Tuesday, November 3, 2015

प्रख्यात ब्लॉगर राजीव चतुर्वेदी की लखनऊ के एक थाने में संदिग्ध मौत,पूछताछ के लिए ले गई थी पुलिस

लखनऊ (सं.सू)। यकीन तो नहीं होता लेकिन सच्चाई तो सच्चाई होती है। कल तक जो राजीव खुलकर हमारे साथ विचारों का आदान-प्रदान कर रहे थे आज दुनिया में नहीं हैं। शायद वे यूपी के गुंडाराज के शिकार हो गए हैं। यूपी की राजधानी में मंगलवार को प्रख्यात पत्रकार और ब्लॉगर राजीव चतुर्वेदी (55) की पुलिस हिरासत में संदिग्‍ध परिस्थितियों में मौत हो गई। थाने के अंदर हुई मौत के बाद आनन-फानन में पुलिस उन्‍हें निजी अस्‍पताल ले गई, जहां डॉक्‍टरों ने उन्‍हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस का कहना है कि राजीव सड़क पर गिरकर चोटिल हो गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। बताया जा रहा है कि पुलिस राजीव को किसी मामले में पूछताछ के लिए थाने लेकर गई थी। यहां आपको बता दें कि राजीव एक पत्रकार के अलावा कवि, चिंतक और सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। कई पत्रिकाओं में उनके 50 हजार से अधिक लेख छप चुके हैं। फेसबुक पर उनका अंतिम स्टेटस रात 8.23 बजे का है।

पत्रकार से व्यवसायी बने राजीव चतुर्वेदी मूल रूप से इटावा के रहने वाले थे। वह जाने-माने वकील भी थे। एक मामले में नाम आने के बाद उन्‍होंने वकालत छोड़ दी और लखनऊ शिफ्ट हो गए। आशियाना के सेक्टर-आई में वे किराए के मकान में अकेले रहते थे। वर्तमान समय में वे सरोजनीनगर के मुल्लाही खेड़ा में प्लास्टिक की फैक्ट्री चलाते थे। बताया जाता है कि साल 2011 में राजीव का उनकी पत्नी अपर्णा से तालाक हो गया था। अपर्णा बरेली में किसी विभाग में अधिकारी हैं।


कुछ दिन पहले राजीव चतुर्वेदी के खिलाफ बागपत निवासी बिहारी लाल गुप्ता ने शराब ठेका दिलाने के नाम पर 25 लाख रुपए की ठगी करने का आरोप लगाया था। लाल गुप्‍ता ने सरोजिनीनगर थाने में इसकी रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। करीब तीन दिन पहले एसओ सरोजनीनगर ने राजीव को फोन कर पूछताछ के लिए थाने बुलाया था। मंगलवार दोपहर राजीव अपने ड्राइवर बिजनौर निवासी सलाही के साथ अल्टो कार से शहर किसी काम से आए थे। वापस जाते समय करीब ढ़ाई बजे वह सरोजिनीनगर थाने के सामने पहुंचे, जहां उन्होंने ड्राइवर को बाहर रुककर इंतजार करने को कहा और थाने के अंदर चले गए।


करीब एक घंटा बीत गया, लेकिन राजीव बाहर नहीं निकले। ड्राइवर सलाही ने जब उन्‍हें फोन किया, तो मोबाइल बंद आया। किसी अनहोनी की आशंका से उसने राजीव को जानने वाली सरिता सिंह को फोन मिलाया। सरिता ने अपने बेटे को थाने भेजा, जहां उसे बताया गया कि राजीव को एक निजी अस्पताल ले जाया गया है। यह सुनकर सलाही के होश उड़ गए। अस्पताल पहुंचने पर पता चला कि राजीव की मौत हो चुकी थी। सरिता सिंह ने बताया कि राजीव ने उन्हें बताया था कि उन्‍हें एक नोटिस आया था, बातचीत करने थाने जाना है।


ड्राइवर ने बताया कि राजीव के शरीर से जूते और बेल्ट गायब थी, जबकि मोजे में मिट्टी लगी हुई थी। इतना ही नहीं डॉक्टरों का भी कहना है कि जब पुलिस ने राजीव को भर्ती कराया था, उसी समय उनकी मौत हो चुकी थी। वहीं, पुलिस का कहना है कि वह राजीव को जानते तक नहीं और पूछताछ के लिए भी नहीं बुलाया था। इतना ही नहीं एसओ बार-बार यही कहते रहे कि सड़क पर गिरकर राजीव को चोट लगी थी, जबकि राजीव के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं थे। उधर, घटना के बाद यूपी जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है।


एसएसपी ने कहा, 'राजीव चतुर्वेदी जी की मृत्यु के संबंध में मैंने एसपी क्राइम, एसपी ईस्ट ज्ञान प्रकाश चतुर्वेदी को जांच दी है। मामला बहुत संगीन है। एसपी क्राइम मौके पर जाकर पूरी जांच करेंगे और गहराई से पूछताछ करके बुधवार की शाम तक अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे। इसके आधार पर एसएसपी कार्रवाई करेंगे।

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