नई दिल्ली (सं.सू.)। देश में कथित तौर पर असहिष्णुता के बढ़ते माहौल के विरोध में लौटाए गए अकादमी पुरस्कारों की घर वापसी शुरू हो गई है। इसकी शुरुआत नयनतारा सहगल से ही हुई है, जिन्होंने पुरस्कार वापसी अभियान की भी शुरुआत की थी। नयनतारा के अलावा राजस्थानी लेखक नंद भारद्वाज समेत नौ अन्य भी अकादमी पुरस्कार वापस लेने को राजी हो गए हैं। अवार्ड वापस लेने वाले साहित्यकारों ने इसकी वजह यह बताई कि साहित्य अकादमी के संविधान में पुरस्कार वापसी का कोई प्रावधान नहीं है।
नयनतारा से जब संपर्क किया गया तो वह पुरस्कार वापस लेने की बात से मुकर गईं। कहा कि वे तब तक पुरस्कार वापस नहीं लेंगी, जब तक सरकार बोलने की आजादी पर लिखित में आश्वासन नहीं देती है। जबकि साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के श्रीनिवास राव के मुताबिक, नयनतारा ने फोन कर कहा है कि अकादमी के इस प्रावधान से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इसलिए अकादमी पुरस्कार वापस भेज रही है तो स्वीकार है।
बिहार चुनाव के ऐन पहले जवाहर लाल नेहरू की भांजी नयनतारा सहगल ने यह कहते हुए पुरस्कार लौटा दिया था कि देश में असहिष्णुता का माहौल गहरा रहा है। उनके बाद तीन दर्जन से ज्यादा लेखकों ने सम्मान वापस कर दिया था। अब अचानक नयनतारा समेत कुल दस लेखकों ने पुरस्कार वापस लेने की बात कही है।
साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने बताया कि लेखकों को सम्मान वापस भेजना शुरू भी कर दिया गया है। नयनतारा सहगल को पुरस्कार भेजा जा चुका है। नंद भारद्वाज समेत बाकी नौ साहित्यकारों को भी जल्द ही पुरस्कार वापस भेजा जाएगा। संस्कृति मंत्रालय के सूत्रों ने भी बताया कि अकादमी पुरस्कार वापस लेने को सहमत दस लेखकों की सूची में सहगल और भारद्वाज के भी नाम हैं। नयनतारा ने पुरस्कार वापस लेने की पुष्टि की है। उधर, जयपुर में साहित्य महोत्सव में हिस्सा ले रहे नंद भारद्वाज ने भी कहा कि अकादमी ने उनकी बात मान ली है, इसलिए उन्होंने अवार्ड वापस ले लिया है। उधर, कवि अशोक वाजपेयी ने कहा कि मुझे भी अकादमी का पत्र मिला है, लेकिन पुरस्कार वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता।
नयनतारा से जब संपर्क किया गया तो वह पुरस्कार वापस लेने की बात से मुकर गईं। कहा कि वे तब तक पुरस्कार वापस नहीं लेंगी, जब तक सरकार बोलने की आजादी पर लिखित में आश्वासन नहीं देती है। जबकि साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के श्रीनिवास राव के मुताबिक, नयनतारा ने फोन कर कहा है कि अकादमी के इस प्रावधान से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। इसलिए अकादमी पुरस्कार वापस भेज रही है तो स्वीकार है।
बिहार चुनाव के ऐन पहले जवाहर लाल नेहरू की भांजी नयनतारा सहगल ने यह कहते हुए पुरस्कार लौटा दिया था कि देश में असहिष्णुता का माहौल गहरा रहा है। उनके बाद तीन दर्जन से ज्यादा लेखकों ने सम्मान वापस कर दिया था। अब अचानक नयनतारा समेत कुल दस लेखकों ने पुरस्कार वापस लेने की बात कही है।
साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने बताया कि लेखकों को सम्मान वापस भेजना शुरू भी कर दिया गया है। नयनतारा सहगल को पुरस्कार भेजा जा चुका है। नंद भारद्वाज समेत बाकी नौ साहित्यकारों को भी जल्द ही पुरस्कार वापस भेजा जाएगा। संस्कृति मंत्रालय के सूत्रों ने भी बताया कि अकादमी पुरस्कार वापस लेने को सहमत दस लेखकों की सूची में सहगल और भारद्वाज के भी नाम हैं। नयनतारा ने पुरस्कार वापस लेने की पुष्टि की है। उधर, जयपुर में साहित्य महोत्सव में हिस्सा ले रहे नंद भारद्वाज ने भी कहा कि अकादमी ने उनकी बात मान ली है, इसलिए उन्होंने अवार्ड वापस ले लिया है। उधर, कवि अशोक वाजपेयी ने कहा कि मुझे भी अकादमी का पत्र मिला है, लेकिन पुरस्कार वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता।
No comments:
Post a Comment