नई दिल्ली (सं.सू.)। अगर कोई कहे कि आने वाले समय में पानी भी आयात करना पड़ेगा, तो चौंकिएगा मत। एक रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है कि 2050 तक ऐसी स्थिति हो जाएगी कि पानी आयात करना पड़ेगा। इस रिपोर्ट के अनुसार तेजी से घट रहे भूमिगत जलस्तर के हिसाब से 2050 तक हर व्यक्ति के लिए सिर्फ 3120 लीटर पानी ही बचेगा।
यह खुलासा हुआ है केंद्रीय भूजल बोर्ड के आंकड़ों से। जहां 1951 में प्रतिव्यक्ति पानी की उपलब्धता 14,180 लीटर थी, अब वह घटकर 5,120 लीटर प्रति व्यक्ति ही रह गई है। इस तरह से पानी के स्तर में 35 फीसदी की कमी आ गई है।
एक अनुमान के मुताबिक 2025 तक प्रतिव्यक्ति के लिए रोजाना के हिसाब से 1951 की तुलना में सिर्फ 25 फीसदी भूमिगत जल ही बचेगा। वहीं 2050 तक यह उपलब्धता घटकर 22 फीसदी रह जाएगी। केन्द्रीय भूजल बोर्ड ने भूमिगत जल को रिचार्ज करने की एक कृत्रिम योजना भी बनाई है, ताकि इस परेशानी से निपटा जा सके।
यह खुलासा हुआ है केंद्रीय भूजल बोर्ड के आंकड़ों से। जहां 1951 में प्रतिव्यक्ति पानी की उपलब्धता 14,180 लीटर थी, अब वह घटकर 5,120 लीटर प्रति व्यक्ति ही रह गई है। इस तरह से पानी के स्तर में 35 फीसदी की कमी आ गई है।
एक अनुमान के मुताबिक 2025 तक प्रतिव्यक्ति के लिए रोजाना के हिसाब से 1951 की तुलना में सिर्फ 25 फीसदी भूमिगत जल ही बचेगा। वहीं 2050 तक यह उपलब्धता घटकर 22 फीसदी रह जाएगी। केन्द्रीय भूजल बोर्ड ने भूमिगत जल को रिचार्ज करने की एक कृत्रिम योजना भी बनाई है, ताकि इस परेशानी से निपटा जा सके।
No comments:
Post a Comment