Tuesday, April 26, 2016

अगस्ता वेस्टलैंड दलाली के दलदल में फंसी कांग्रेस

नई दिल्ली (सं.सू,)। कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के शासन के दौरान 12 अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर की 3600 करोड़ रुपये की खरीद में कांग्रेस बुरी तरह फंस गई है। इटली की कोर्ट ने अगस्ता वेस्टलैंड के प्रमुख जिउसेपे ओरसी को भारत में नेताओं और अफसरों को रिश्वत देने का दोषी पाया और उन्हें साढ़े चार साल कैद की सजा हुई है। इटली की अदालत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जिक्र करते हुए कहा कि इस घोटाले में भारतीय बिचौलियों को 120 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई।

सरकार की ओर से राज्यसभा में इस मुद्दे को बुधवार को सुब्रह्मण्यम स्वामी उठाएंगे। सोमवार को यह मुद्दा लोकसभा में मीनाक्षी लेखी ने शून्यकाल में उठाया था। मंगलवार को भाजपा संसदीय समिति में भी इस पर चर्चा हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे। बैठक के बाद दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस को यह साबित करने की चुनौती दी कि हेलीकाप्टर घोटाले में उसके कोई नेता शामिल नहीं हैं। प्रसाद ने कहा, रिश्वत देने वालों पर दोष साबित हुआ है, तो अब रिश्वत लेने वाले चुप क्यों हैं? भाजपा संसद में इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरेगी।

मीडिया के अनुसार इटली की कोर्ट ने फैसले में बताया है कि किस तरह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके सहयोगी तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायण और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने कंपनी ने लॉबिंग की। सोनिया को इसमें ‘ड्राइविंग फोर्स’ बताया गया। फैसले के पेज नंबर 225 में बताया गया कि सोनिया के राजनीतिक सचिव को सौदा पूरा कराने के लिए 15 से 16 यूरो मिलियन (17-18 मिलियन डॉलर) दिए गए।

कोर्ट ने पूर्व वायु सेना प्रमुख एसपी त्यागी को भी दोषी माना है। त्यागी 2005-07 के दौरान वायु सेना प्रमुख थे और तभी इटली से समझौता हुआ था।’ फैसले में सोनिया गांधी का नाम चार बार आया। इसमें उन्हें ‘सिग्नोरा गांधी’ लिखा गया है। ‘सिग्नोरा’ का मतलब है ‘श्रीमती’। फैसले में डॉ. मनमोहन सिंह, कांग्रेस नेताओं- अहमद पटेल और ऑस्कर फर्नाडीस के साथ तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन का भी जिक्र है।’ साल 2013 में जिउसेपे ओरसी की लिखी चिट्ठी में मनमोहन सिंह का जिक्र है।

कोर्ट के फैसले में 15 मार्च, 2008 का एक पत्र भी संलग्न है, जिसमें क्रिस्टियन मिशेल नाम के बिचौलिए के नाम है। उसने फिनमैकानिका कंपनी के तत्कालीन सेल्स तथा लाइजनिंग प्रमुख (भारत) पीटर ह्यूलेट को पत्र लिखा था कि डील के लिए सोनिया का राजी होना जरूरी है। सोनिया एमआइ-8 हेलीकॉप्टर्स में उड़ना पसंद नहीं करती हैं।’ फैसले में मिशेल के लिखे उन दस्तावेजों को भी शामिल किया गया है जिनमें 30 मिलियन यूरो राशि बतौर कमीशन दिए जाने का विवरण है। दस्तावेजों के अनुसार एयरफोर्स अधिकारियों को 6 मिलियन यूरो तथा रक्षा मंत्रलय के कई अधिकारियों को 8.4 मिलियन यूरो दिए गए थे।

No comments: