नई दिल्ली (सं.सू.)। गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह सीमा पार से होने वाली ड्रग तस्करी के रैकेट में शामिल थे। एनआइए मुख्यालय में उससे छह दिन की पूछताछ में यह साफ हो गया है। सलविंदर के लोभ के चक्कर में ही उनकी गाड़ी आतंकियों के हाथ लग गई और वे बेरोकटोक आगे बढ़ गए।
लंबी पूछताछ के बावजूद जांच एजेंसी एनआइए अभी इस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है कि सलविंदर पठानकोट एयरफोर्स बेस पर हमला करने गए आतंकियों को ड्रग तस्कर समझकर खुद लेने गए थे या आतंकियों ने उनकी गाड़ी पर जबरन कब्जा कर लिया था। इसका पता सलविंदर के लाई डिटेक्टर टेस्ट के बाद ही लग पाएगा।
एनआइए सूत्रों के मुताबिक सलविंदर ने कुबूल भी कर लिया है कि वह ड्रग रैकेट में शामिल थे। हर खेप के एवज में पैसे मिलते थे। कई बार पैसे की जगह हीरे की ज्वेलरी भी दी जाती थी। ज्वेलर राजेश वर्मा को अपने साथ ले जाने के पीछे यही कारण था कि वह तत्काल हीरे की पहचान कर उसकी कीमत बता देता था। लेकिन सलविंदर सिंह का कहना है कि ड्रग तस्कर के धोखे में उसने आतंकियों की मदद नहीं की। उसे गाड़ी समेत सचमुच में अगवा कर लिया गया था।
जांच से जुड़े एनआइए अधिकारियों को संदेह है कि आतंकियों को ड्रग तस्कर समझकर ज्वेलर राजेश वर्मा ने गाड़ी धीमी कर दी थी। इसका फायदा उठाकर आतंकियों ने उन्हें कब्जे में ले लिया। यही कारण है कि आतंकियों ने उन्हें जान से मारने की कोशिश नहीं की। जब सलविंदर को अहसास हुआ कि ये लोग आतंकी थे और बड़ा हमला करने आए थे, तो तत्काल पुलिस कंट्रोल रूम को इसकी जानकारी भी दे दी। एनआइए अधिकारियों का कहना है कि सलविंदर सिंह की जानकारी के बाद ही केंद्रीय एजेंसियां सतर्क हुईं और एनएसजी कमांडो को दिल्ली से पठानकोट भेज दिया गया। साथ ही सेना के जवानों को एयरबेस में तैनात कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि एयरबेस को बड़े नुकसान से बचाने में सलविंदर सिंह की अहम भूमिका थी।
लंबी पूछताछ के बावजूद जांच एजेंसी एनआइए अभी इस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है कि सलविंदर पठानकोट एयरफोर्स बेस पर हमला करने गए आतंकियों को ड्रग तस्कर समझकर खुद लेने गए थे या आतंकियों ने उनकी गाड़ी पर जबरन कब्जा कर लिया था। इसका पता सलविंदर के लाई डिटेक्टर टेस्ट के बाद ही लग पाएगा।
एनआइए सूत्रों के मुताबिक सलविंदर ने कुबूल भी कर लिया है कि वह ड्रग रैकेट में शामिल थे। हर खेप के एवज में पैसे मिलते थे। कई बार पैसे की जगह हीरे की ज्वेलरी भी दी जाती थी। ज्वेलर राजेश वर्मा को अपने साथ ले जाने के पीछे यही कारण था कि वह तत्काल हीरे की पहचान कर उसकी कीमत बता देता था। लेकिन सलविंदर सिंह का कहना है कि ड्रग तस्कर के धोखे में उसने आतंकियों की मदद नहीं की। उसे गाड़ी समेत सचमुच में अगवा कर लिया गया था।
जांच से जुड़े एनआइए अधिकारियों को संदेह है कि आतंकियों को ड्रग तस्कर समझकर ज्वेलर राजेश वर्मा ने गाड़ी धीमी कर दी थी। इसका फायदा उठाकर आतंकियों ने उन्हें कब्जे में ले लिया। यही कारण है कि आतंकियों ने उन्हें जान से मारने की कोशिश नहीं की। जब सलविंदर को अहसास हुआ कि ये लोग आतंकी थे और बड़ा हमला करने आए थे, तो तत्काल पुलिस कंट्रोल रूम को इसकी जानकारी भी दे दी। एनआइए अधिकारियों का कहना है कि सलविंदर सिंह की जानकारी के बाद ही केंद्रीय एजेंसियां सतर्क हुईं और एनएसजी कमांडो को दिल्ली से पठानकोट भेज दिया गया। साथ ही सेना के जवानों को एयरबेस में तैनात कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि एयरबेस को बड़े नुकसान से बचाने में सलविंदर सिंह की अहम भूमिका थी।
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