नई दिल्ली (सं.सू.)। 'सिविल सर्विस डे' के अवसर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण में आईएएस अधिकारियों को धमकी दे डाली। केजरीवाल ने कहा कि राजनीति करना है तो इस्तीफा देकर मैदान में आ जाएं। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में अच्छी सरकार चल रही है और हम 10-15 साल तक कहीं नहीं जाने वाले हैं।
उन्होंने जूनियर-सीनियर आईएएस अफसरों को चेतावनी देते हुए कहा कि हमसे राजनीति की तो हम उसे सहन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि जो आईएएस अफसर राजनीति में आना चाहते हैं तो इस्तीफा देकर मैदान में आ जाए।
उन्होंने कहा दिल्ली में 1 जनवरी को ऑड-इवन लागू होने से पहले 31 दिसंबर को 'दानिक' ने हड़ताल का ऐलान कर दिया था वे 31 दिसम्बर को ही हड़ताल पर चले गए थे। यह सब केंद्र सरकार के इशारे पर हुआ था। आजादी के बाद यह पहला अवसर था जब इतनी बड़ी संख्या में आईएस अफसरों ने हड़ताल की थी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ईमानदारी से अपना काम कर रही है और इससे दिल्ली की जनता बेहद खुश भी है। मैं सचिवालय में बैठे तमाम अाईएए अफसरों को चेतावनी देना चाहता हूं कि वे अपना काम ईमानदारी से करें। जो लोग यह नहीं कर सकते वे अपना तबादला केंद्र सरकार में करवा सकते हैं।
केजरीवाल ने कहा कि जिन आईएएस अफसरों की उम्र 45 साल से ज्यादा है, वे मेरी नसीहत को अच्छी तरह से समझ लें। हमारी सरकार दिल्ली में 10 से 15 सालों तक टिकी रहेगी और हमें दिल्ली के लोगों का समर्थन मिलता रहेगा। ऐसे में इन अफसरों को हमारे एजेंडे में ही ढलकर ईमानदारी के साथ काम करना होगा।
कांग्रेस की नसीहत, जनता को हल्के में न लें केजरीवाल : कांग्रेस ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों को चेतावनी देने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आलोचना करते हुए आज कहा कि जनता प्रत्येक पांच वर्ष में यह निर्णय लेगी कि किसे सत्ता में आना चाहिए।
केजरीवाल ने आईएएस अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर वे राजनीति करना चाहते है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि उनकी सरकार 10-15 साल के लिए कहीं नहीं जा रही।
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि केजरीवाल का यह बयान उनके अहंकार को दिखाता है और साथ ही यह दिखाता है कि वह जनता को हल्के में ले रहे हैं। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच एक समानता है। दोनों ही अपने वर्चस्व में यकीन रखते हैं। लोकतंत्र में प्रत्येक पांच वर्ष जनता तय करती है कि कौन सरकार बनाएगा।
गौरतलब है कि सत्ता में आने के बाद कई मौकों पर केजरीवाल सरकार और नौकरशाहों के बीच मतभेद सामने आए हैं। दिसंबर में दानिक्स कैडर के दो अधिकारियों के निलंबन के विरोध में सभी नौकरशाह एक दिन के छुट्टी पर चले गए थे। इसके अलावा उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों को लेकर टकराव के बीच भी नौकरशाहों का मामला अकसर उठता रहा है।
उन्होंने जूनियर-सीनियर आईएएस अफसरों को चेतावनी देते हुए कहा कि हमसे राजनीति की तो हम उसे सहन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि जो आईएएस अफसर राजनीति में आना चाहते हैं तो इस्तीफा देकर मैदान में आ जाए।
उन्होंने कहा दिल्ली में 1 जनवरी को ऑड-इवन लागू होने से पहले 31 दिसंबर को 'दानिक' ने हड़ताल का ऐलान कर दिया था वे 31 दिसम्बर को ही हड़ताल पर चले गए थे। यह सब केंद्र सरकार के इशारे पर हुआ था। आजादी के बाद यह पहला अवसर था जब इतनी बड़ी संख्या में आईएस अफसरों ने हड़ताल की थी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ईमानदारी से अपना काम कर रही है और इससे दिल्ली की जनता बेहद खुश भी है। मैं सचिवालय में बैठे तमाम अाईएए अफसरों को चेतावनी देना चाहता हूं कि वे अपना काम ईमानदारी से करें। जो लोग यह नहीं कर सकते वे अपना तबादला केंद्र सरकार में करवा सकते हैं।
केजरीवाल ने कहा कि जिन आईएएस अफसरों की उम्र 45 साल से ज्यादा है, वे मेरी नसीहत को अच्छी तरह से समझ लें। हमारी सरकार दिल्ली में 10 से 15 सालों तक टिकी रहेगी और हमें दिल्ली के लोगों का समर्थन मिलता रहेगा। ऐसे में इन अफसरों को हमारे एजेंडे में ही ढलकर ईमानदारी के साथ काम करना होगा।
कांग्रेस की नसीहत, जनता को हल्के में न लें केजरीवाल : कांग्रेस ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों को चेतावनी देने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आलोचना करते हुए आज कहा कि जनता प्रत्येक पांच वर्ष में यह निर्णय लेगी कि किसे सत्ता में आना चाहिए।
केजरीवाल ने आईएएस अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर वे राजनीति करना चाहते है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि उनकी सरकार 10-15 साल के लिए कहीं नहीं जा रही।
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि केजरीवाल का यह बयान उनके अहंकार को दिखाता है और साथ ही यह दिखाता है कि वह जनता को हल्के में ले रहे हैं। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच एक समानता है। दोनों ही अपने वर्चस्व में यकीन रखते हैं। लोकतंत्र में प्रत्येक पांच वर्ष जनता तय करती है कि कौन सरकार बनाएगा।
गौरतलब है कि सत्ता में आने के बाद कई मौकों पर केजरीवाल सरकार और नौकरशाहों के बीच मतभेद सामने आए हैं। दिसंबर में दानिक्स कैडर के दो अधिकारियों के निलंबन के विरोध में सभी नौकरशाह एक दिन के छुट्टी पर चले गए थे। इसके अलावा उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों को लेकर टकराव के बीच भी नौकरशाहों का मामला अकसर उठता रहा है।
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