Saturday, May 28, 2016

PAK की इस्लामिक काउंसिल की सिफारिश- पत्नी की पिटाई कर सकते हैं पति

इस्लामाबाद (ं.सू.)। पाकिस्तान में धार्मिक संस्थाएं नहीं चाहतीं कि महिलाओं की स्थिति में सुधार हो या उन्हें अपनी आवाज उठाने का हक मिले। एक इस्लामी संस्था ने नवाज शरीफ सरकार से नए वुमन सिक्युरिटी बिल में बड़े बदलाव करने की सिफारिश की है। इसमें कहा गया है कि अगर महिला पति की बात न माने, फिजिकल होने से मना करे तो पति को उसे पीटने का हक होगा।

सिफारिश करने वाली संस्था काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (CII) को पाकिस्तान में कानूनी दर्जा हासिल है। CII संसद को इस्लाम के मुताबिक कानून बनाने की सलाह देता है। हालांकि, इसकी सिफारिशें मानने को संसद बाध्य नहीं है। संस्था ने कहा है- अगर औरत पति का कहना न माने, उसके मुताबिक कपड़े न पहने, फिजिकल होने से मना करे तो पति उसे हल्के से पीट सकता है। साथ ही गर्भधारण (कंसीव) के 120 दिन बाद अबॉर्शन करवाने को हत्या करना माना जाए। CII के बिल के मुताबिक, महिलाएं हिजाब न पहने, अजनबियों से बात करें, ज्यादा ऊंची आवाज में बोलें और शौहर की इजाजत के बिना किसी को पैसे दें तो शौहर पिटाई कर सकता है।

यह भी कहा गया है कि महिला नर्सें पुरुष मरीजों का ध्यान नहीं रख सकतीं।  प्राइमरी एजुकेशन के बाद लड़कियां को-एड स्कूलों में नहीं पढ़ सकतीं। महिलाएं किसी फौजी लड़ाई में हिस्सा नहीं ले सकतीं। साथ ही वे एडवरटाइज में काम नहीं कर सकतीं। महिलाएं फॉरेन डेलिगेशन का वेलकम नहीं कर सकतीं। वे पुरुषों से घुलमिल नहीं सकतीं, अजनबियों संग घूमने-फिरने नहीं जा सकतीं।

सीआईआई का यह नया बिल 163 पेज का है। इससे पहले सीआईआई ने जो बिल बनाया था उसे पंजाब असेंबली ने गैर इस्लामी करार देकर ठुकरा दिया था। उसके बाद सीआईआई ने यह नया विवादास्पद ऑप्शनल बिल बनाया है।

बिल में महिलाओं को कुछ छूट भी दी गईं हैं। महिलाएं राजनीति में आ सकेंगी। माता-पिता की इजाजत के बिना निकाह कर सकेंगी।  गैर-मुस्लिम महिला का जबरन धर्म बदलवाने वाले को तीन साल की जेल हो सकती है। अपने पुराने धर्म में लौटने वाली महिला को मौत की सजा दी जाएगी।

सीआईआई का दावा है कि उनके प्रपोजल कुरान और शरिया के मुताबिक हैं। उनका ये भी कहना है कि इसके जरिए डोमेस्टिक वॉयलेंस को कानूनी रूप दिया जा सकेगा। इस्लामाबाद की ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट फरजाना बारी के मुताबिक, 'काउंसिल का इस तरह से कहना महिलाओं को लेकर उनकी घटिया सोच को ही बताता है।' बारी कहती हैं, 'प्रपोज्ड बिल में कुछ भी इस्लाम के मुताबिक नहीं है। इससे देश की इमेज खराब होगी।'

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