने गई थी तब विधायक के सैकड़ों समर्थकों ने पुलिस व फोरेंसिक टीम पर रोड़ेबाजी कर उन्हें खदेड़ दिया था। इसके बाद नालंदा पुलिस और फोरेंसिक टीम ने दो-तीन दिन बाद पूरी तैयारी के साथ विधायक के घर पर धावा बोला था और उस कमरे से साक्ष्य एकत्रित किए थे, जिस कमरे में नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया गया था।
बता दें कि दुष्कर्म के आरोपों से घिरे राजद विधायक फिलहाल बिहारशरीफ मंडल कारा में बंद हैं। उन्होंने इस घटना के एक महीने बाद 10 मार्च को नालंदा व्यवहार न्यायालय में आत्मसमर्पण किया था, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था। नालंदा पुलिस विधायक को रिमांड पर लेकर भी पूछताछ कर चुकी है। पीड़िता के अनुसार उसके साथ विगत 6 फरवरी को दुष्कर्म किया गया था।
विदित हो कि घटना के बाद बिहार के सीएम ने कहा था कि विधायक के मामले को फ़ास्ट ट्रैक में चलाकर सजा दिलवाई जाएगी लेकिन ऐसा हुआ तो नहीं ही उल्टे सुशासन की पुलिस दुश्शासन को बचाने में जी-जान से जुट गयी है।
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