Monday, November 23, 2015

मधेशियों के लिए बदलेगा संविधान,होगा संविधान में संशोधन?

काठमांडू (सं.सू.)। मधेशियों की मांगें पूरी करने के लिए नेपाल सरकार संविधान में बदलाव करने को राजी हो गई है। तीन बड़े दलों सत्ताधारी यूसीपीएन माओवादी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल और मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के नेताओं की बैठक में इस संबंध में संसद में विधेयक लाने का फैसला किया गया। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अध्यक्षता में बैठक सोमवार को हुई। यूसीपीएन माओवादी के उपाध्यक्ष नारायण काजी श्रेष्ठ ने बताया कि मधेशी दलों से सलाह मशविरे के बाद विधेयक लाया जाएगा।

स्थानीय मीडिया के अनुसार आंदोलन समाप्त करने के लिए सत्ताधारी और विपक्षी दलों ने मधेशी दलों से अलग-अलग बातचीत भी की है। सपतारी जिले में रविवार को एक राजमार्ग से जबरन नाकेबंदी हटाने की कोशिश के दौरान पुलिस गोलीबारी में चार मधेशी प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद से आंदोलन समाप्त कराने को लेकर सरकार दबाव में है।

इस घटना के बाद से तीन महीने से ज्यादा समय से चल रहा संविधान विरोधी आंदोलन फिर से हिंसक हो गया है। सोमवार को सप्तारी सहित कई जगहों पर लोगों ने कर्फ्यू तोड़कर प्रदर्शन किया। राजबिराज में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने हवाई फायरिंग की और आंसू गैस के गोले दागे। सरकार ने भारत से लगी सीमा और प्रमुख राजमार्गो से भी मधेशी प्रदर्शनकारियों को हटाने का फैसला किया है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता लक्ष्मी प्रसाद ढकाल ने बताया कि देश के दक्षिणी तराई क्षेत्र में बढ़ती हिंसा से निपटने के लिए बनाई गई विशेष सुरक्षा योजना के तहत सरकार ने यह फैसला किया है। इसके तहत अशांत इलाकों में नेपाल पुलिस, सशस्त्र पुलिस बल और राष्ट्रीय जांच ब्यूरो के कर्मचारियों की भारी तैनाती की गई है।

हालांकि तराई क्षेत्र में सेना की तैनाती को लेकर असमंजस बरकरार है। गौरतलब है कि नए संविधान में बनाए गए संघीय प्रांतों का फिर से सीमांकन करने की मांग कर रहे मधेशियों ने दो महीने से सीमा की नाकेबंदी कर रखी है। भारतीय सीमा के इलाकों और काठमांडू व पूर्वी तराई इलाके को जोड़ने वाले महेंद्र राजमार्ग को भी अवरुद्ध कर रखा है। इससे नेपाल आवश्यक वस्तुओं की किल्लत से जूझ रहा है। इस बीच, मधेशी राजनीतिक दलों में से एक फेडरल सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र यादव ने प्रदर्शनकारियों से मीडिया, एंबुलेंस, विदेशी राजनयिकों, रेडक्रॉस और मानवाधिकार संगठनों के वाहनों की आवाजाही नहीं रोकने की अपील की है।

नेपाल में सितंबर में नया संविधान लागू होने के बाद यह दूसरा मौका है जब सरकार ने मधेशियों की मांग पूरी करने के लिए संविधान में बदलाव का भरोसा दिलाया है। सुशील कोइराला के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस की सरकार ने भी यह वादा किया था। लेकिन, उस समय सरकार और मधेशी दलों के बीच बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई थी।

भारत पर अघोषित रूप से नाकेबंदी का आरोप लगाते हुए अमेरिका में रहने वाले नेपाली मूल के लोगों ने रविवार को व्हाइट हाउस के बाहर प्रदर्शन किया।

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