नई दिल्ली (सं.सू.)। भारत ने पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले पर इंटरपोल से नए सिरे से रेड कार्नर नोटिस (आरसीएन) जारी करवाया है। यह रेड कार्नर नोटिस आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर और उसके भाई अब्दुल रऊफ के खिलाफ जारी हुआ है। पाकिस्तान के एनआइए की जांच को दबाने की कोशिशों के चलते भारत ने इस मामले में उसके खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। भारत ने पाकिस्तान को दोबारा याद दिलाया है कि वह भारतीय जांच एजेंसी एनआइए को जांच के लिए वहां जाने की इजाजत देने में देरी न करे।
एनआइए के द्वारा मसूद अजहर और अब्दुल रऊफ के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के बाद इंटरपोल ने मंगलवार को यह कदम उठाया। अब भारत पठानकोट हमले की साजिश में शामिल दो अन्य आतंकियों कासिफ जान व शाहिद लतीफ के खिलाफ भी रेडकार्नर नोटिस जारी करवाने में जुटा है। यह वही लतीफ है जो वर्षो तक भारत के जम्मू और वाराणसी जिले की जेलों में बंद रहा था। बाद में संप्रग सरकार ने इसे सद्भावना के तहत रिहा करने का फैसला किया था।
पठानकोट हमले की जांच में शुरुआती सक्रियता के बाद पाकिस्तान इसे दबाने में जुट गया है। तभी वह वादा करने के बावजूद भारत की जांच एजेंसी एनआइए की टीम को जांच के लिए अपने यहां आने देने में आनाकानी कर रहा है। एनआइए की तरफ से विदेश मंत्रलय के जरिये पाकिस्तान को इस बारे में औपचारिक आवेदन भेजा गया है। इसे कानूनी भाषा में लेटर रोगेटोरी (एलआर) कहते हैं जो भारतीय जांच एजेंसियों को पाकिस्तान में वहां के कानून के मुताबिक जांच करने की इजाजत देगा। विदेश मंत्रलय के सूत्रों ने बताया कि पिछले महीने जब नई दिल्ली में दोनों देशों के विदेश सचिवों की द्विपक्षीय वार्ता हुई थी तभी पठानकोट हमले के जांच से जुड़े मुद्दे उठे थे। भारत ने तब भी कहा था कि एनआइए टीम को वहां जाने में ज्यादा देरी नहीं करनी चाहिए। पहले पाकिस्तान ने कहा था कि इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
इस वर्ष की शुरुआत में पाकिस्तान के आतंकी समूह जैश-ए-मुहम्मद के आतंकियों ने भारत के सैन्य ठिकाने पठानकोट पर हमला किया था। इस बारे में पीएम मोदी ने पीएम नवाज शरीफ से बात भी की थी। पहले पाकिस्तान ने न सिर्फ हमले के साजिशकर्ताओं को पकड़ने की बात कही बल्कि जांच के लिए अपने एक दल को मार्च, 2016 में भारत भी भेजा था। इसके बाद भारतीय दल को पाकिस्तान जाना था लेकिन अभी तक नवाज शरीफ की तरफ से इसकी इजाजत नहीं दी गई है। इसी वजह से दोबारा एलआर भेजने का फैसला किया गया है।
एनआइए के द्वारा मसूद अजहर और अब्दुल रऊफ के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने के बाद इंटरपोल ने मंगलवार को यह कदम उठाया। अब भारत पठानकोट हमले की साजिश में शामिल दो अन्य आतंकियों कासिफ जान व शाहिद लतीफ के खिलाफ भी रेडकार्नर नोटिस जारी करवाने में जुटा है। यह वही लतीफ है जो वर्षो तक भारत के जम्मू और वाराणसी जिले की जेलों में बंद रहा था। बाद में संप्रग सरकार ने इसे सद्भावना के तहत रिहा करने का फैसला किया था।
पठानकोट हमले की जांच में शुरुआती सक्रियता के बाद पाकिस्तान इसे दबाने में जुट गया है। तभी वह वादा करने के बावजूद भारत की जांच एजेंसी एनआइए की टीम को जांच के लिए अपने यहां आने देने में आनाकानी कर रहा है। एनआइए की तरफ से विदेश मंत्रलय के जरिये पाकिस्तान को इस बारे में औपचारिक आवेदन भेजा गया है। इसे कानूनी भाषा में लेटर रोगेटोरी (एलआर) कहते हैं जो भारतीय जांच एजेंसियों को पाकिस्तान में वहां के कानून के मुताबिक जांच करने की इजाजत देगा। विदेश मंत्रलय के सूत्रों ने बताया कि पिछले महीने जब नई दिल्ली में दोनों देशों के विदेश सचिवों की द्विपक्षीय वार्ता हुई थी तभी पठानकोट हमले के जांच से जुड़े मुद्दे उठे थे। भारत ने तब भी कहा था कि एनआइए टीम को वहां जाने में ज्यादा देरी नहीं करनी चाहिए। पहले पाकिस्तान ने कहा था कि इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
इस वर्ष की शुरुआत में पाकिस्तान के आतंकी समूह जैश-ए-मुहम्मद के आतंकियों ने भारत के सैन्य ठिकाने पठानकोट पर हमला किया था। इस बारे में पीएम मोदी ने पीएम नवाज शरीफ से बात भी की थी। पहले पाकिस्तान ने न सिर्फ हमले के साजिशकर्ताओं को पकड़ने की बात कही बल्कि जांच के लिए अपने एक दल को मार्च, 2016 में भारत भी भेजा था। इसके बाद भारतीय दल को पाकिस्तान जाना था लेकिन अभी तक नवाज शरीफ की तरफ से इसकी इजाजत नहीं दी गई है। इसी वजह से दोबारा एलआर भेजने का फैसला किया गया है।
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