नई दिल्ली (सं.सू.)। प्रधानमंत्री मोदी के चुनावी रैली के दौरान केरल की तुलना सोमालिया से करने वाले बयान पर जमकर बवाल मचा है। केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने प्रधानमंत्री पर पलटवार करते हुए कहा था कि केरल और सोमालिया में कहीं से भी कोई लिंक नहीं है, मोदी को अपने बयान को वापस लेना चाहिए।
सोशल मीडिया पर भी पीएम मोदी के बयान की काफी आलोचना हो रही है, लेकिन मोदी ने जिस तस्वीर को देखने के बाद केरल की तुलना सोमालिया से की थी उसके पीछे का सच कुछ और ही है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार पीएम मोदी ने यह बयान मातृभूमि अखबार में फोटो के साथ छपी एक खबर के बाद दिया था जिसमें चार बच्चों को कूड़े के ढेर में से भोजन ढूंढते हुए दिखाया गया था।
इस तस्वीर का संदर्भ देते हुए मोदी ने कहा था कि केरल के आदिवासी इलाकों में बच्चों की स्थिति सोमालिया से भी ज्यादा खतरनाक है। अखबार ने यह खबर 4 नवंबर 2015 को छापी थी। बाद में स्थानीय न्यूज चैनलों और अखबारों ने भी इस खबर को प्रमुखता से उठाया था।
असल में अखबार में छपी तस्वीर में कन्नूर जिले के पेरावूर डंपिंग यार्ड (कूडाघर) में चार बच्चों को भोजन को भोजन की तलाश करते हुए दिखाया गया था। इसी तस्वीर का संदर्भ देते हुए मोदी ने कहा था, 'यहां केरल में जनजाति में जो बच्चों की मृत्यु दर है वो सोमालिया से भी खतरनाक है। अभी कुछ दिन पहले मीडिया में दर्दनाक चित्र देखने को मिला, पेरावूर में शेड्यूल ट्राइब के बालक कूड़े के ढेर में भोजन तलाश कर रहे हैं'।
सोशल मीडिया पर भी पीएम मोदी के बयान की काफी आलोचना हो रही है, लेकिन मोदी ने जिस तस्वीर को देखने के बाद केरल की तुलना सोमालिया से की थी उसके पीछे का सच कुछ और ही है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार पीएम मोदी ने यह बयान मातृभूमि अखबार में फोटो के साथ छपी एक खबर के बाद दिया था जिसमें चार बच्चों को कूड़े के ढेर में से भोजन ढूंढते हुए दिखाया गया था।
इस तस्वीर का संदर्भ देते हुए मोदी ने कहा था कि केरल के आदिवासी इलाकों में बच्चों की स्थिति सोमालिया से भी ज्यादा खतरनाक है। अखबार ने यह खबर 4 नवंबर 2015 को छापी थी। बाद में स्थानीय न्यूज चैनलों और अखबारों ने भी इस खबर को प्रमुखता से उठाया था।
असल में अखबार में छपी तस्वीर में कन्नूर जिले के पेरावूर डंपिंग यार्ड (कूडाघर) में चार बच्चों को भोजन को भोजन की तलाश करते हुए दिखाया गया था। इसी तस्वीर का संदर्भ देते हुए मोदी ने कहा था, 'यहां केरल में जनजाति में जो बच्चों की मृत्यु दर है वो सोमालिया से भी खतरनाक है। अभी कुछ दिन पहले मीडिया में दर्दनाक चित्र देखने को मिला, पेरावूर में शेड्यूल ट्राइब के बालक कूड़े के ढेर में भोजन तलाश कर रहे हैं'।
No comments:
Post a Comment