यमुनानगर (सं.सू.)। देर से प्राप्त एक समाचार के अनुसार शनिवार को पुराना हमीदा में इंसानियत और हैवानियत के दो चेहरे देखने को मिले। हैवानियत का चेहरा एक बाप का था, जो अपने बच्चों को पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जला रहा था। इंसानियत का चेहरा उन पड़ोसियों का दिखा जिनका आग की लपटों में फंसे बच्चों से न तो कोई संबंध था और ही कोई रिश्ता। लेकिन फिर भी मुस्लिम दंपती के आपसी झगड़े की आग में फंसे तीन मासूमों को बचाने के लिए हिंदू पड़ोसी आग में कूद पड़े। एक बच्चे को तो आंच तक नहीं लगने दी और जान पर खेलकर सुरक्षित बाहर निकाल लिया। वहीं दो बहनों को बचाने के चक्कर में खुद झुलस गए। फिर भी दोनों बच्चियों को आग से बाहर लेकर आए।
उनकी इस बहादुरी और इंसानियत को देख हर कोई दंग था। बच्चों को बचाने के दौरान आग में झुलसे राजबीर, गुलशन और उसकी मां लक्ष्मी का इलाज ट्रामा सेंटर में चल रहा है। वहीं आग में बुरी तरह झुलसी छह वर्षीय माही (50 प्रतिशत) और पांच वर्षीय जिया (60 प्रतिशत) को चंडीगढ़ रेफर किया गया है।
एकबाप ने पेट्रोल डालकर अपने बच्चों को आग के हवाले कर दिया। कमरा आग की लपटों में घिरा था। मुस्लिम बच्चों को बचाने के दौरान गुलशन राजबीर भी झुलस गए। गुलशन के कपड़ों में आग देख लक्ष्मी से रहा नहीं गया। उसने गुलशन के ऊपर अपनी चुन्नी डाली और आग को बुझाने लगी। इसमें वह खुद भी बुरी तरह झुलस गई।
गुलशन ने बताया कि जब उसने देखा कि शाैकत ने कमरे में बच्चों को बंद कर आग लगा दी तो वह उसके घर की तरफ भागा। लेकिन गेट बंद होने की वजह से वह गेट के ऊपर से कूद गया और कमरे का दरवाजा तोड़ने का प्रयास करने लगा। लेकिन दरवाजा नहीं टूटा। तभी राजबीर वहां पर पहुंचा तो दोनों ने मिलकर दरवाजा तोड़ा और बच्चों को बचाया। इस दौरान दरवाजा तोड़ते हुए वे कमरे के अंदर लगी आग में जा गिरे जिससे वे भी आग में बुरी से झुलस गया।
आग में झुलसे राजबीर का उपचार ट्रामा सेंटर में चल रहा है। वह आग में 15 प्रतिशत से ज्यादा झुलसा हुआ है। दर्द के मारे परेशान है। मगर इस परेशानी में उसके चेहरे पर बच्चों को बचाने की खुशी झलक रही है। राजबीर का कहना है कि सुबह वह सोया हुआ था। इस दौरान शौकत अली अपनी पत्नी साइना से झगड़ा कर रहा था। वह घर से बाहर आया और शौकत को समझाने लगा। लेकिन वह नहीं माना। उसको शौकत ने यह कहते हुए भेज दिया कि वह हमारे विवाद के बीच में आए। यहां से अपने घर चला जाए। इसी दौरान शौकत ने अपने तीनों बच्चों को कमरे के अंदर बंद कर दिया था। वहीं उसकी पत्नी शाइना छत पर थी।
शौकत ने राजबीर को अपने घर से बाहर जाने के लिए कहा तो वह उसके घर के गेट पर खड़ा हो गया। इतने में उसने देखा कि उसने कमरे में आग लगा दी और वहां से फरार हो गया। बच्चे कमरे के अंदर चिल्ला रहे थे। दरबाजा तोड़ने के बाद उसने दो साल के समर को हाथ में उठाया और बाहर की तरफ फेंक दिया। इस दौरान उसके पैर आग के अंदर थे। लेकिन उन्होंने शौकत की बेटी जिया और माही (दोनों को आग लगी थी) को कमरे से बाहर निकाल कर ही दम लिया।
उनकी इस बहादुरी और इंसानियत को देख हर कोई दंग था। बच्चों को बचाने के दौरान आग में झुलसे राजबीर, गुलशन और उसकी मां लक्ष्मी का इलाज ट्रामा सेंटर में चल रहा है। वहीं आग में बुरी तरह झुलसी छह वर्षीय माही (50 प्रतिशत) और पांच वर्षीय जिया (60 प्रतिशत) को चंडीगढ़ रेफर किया गया है।
एकबाप ने पेट्रोल डालकर अपने बच्चों को आग के हवाले कर दिया। कमरा आग की लपटों में घिरा था। मुस्लिम बच्चों को बचाने के दौरान गुलशन राजबीर भी झुलस गए। गुलशन के कपड़ों में आग देख लक्ष्मी से रहा नहीं गया। उसने गुलशन के ऊपर अपनी चुन्नी डाली और आग को बुझाने लगी। इसमें वह खुद भी बुरी तरह झुलस गई।
गुलशन ने बताया कि जब उसने देखा कि शाैकत ने कमरे में बच्चों को बंद कर आग लगा दी तो वह उसके घर की तरफ भागा। लेकिन गेट बंद होने की वजह से वह गेट के ऊपर से कूद गया और कमरे का दरवाजा तोड़ने का प्रयास करने लगा। लेकिन दरवाजा नहीं टूटा। तभी राजबीर वहां पर पहुंचा तो दोनों ने मिलकर दरवाजा तोड़ा और बच्चों को बचाया। इस दौरान दरवाजा तोड़ते हुए वे कमरे के अंदर लगी आग में जा गिरे जिससे वे भी आग में बुरी से झुलस गया।
आग में झुलसे राजबीर का उपचार ट्रामा सेंटर में चल रहा है। वह आग में 15 प्रतिशत से ज्यादा झुलसा हुआ है। दर्द के मारे परेशान है। मगर इस परेशानी में उसके चेहरे पर बच्चों को बचाने की खुशी झलक रही है। राजबीर का कहना है कि सुबह वह सोया हुआ था। इस दौरान शौकत अली अपनी पत्नी साइना से झगड़ा कर रहा था। वह घर से बाहर आया और शौकत को समझाने लगा। लेकिन वह नहीं माना। उसको शौकत ने यह कहते हुए भेज दिया कि वह हमारे विवाद के बीच में आए। यहां से अपने घर चला जाए। इसी दौरान शौकत ने अपने तीनों बच्चों को कमरे के अंदर बंद कर दिया था। वहीं उसकी पत्नी शाइना छत पर थी।
शौकत ने राजबीर को अपने घर से बाहर जाने के लिए कहा तो वह उसके घर के गेट पर खड़ा हो गया। इतने में उसने देखा कि उसने कमरे में आग लगा दी और वहां से फरार हो गया। बच्चे कमरे के अंदर चिल्ला रहे थे। दरबाजा तोड़ने के बाद उसने दो साल के समर को हाथ में उठाया और बाहर की तरफ फेंक दिया। इस दौरान उसके पैर आग के अंदर थे। लेकिन उन्होंने शौकत की बेटी जिया और माही (दोनों को आग लगी थी) को कमरे से बाहर निकाल कर ही दम लिया।
No comments:
Post a Comment