पटना (सं.सू.)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से मिशन यूपी की शुरुआत की। पिंडरा के नेशनल इंटर कॉलेज में सक्रिय कार्यकर्ता सम्मलेन को संबोधित करते हुए नीतीश ने भाजपा पर जबरदस्त हमला बोला लेकिन मुलायम और मायावती के खिलाफ वो खामोश रहे। मुलायम के बारे में उन्होंने कहा कि मैं उनकी बहुत इज्जत करता हूं लेकिन बिहार में भाजपा के खिलाफ बड़ी लड़ाई में वे साथ छोड़कर चले गए।
नीतीश ने कहा कि भाजपा अहंकार में डूबी हुई है और दूसरों का मजाक उड़ाना उनकी आदत बन गई है। नीतीश ने कहा कि जब बिहार चुनाव से पहले आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस का महागठबंधन बना तो बीजेपी ने खूब मजाक उड़ाया, लेकिन बिहार की जनता ने महागठबंधन को प्रचंड बहुमत देकर इनको करार जवाब दिया और एक सबक सिखाया।
बिहार के सीएम ने कहा कि दो साल पहले जनता ने बीजेपी को प्रचंड बहुमत दिया लेकिन अब लोगों को हकीकत का पता चल गया है। लोकसभा चुनाव में 40 में से 31 सीटें बिहार की जनता ने भाजपा को दी लेकिन विधानसभा चुनाव में बिहार की जनता ने विधानसभा में महागठबंधन को जीतकर बीजेपी को सबक सिखा दिया। यूपी के लोग बीजेपी को पहचाने इनकी कथनी और करनी में बहुत अंतर है।
जनसभा में नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी पर खुद की पीठ थपथपाई। उन्होंने बिहार कि बिहार को इससे 5 हजार करोड़ की रेवेन्यू आता है लेकिन मैंने पैसे से ज्यादा लोगों के स्वास्थय की चिंता की। आज देश से शराबबंदी के खिलाफ अभियान शुरू हो चुका है। झारखंड के बाद अब लखनऊ और महाराष्ट्र की महिलाएं समर्थन मांग रही है।
मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि लोक सभा चुनाव में काले धन का 15-15 लाख रुपये देने का वादा किया था। उन्होंने कहा था 100 दिनों के अंदर कालाधन आ जाएगा। और लोगों को उनका हिस्सा मिलेगा। लेकिन दो साल बाद क्या हुआ। हमने तो कहा कि 15 लाख न सही 10-15 हजार ही दे दो। नीतीश ने कहा कि अब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कहते हैं कि कालेधन वाला बयान महज एक जुमला था।
नीतीश ने कहा कि इतना ही नहीं बीजेपी ने किसानों को उनकी लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर समर्थन मूल्य दिया जाएगा। लेकिन उस वायदे का क्या हुआ? बिहार की जनता ने तो सिखा दिया अब मैं यूपी में आया हूं। यहां लोगों को बीजेपी के असली चरित्र को समझना पड़ेगा।
आरएसएस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव से पहले इन लोगों ने बीफ और घर वापसी का मुद्दा उठाया इतना ही नहीं देशभक्ति की बात की। ये वे लोग हैं जिन्होंने कभी आजादी के लड़ाई में शामिल नहीं हुए और ये लोग देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं। हमें इनसे देशभक्ति की बात नहीं सीखनी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस कभी भी आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी और देशभक्ति की बात करते हैं। जो हमेशा से भगवा झंडे की बात करते थे वे अब तिरंगे झंडे की बात करने लगे हैं। यह हमारी वैचारिक जीत है।
नीतीश हालाँकि सभा में लोगों की भारी मौजूदगी से काफी गदगद दिखे लेकिन सभास्थल पर ८००० कुर्सियों पर बैठे दर्शकों के अलावे मात्र १००० लोगों की मौजूदगी ने उनके दावे की पोल खोलकर रख दी। विदित हो कि २०१२ के चुनावों में भी नीतीश की पार्टी ने यूपी में भारी संख्या में उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन उनमें से किसी की जमानत तक नहीं बच पाई थी।
नीतीश ने कहा कि भाजपा अहंकार में डूबी हुई है और दूसरों का मजाक उड़ाना उनकी आदत बन गई है। नीतीश ने कहा कि जब बिहार चुनाव से पहले आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस का महागठबंधन बना तो बीजेपी ने खूब मजाक उड़ाया, लेकिन बिहार की जनता ने महागठबंधन को प्रचंड बहुमत देकर इनको करार जवाब दिया और एक सबक सिखाया।
बिहार के सीएम ने कहा कि दो साल पहले जनता ने बीजेपी को प्रचंड बहुमत दिया लेकिन अब लोगों को हकीकत का पता चल गया है। लोकसभा चुनाव में 40 में से 31 सीटें बिहार की जनता ने भाजपा को दी लेकिन विधानसभा चुनाव में बिहार की जनता ने विधानसभा में महागठबंधन को जीतकर बीजेपी को सबक सिखा दिया। यूपी के लोग बीजेपी को पहचाने इनकी कथनी और करनी में बहुत अंतर है।
जनसभा में नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी पर खुद की पीठ थपथपाई। उन्होंने बिहार कि बिहार को इससे 5 हजार करोड़ की रेवेन्यू आता है लेकिन मैंने पैसे से ज्यादा लोगों के स्वास्थय की चिंता की। आज देश से शराबबंदी के खिलाफ अभियान शुरू हो चुका है। झारखंड के बाद अब लखनऊ और महाराष्ट्र की महिलाएं समर्थन मांग रही है।
मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि लोक सभा चुनाव में काले धन का 15-15 लाख रुपये देने का वादा किया था। उन्होंने कहा था 100 दिनों के अंदर कालाधन आ जाएगा। और लोगों को उनका हिस्सा मिलेगा। लेकिन दो साल बाद क्या हुआ। हमने तो कहा कि 15 लाख न सही 10-15 हजार ही दे दो। नीतीश ने कहा कि अब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कहते हैं कि कालेधन वाला बयान महज एक जुमला था।
नीतीश ने कहा कि इतना ही नहीं बीजेपी ने किसानों को उनकी लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर समर्थन मूल्य दिया जाएगा। लेकिन उस वायदे का क्या हुआ? बिहार की जनता ने तो सिखा दिया अब मैं यूपी में आया हूं। यहां लोगों को बीजेपी के असली चरित्र को समझना पड़ेगा।
आरएसएस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव से पहले इन लोगों ने बीफ और घर वापसी का मुद्दा उठाया इतना ही नहीं देशभक्ति की बात की। ये वे लोग हैं जिन्होंने कभी आजादी के लड़ाई में शामिल नहीं हुए और ये लोग देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं। हमें इनसे देशभक्ति की बात नहीं सीखनी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस कभी भी आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी और देशभक्ति की बात करते हैं। जो हमेशा से भगवा झंडे की बात करते थे वे अब तिरंगे झंडे की बात करने लगे हैं। यह हमारी वैचारिक जीत है।
नीतीश हालाँकि सभा में लोगों की भारी मौजूदगी से काफी गदगद दिखे लेकिन सभास्थल पर ८००० कुर्सियों पर बैठे दर्शकों के अलावे मात्र १००० लोगों की मौजूदगी ने उनके दावे की पोल खोलकर रख दी। विदित हो कि २०१२ के चुनावों में भी नीतीश की पार्टी ने यूपी में भारी संख्या में उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन उनमें से किसी की जमानत तक नहीं बच पाई थी।
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