सिवान (सं.सू.)। पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या के बाद उनके पैतृक आवास हकाम में मातमी सन्नाटा छाया हुआ है। पिता के आंसू थम नहीं रहे है। 75 वर्ष की उम्र में जवान बेटा खोना उनके लिए एक सदमा बनकर आया है। शनिवार की सुबह जब राजदेव रंजन का अंतिम संस्कार किया गया तो उनके पिता के आंसू झलक पड़े। वे फफक फफक कर रोते हुए कहने लगे अब के कही की चल बाबूजी खाना खा ल। जबान बोलने को आतुर लेकिन गम का पहाड़ ऐसा टूटा कि लाख कोशिश के बावजूद भी पिता के लफ्ज कुछ बयां नहीं कर पा रहे थे। किसी तरह से हिम्मत जुटा कर उन्होंने हाथ जोड़ते हुए कहा कि मेरे बेटे की हत्या एक साजिश के तहत कार्यालय से बुलाकर उसकी हत्या की गई है। बता दें कि तीन भाइयों में राजदेव रंजन मझला बेटा थे।
पिता ने बताया राजदेव बचपन से मधुर स्वभाव का था। सच्चाई के लिए आवाज उठाना उसकी बचपन से ही आदत थी। वह निर्भीक होकर पत्रकारिता करता था। उसकी हत्या आफिस से बुलाकर साजिश के तहत की गई है। पिता राधेश्याम यादव ने कहा कि मेरे पुत्र की गांव में किसी के साथ कोई दुश्मनी नहीं थी। वहीं बड़े भाई काली चरण यादव ने कहा कि मेरे भाई राजदेव रंजन की हत्या स्वतंत्र एवं निर्भीक होकर समाचार प्रकाशित करने के कारण हुई है। हत्या के पीछे किसका हाथ है नहीं बता सकता हूं। उधर छोटे भाई गौतम यादव बार-बार पुलिस पर आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि हत्या के कारणों का पता शायद ही पुलिस लगाएगी।
पिता ने बताया राजदेव बचपन से मधुर स्वभाव का था। सच्चाई के लिए आवाज उठाना उसकी बचपन से ही आदत थी। वह निर्भीक होकर पत्रकारिता करता था। उसकी हत्या आफिस से बुलाकर साजिश के तहत की गई है। पिता राधेश्याम यादव ने कहा कि मेरे पुत्र की गांव में किसी के साथ कोई दुश्मनी नहीं थी। वहीं बड़े भाई काली चरण यादव ने कहा कि मेरे भाई राजदेव रंजन की हत्या स्वतंत्र एवं निर्भीक होकर समाचार प्रकाशित करने के कारण हुई है। हत्या के पीछे किसका हाथ है नहीं बता सकता हूं। उधर छोटे भाई गौतम यादव बार-बार पुलिस पर आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि हत्या के कारणों का पता शायद ही पुलिस लगाएगी।
No comments:
Post a Comment