
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार एफआइयू के पास बैंकिंग और फाइनेंस कंपनियों से आने वाले संदेहास्पद लेन-देन के डाटा को पूरी तरह से इलेक्ट्रानिक बना दिया गया है। इसके पहले सारा डाटा कागजों पर होते थे। इस कारण उनके विश्लेषण और संबंधित जांच एजेंसी को सौंपने में महीनों लग जाते थे। यही नहीं, यदि किसी जांच एजेंसी को किसी लेन-देन में गड़बड़ी की आशंका होती थी, तो एफआइयू उससे संबंधित डाटा तत्काल नहीं भेज पाता था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह सारी समस्या अब समाप्त हो गई है।
सीबीआइ, आयकर विभाग, ईडी और अन्य किसी भी जांच एजेंसी को अब 72 घंटे के भीतर संदेहास्पद लेन-लेन का पूरा ब्यौरा उपलब्ध करा दिया जाएगा। जाहिर है इससे देश के भीतर चल रहे कालेधन के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी। दूसरी ओर, एचएसबीसी में कालाधन जमा करने वाले भारतीयों पर ईडी का शिकंजा भी कस सकता है। फिलहाल आयकर विभाग इस मामले की जांच कर रहा है और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। लेकिन ईडी अब उनके खिलाफ विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) और मनी लांडिंग रोकथाम कानून के तहत कार्रवाई करने की तैयारी में है।
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