नई दिल्ली (सं.सू.)। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बटाईदारों की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने व योजनाओं की अन्य बाधाओं को दूर करने के लिए सरकार सक्रिय हो गई है। बटाईदारों के फंसे पेंच को निकालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहल करते हुए राज्यों के साथ गुफ्तगू शुरू कर दी है। इसके तहत सुदूर पूर्वोत्तर में दो दिनों का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद दो दिनों तक शिरकत करेंगे।
किसानों के लिए फसल बीमा योजना एक सुरक्षा कवच के रूप में घोषित की गई है, जिसमे पुरानी खामियों को दूर करने की कोशिश की गई है। लेकिन योजना के समक्ष बटाईदारी पर खेती करने वाले उधार के इन किसानों की मुश्किलें बरकरार हैं। उन्हें फसल बीमा योजना के दायरे में लाने की गंभीर चुनौती है, जिसके समाधान के लिए केंद्र सरकार ने प्रयास शुरू कर दिये हैं। कृषि राज्य का विषय होने के नाते इसमें प्रदेश सरकारों की भूमिका अहम होगी।
कृषि मंत्रालय ने इस समस्या के समाधान के लिए राज्यों को ही इस चुनौती से निपटने का दायित्व दिया है। पूर्वोत्तर के प्रगतिशील राज्य सिक्किम की राजधानी गंगटोक में इसके लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इस आयोजन में राज्यों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लागू करने पर विचार किया जा रहा है। प्रधानमंत्री खुद 18 जनवरी को वहां राज्यों के प्रतिनिधियों की कमेटी की सिफारिशों को जानेंगे। सम्मेलन में राज्यों के कृषि मंत्रियों की समिति अपनी राय रखेगी।
दरअसल, फिलहाल बटाईदार किसानों को न बैंक से कृषि ऋण प्राप्त होता है और न ही प्राकृतिक आपदाओं में नष्ट हुई फसल का मुआवजा। खेत के असल मालिक कभी भी अपनी ओर से इस बात का प्रमाण पत्र नहीं देते हैं कि उनके खेत में कोई बटाईदार खेती करता है।
No comments:
Post a Comment