गुवाहाटी (सं.सू.)। असम विधानसभा चुनाव में अभी सात महीने बाकी हैं, लेकिन राज्य में राजनीतिक दल चुनावी मोड में आ गए हैं। कांग्रेस के 9 विधायक शुक्रवार को बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं। ये सभी हेमंत बिस्व शर्मा के गुट से जुड़े हैं।
बीजेपी में शामिल हो रहे विधायक पीजूष हजारिका ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश के विकास के लिए उठाए कदमों के चलते बीजेपी में जा रहे हैं। हम इस विकास को आगे लेकर जाएंगे।
इन नौ में से चार विधायक पार्टी से निलंबित हैं। पांच को कांग्रेस ने कारण बताओ नोटिस जारी कर रखा है। शर्मा अगस्त में बीजेपी में शामिल हो गए थे। हालांकि इससे कांग्रेस सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि 126 सदस्यीय विधानसभा में इन नौ विधायकों के बीजेपी में मिल जाने के बाद भी कांग्रेस के पास 69 विधायक रहेंगे।
बोलिन चेतिया, प्रदान बरुआ, पल्लव लोचन दास, राजन बोरठाकुर, पीजूष हजारिका, कृपानाथ मल्लाह, अबू ताहेर बेपारी, बिनंदा सैकिया और जयंत मल्लाह बरुआ। बिस्व शर्मा ने कांग्रेस से विद्रोह कर दिया था। इसके बाद बीजेपी ने इन्हें पार्टी में शामिल करने का फैसला किया।
असम में कांग्रेस को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ रहा है। यहां जून 2016 में चुनाव होने हैं। असम में भी जीत के अवसर तलाश रही बीजेपी को इसका फायदा मिलना तय माना जा रहा है। इन विधायकों ने पिछले साल सितंबर में ही कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
बीजेपी में शामिल हो रहे विधायक पीजूष हजारिका ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश के विकास के लिए उठाए कदमों के चलते बीजेपी में जा रहे हैं। हम इस विकास को आगे लेकर जाएंगे।
इन नौ में से चार विधायक पार्टी से निलंबित हैं। पांच को कांग्रेस ने कारण बताओ नोटिस जारी कर रखा है। शर्मा अगस्त में बीजेपी में शामिल हो गए थे। हालांकि इससे कांग्रेस सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि 126 सदस्यीय विधानसभा में इन नौ विधायकों के बीजेपी में मिल जाने के बाद भी कांग्रेस के पास 69 विधायक रहेंगे।
बोलिन चेतिया, प्रदान बरुआ, पल्लव लोचन दास, राजन बोरठाकुर, पीजूष हजारिका, कृपानाथ मल्लाह, अबू ताहेर बेपारी, बिनंदा सैकिया और जयंत मल्लाह बरुआ। बिस्व शर्मा ने कांग्रेस से विद्रोह कर दिया था। इसके बाद बीजेपी ने इन्हें पार्टी में शामिल करने का फैसला किया।
असम में कांग्रेस को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ रहा है। यहां जून 2016 में चुनाव होने हैं। असम में भी जीत के अवसर तलाश रही बीजेपी को इसका फायदा मिलना तय माना जा रहा है। इन विधायकों ने पिछले साल सितंबर में ही कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
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