नई दिल्ली (सं.सू.)। नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े कुछ खुफिया दस्तावेज केंद्र सरकार कल सार्वजनिक करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल ट्वीट कर कहा था कि ये दस्तावेज नेताजी के जन्मदिन 23 जनवरी को सार्वजनिक किए जाएंगे। प्रधानमंत्री के मुताबिक इतिहास के धरोहर को दस्तावेज में समेट कर नहीं रखा जा सकता। लेकिन, बंगाल चुनाव के मद्देनजर इस पर राजनीति शुरू हो गई है। इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार भी कुछ दस्तावेज सार्वजनिक कर चुकी है।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े जिन सपूतों को अग्रिम पंक्ति में याद किया जाता है उनमें सुभाष चंद्र बोस प्रमुख हैं। नेताजी की बात चलती है तो आज भी तीन वजहों से उन्हें याद किया जाता है। पहला- उनकी बहादुर, दूसरा- आजाद हिन्द फौज के नेतृत्व और तीसरा- कांग्रेस के दिग्गज नेताओं गांधी और नेहरू से उनके मतभेद के लिए, लेकिन इन सबके साथ एक चौथा मुद्दा भी है जिसकी वजह से नेताजी की चर्चा कभी खत्म नहीं हुई। ये है उनकी मौत से जुड़ा रहस्य।
कुछ कही-सुनी बातें, कुछ मिथक और कुछ कहानियां जैसा कि दुनिया के नायकों के साथ होता है। लेकिन अब नेताजी से जुड़े सच यानी तथ्य को सामने लाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। नेताजी से जुड़ी चीजों को खुफिया दस्तावेजों में कैद कर क्यों रखा गया? इसके बारे में कई तरह की दलीलें दी जाती हैं। बीते साल पीएम ने कहा था कि नेताजी के जन्मदिन पर फाइलें सार्वजनिक होंगी।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े जिन सपूतों को अग्रिम पंक्ति में याद किया जाता है उनमें सुभाष चंद्र बोस प्रमुख हैं। नेताजी की बात चलती है तो आज भी तीन वजहों से उन्हें याद किया जाता है। पहला- उनकी बहादुर, दूसरा- आजाद हिन्द फौज के नेतृत्व और तीसरा- कांग्रेस के दिग्गज नेताओं गांधी और नेहरू से उनके मतभेद के लिए, लेकिन इन सबके साथ एक चौथा मुद्दा भी है जिसकी वजह से नेताजी की चर्चा कभी खत्म नहीं हुई। ये है उनकी मौत से जुड़ा रहस्य।
कुछ कही-सुनी बातें, कुछ मिथक और कुछ कहानियां जैसा कि दुनिया के नायकों के साथ होता है। लेकिन अब नेताजी से जुड़े सच यानी तथ्य को सामने लाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। नेताजी से जुड़ी चीजों को खुफिया दस्तावेजों में कैद कर क्यों रखा गया? इसके बारे में कई तरह की दलीलें दी जाती हैं। बीते साल पीएम ने कहा था कि नेताजी के जन्मदिन पर फाइलें सार्वजनिक होंगी।
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